- पानी के लिए दिन भर मशक्कत
- पानी को लेकर कम नहीं हो रही मुश्किलें, गर्मी बढ़ने के साथ लोगों की चिंता भी बढ़ी
Ranchi : गर्मी के मौसम में पानी को लेकर जद्दोजहद कम नहीं हो रही है. जैसे जैसे गर्मी बढ़ रही है लोगों के माथे पर चिंता की लकीरें खिंचती जा रही है. अगर बारिश नहीं हुई तो स्थिति और मुश्किल हो जाएगी. खासकर सुदूर ग्रामीण इलाकों में जहां दो-चार बाल्टी पानी के लिए सारा दिन निकल जाता है. इन दिनों सारंडा जंगल में दर्जनों सुदूरवर्ती गांवों में पेयजल संकट गहरा गया है. बड़ी आबादी व्यापक जल संकट से जूझ रही है. इन गांवों के आसपास के जल स्रोत सूख गए हैं. दिन भार मशक्कत के बाद थोड़ा पानी मिल पाता है जिससे जिंदगी कट रही है. शहरी इलाकों का हाल यह है कि टैंकर से मिलने वाले पानी के लिए घंटों लाइन लगानी पड़ती है. लोग कहते हैं कि इसमें इतना समय लग जाता है कि काम पर जाने में देर हो जाता है. वे कहते हैं कि पानी के बिना काम नहीं चल सकता और नौकरी भी करनी है. इस वजह से ऐसे लोगों को काफी मुश्किल का सामना करना पड़ रहा है.सरकारी स्तर पर जो चापाकल लगे हैं उनमें ज्यादातर खराब हैं. जलस्तर नीचे जाने से भी चापानलों में पानी नहीं आ रहा है. इस समय राज्य की बड़ी आबादी पानी के लिए तरस रही है. सुबह उठते ही उनके दिलों दिमाग में सिर्फ पानी ही पानी चल रहा है. शुभम संदेश की टीम ने इस संबंध में लोगों से बात की है. पेश है रिपोर्ट.
दिखावे के लिए कर रहे सेवा पानी के लिए तरस रही जनता
जमशेदपुर से सटे ग्रामीण एवं अर्धशहरी क्षेत्रों में इन दिनों जल संकट गहरा गया है. नदी, तालाब अथवा टैंकर के भरोसे जनता है. वहीं कई संस्थाएं अपनी वाहवाही के लिए काम कम दिखावा ज्यादा कर रही हैं. ऐसा ही आरोप सेवा ही लक्ष्य संस्था पर लोगों ने लगाया. सेवा ही लक्ष्य संस्था के अध्यक्ष जिला परिषद सदस्य पूर्णिमा मल्लिक के देवर माणिक मल्लिक हैं. माणिक मल्लिक का दावा है कि उनकी संस्था विगत छह वर्षों से लोगों की निरंतर सेवा कर रही है. टैंकर से लोगों को पेयजल मुहैया कराते हैं. लेकिन, उनकी भाभी पूर्णिमा मल्लिक के निर्वाचन क्षेत्र की जनता ने आरोप लगाया कि कई बार आग्रह करने के बाद भी उनके लिए टैंकर से पानी नहीं भिजवाया गया. इस वजह से क्षेत्र के लोग काफी नाराज हैं.
वोट बहिष्कार की चेतावनी
पोटका विधानसभा एवं जिला परिषद संख्या छह के मतदाताओं ने जन प्रतिनिधियों पर उपेक्षा का आरोप लगाया. गर्मी में बूंद-बूंद पानी के लिए जनता तरस रही है. जबकि सेवा ही लक्ष्य का दावा करने करने वाले लोग दूर-दूर तक नजर नहीं आ रहे हैं. जिला परिषद क्षेत्र संख्या छह हरहरगुट्टू नामता मुहल्ले की निवासी निशा नामता ने बताया कि गर्मी में पानी के लिए लोगों का काफी मशक्कत करनी पड़ती है. पानी वितरण में भेदभाव किया जाता है. बागबेड़ा जिला परिषद संख्या-7 की पार्षद कविता परमार द्वारा तारापोर एंड कंपनी का पानी टैंकर भिजवाया जाता था. लेकिन जब से गर्मी का कहर शुरू हुआ है, उन्होंने टैंकर भिजवाना बंद कर दिया है. विगत वर्ष सेवा ही लक्ष्य संस्था की ओर से कुछ-कुछ जगहों पर टैंकर से पानी भिजवाया गया था. लेकिन इस बार खास-खास लोगों को जल सेवा प्रदान की जा रही है. लक्ष्मी नामता ने बताया कि वोट के समय सभी जनप्रतिनिधि समस्याओं के समाधान का आश्वासन देते हैं, लेकिन वोट लेने के बाद भूल जाते हैं. इस बार वोट का बहिष्कार किया जाएगा. इसी तरह का आरोप प्रमिला देवी समेत अन्य महिलाओं ने लगाया.
जल संकट बना कमाई का जरिया, 700 रुपए में बिक रहा 1000 लीटर पानी
बागबेड़ा वृहद ग्रामीण जलापूर्ति योजना के अंतर्गत आने वाली हरहरगुटू, घाघीडीह एवं कीताडीह में जल संकट गहरा गया है. लोग रतजगा कर पानी का इंतजाम करने को विवश हैं. वहीं किसी के लिए जलसंकट कमाई का जरिया बन गया है. उपरोक्त तीनों क्षेत्रों में 700 फीट में पानी का लेयर नहीं है, जबकि कुछ लोग उससे ज्यादा की बोरिंग कराकर पानी बेचकर कमाई करा रहे हैं. हरहरगुटू शिव प्रसाद बगान, मनोरमा पैलेस में इसी तरह का कारोबार फलफूल रहा है. डाला टेम्पो अथवा छोटा हाथी गाड़ी में 1000 लीटर की टंकी में पानी भरकर बेचा जा रहा है. स्थानीय लोगों ने बताया कि जिन्हें पानी की जरूरत है, वहां पानी भिजवाकर उनकी टंकी में मोटर के सहारे पानी भरा जाता है. 1000 लीटर पानी के लिए 700 रुपये लिए जा रहे हैं. इसके लिए संचालक की ओर से कर्मचारी बहाल किए गए हैं.
पंचायतों में गहरता जा रहा है जल संकट
गर्मी अपने रंग में है और चौपारण प्रखंड की विभिन्न पंचायतों में पेयजल का संकट गहराता जा रहा है. चौपारण में करीब डेढ़ हजार चापाकलों में 500 की धार खत्म हो चुकी है. वहीं 100 जलमीनार भी नाकाम हैं. इनसे एक बूंद पानी भी नहीं मिलता. गुस्से में लोगों ने विधायक का घेराव भी किया. लेकिन आश्वासन के बाद भी काम नहीं बना. लोग पेयजल के लिए परेशान हो रहे हैं. चौपारण, चोरदाहा, बहेरा, चैथी, कर्मा, ताजपुर, दादपुर समेत कई पंचायतों के ग्रामीण तथा जंगली क्षेत्रों में पेयजल की समस्या गंभीर होती जा रही है.
आंदोलन के बाद भी जलमीनार से नहीं मिलता पानी : अभिमन्यु
अभिमन्यु कुमार ने कहा कि आंदोलन के बाद भी जलमीनार की स्थित नहीं सुधरी. पेयजल की समस्या को लेकर ग्रामीणों ने विधायक आवास तक घेरा था. ताजपुर पंचायत के नावापर के घरों में पेयजल की समस्या तथा जलमीनार बंद रहने पर विधायक का आवास घेरा पर समस्या का समाधान नहीं हुआ.
खराब चापाकलों की सूची बनायी गया है : जेई
पेयजल एवं स्चच्छता विभाग के जेई विमल प्रसाद ने कहा कि चौपारण में 26 पंचायत में पौने दो लाख की आबादी है. देखरेख और मरम्मत के अभाव में आधे से अधिक चापाकल और सालर जलमीनार बेकार हो गए हैं. खराब चापाकलों तथा जलमीनार का सर्वे कर सूची बनाई गई है.
हजारीबाग : पेलावल में पेयजल की परेशानी, दबंग कर रहे मनमानी
हजारीबाग से महज पांच किलोमीटर दूर कटकमसांडी-चतरा मार्ग स्थित पेलावल में पेयजल की भारी परेशानी है. पेलावल थाने में एक चापाकल की हालत खराब है. इसका पानी पीने योग्य नहीं रह गया है. पुलिसकर्मियों का कहना है कि यहां टैंकर की व्यवस्था हो जाती, तो परेशानी दूर हो जाती. इधर पेलावल-पबरा मार्ग में करीब 50 घर हैं. करीब 500 की आबादी पर महज तीन चापाकल हैं. इसमें भी एक चापाकल जमींदोज हो गया है. एक चापाकल एक दबंग व्यक्ति ने अपने घर के अंदर कर लिया है. ऐसे में एक चापाकल के भरोसे सुबह से रात तक यहां पीने के पानी के लिए लाइन लगी रहती है.
पानी के लिए दिनभर लाइन में लगना पड़ता है : अकबर खान
युवा अकबर खान कहता है कि वह पढ़ाई करे कि पानी की जुगाड़ में वक्त बिताए. लेकिन मजबूरी है कि पानी के लिए लाइन लगना. दो-दो घंटे के बाद बाल्टी भर पानी की जुगाड़ कर पा रहे हैं. ऐसे में पेयजलापूर्ति के लिए प्रशासन को पहल करने की जरूरत है.
कम-से-कम पांच चापाकल होने चाहिए : गणेश राणा
पेलावल-पबरा मार्ग निवासी गणेश राणा कहते हैं आबादी के हिसाब से कम-से-कम पांच चापाकल होना चाहिए. लेकिन एक चापाकल पर जिंदगी कैसे चलेगी. बड़ी मुश्किल से दो से चार बाल्टी पानी दिनभर में जुगाड़ पाते हैं. न वक्त पर बच्चे स्कूल जा पाते हैं और न समय पर भोजन बन पाता है.
मन करता है मुहल्ला छोड़ कर चल दें : तुलसी ठाकुर
पेलावल निवासी तुलसी ठाकुर ने कहा कि पानी की परेशानी देखकर तो मन करता है कि मुहल्ला छोड़ दें और दूसरी जगह जाकर बस जाएं. इस क्षेत्र में पानी को लेकर बड़ी किच-किच है. प्रशासन की ओर से न टैंकर की व्यवस्था कराई जा रही है और न ही चापाकलों को ठीक कराया जा रहा है.
कतरास : पानी के लिए भटकते रहते हैं लोग
कतरास कोयलांचल क्षेत्र में पेयजल संकट अन्य क्षेत्रों के अनुपात में काफ़ी गंभीर है. राज्य एवं केंद्र सरकार की बहुप्रतीक्षित मेगा जलापूर्ति योजना की कच्छप गति के चलते कतरास शहर हाइटेक युग में भी एक-एक बूंद के लिए तरस रहे हैं. कतरास शहर के वार्ड नं 1 की आबादी 25 से 30 हज़ार है, जो पानी की समस्या से जूझ रही है.
मुख्य सचिव से भी हमने लगाई गुहार : डॉ. मधुमाला
वार्ड 1 की सामजिक कार्यकर्त्ता डॉ मधुमाला ने बताया कि राज्य के मुख्य सचिव से मिलकर उन्होंने समस्या से निजात दिलाने की गुहार लगाई है. कहा कि वर्षो पूर्व बिछाई गई पाइप कहीं कहीं क्षतिग्रस्त हो गई है. उन्होंने कहा कि कतरी नदी एवं माटीगढ़ स्थित जमुनिया नदी में चेक डैम बनाने से काफ़ी हद तक कतरास के लोगों को पानी की समस्या से राहत मिल सकती है.
नहीं मिलता पानी, खरीद कर बुझाते हैं प्यास: राजेश
कतरास वार्ड 1 निवासी सामजिक कार्यकर्त्ता राजेश स्वर्णकार ने कहा कि बाघमारा के माटीगढ़ स्थित जमुनिया नदी से यहां पानी आता है. परंतु लोगो को नियमित पानी नहीं मिल पाता है. गर्मी के दिनों में स्थिति भयावह हो जाती है. निगम या फिर बीसीसीएल का टेंकर ऊंट के मुंह में जीरा के समान प्रतीत होता है. हालत यह है कि यहां के लोगों को पानी खरीदकर पीना पड़ता है.
खरीद पर पानी पीने की मजबूरी है: सोहेल अंसारी
सोहेल अंसारी कहते हैं कि पतरातू प्रखंड का दुर्गी पंचायत में गर्मी के दिनों में पानी की घोर समस्या उत्पन्न हो जाती है. यहां तक कि कई ग्रामीण पीने के लिए जार का पानी खरीद कर पीते हैं. गांव में पेयजल के लिए चापाकल और कुएं का सहारा है, लेकिन गर्मी बढ़ने के साथ कई कुएं सूख जाते हैं . चापाकल की स्थिति भी जर्जर रहती है. कई बार कंप्लेन करने के बाद चापाकलों की मरम्मत होती है.
ज्यादातर ग्रामीण कुंए पर निर्भर हैं : विमल मुंडा
विमल मुंडा कहते हैं कि नगर परिषद क्षेत्र के वार्ड नंबर 22 अंतर्गत पहन बेड़ा गांव में इन दिनों ग्रामीणों को पानी की समस्या का सामना करना पड़ता है. ज्यादातर ग्रामीण कुंए पर निर्भर हैं . गांव में 3- 4 चापाकल हैं लेकिन पुराने हैं. पानी की किल्लत होने के बाद ग्रामीण दामोदर नदी के पानी का भी इस्तेमाल करते हैं. नगर परिषद को चाहिए कि हम ग्रामीणों के लिए पानी की उचित व्यवस्था करें.
पुराने चापाकलों से पानी निकलता ही नहीं : जैकी खराब : जैकी
जैकी अंसारी कहते हैं कि गर्मी शुरू होते हे पानी की समस्या शुरू हो जाती है. क्षेत्र के चापाकलों की स्थिति बहुत ही खराब है. पुराने चापाकल होने के चलते उनमें पानी बहुत धीरे और खराब निकलता है. मोहल्ले में लगभग 6 की संख्या में चापाकल हैं. जिस पर सभी डिपेंड हैं. लोग बारी-बारी से पानी लेते हैं . कई लोग पीने का पानी खरीदते हैं .सरकारी व्यवस्था दुरुस्त नहीं होने के कारण इस तरह की समस्या उत्पन्न हो रही है.
किरीबुरू : सारंडा के गांवों में पेयजल के लिए भटक रहे हैं ग्रामीण
सारंडा जंगल के दर्जनों सुदूरवर्ती गांवों में पेयजल संकट गहरा गया है. सेल की किरीबुरू एंव मेघाहातुबुरु आवासीय क्षेत्र के किनारे बसी लगभग पांच हजार से अधिक आबादी इस भीषण गर्मी में पेयजल जैसी संकट से व्यापक रूप से जूझ रही है. इनमें प्रोस्पेक्टिंग, बकल हाटिंग, गाड़ा हाटिंग, पीडब्लूडी हाटिंग, मेन मार्केट, मंगलाहाट हाटिंग, चर्च हाटिंग, आरसी सिंह हाटिंग, मुर्गापाड़ा, बिरसा हाटिंग, टीओपी हाटिंग, मालंग टोली और आसपास के तमाम क्षेत्र के लोग शामिल हैं. सेल प्रबंधन द्वारा विभिन्न हाटिंगों में कुछ नलकूप अवश्य लगाये हैं. लेकिन इन नलकूपों से नियमित और एक निश्चित समय पर पेयजल आपूर्ति नहीं किये जाने से उक्त हाटिंगों में रहने वाले लोगों की जीवन शैली तथा रोजगार प्रभावित हो रहा है. जिससे वह पेयजल की भारी समस्या के साथ-साथ आर्थिक संकट से ग्रसित होकर मानसिक रूप से परेशान हो रहे हैं.
दूरदराज से पानी लाकर बुझा रहे प्यास, गर्मी में सूखने लगे जलस्रोत
अब तो पानी के जुगाड़ में निकल जाता है पूरा दिन
स्थानीय लोगों ने बताया कि शहर में दिन में एक बार ही सेल प्रबंधन द्वारा पेयजल आपूर्ति काफी कम समय के लिए की जाती है. जिसका कोई निश्चित समय नहीं है. इसके अलावे पेयजल आपूर्ति के लिए शहर में दूसरा कोई विकल्प नहीं है और न ही चापाकल है. निर्धारित समय पर पानी उपलब्ध नहीं होने से लोगों को रोजमर्रा के कार्यों पर व्यापकर पड़ता है. क्योंकि हाटिंग में रहने वाले लोग जंगलों के वन उत्पाद आदि पर निर्भर हैं. कुछ बतौर ठेका श्रमिक खादानों आदि में मेहनत मजदूरी करने जाते हैं. ग्रामीण तब तक कहीं काम करने नहीं जा पाते जबतक कि सप्लाई नहीं भर लेते. अगर पानी भरे बगैर काम पर या जंगल गये तो इस गर्मी में फिर पानी नहीं मिल पायेगा. अगर पानी के लिये रूके तो काम पर नहीं जा पाते, जिससे आर्थिक समस्या उत्पन्न हो जाती है. पानी की सप्लाई काफी कम समय तक होने की वजह से सभी लोगों को लाइन में लगने के बावजूद जरूरत अनुसार पानी नहीं मिल पाता है. यह समस्या गर्मी के मौसम में और विकराल रूप धारण कर ली है.
डीसी भी कर चुके हैं पहल पर नहीं हो पाया समाधान
स्थनीय सांसद, विधायक, उपायुक्त, जिला परिषद सदस्य, प्रमुख और मुखिया से लेकर सभी पानी की समस्या का समाधान करने में असफल रहे हैं. किरीबुरू शहर की ऊंचाई समुद्र तल से लगभग 3 हजार फीट है. इस कारण कभी भी यहां डीप बोरवेल के द्वारा पानी निकालने का कार्य सफल नहीं हो पाया. सेल प्रबंधन ओडिशा के कारो नदी से पानी पंप व मोटर से डालमिया फिल्टर प्लांट में लाकर तथा फिल्टर कर टाउनशिप में पेयजल आपूर्ति करती है. यहां से भी सेल प्रबंधन को जितना पानी की जरूरत है उतना पानी नहीं मिल पा रहा है. उपायुक्त ने पिछले दिनों किरीबुरू क्षेत्र की हाटिंगों का भ्रमण कर पेयजल स्थिति को करीब से समझने की कोशिश की थी. उन्होंने भी पाया कि स्थिति वास्तव में गंभीर है. उन्होंने सेल अधिकारियों और पीएचईडी विभाग के अधिकारियों से वार्ता की थी. तय हुआ था कि बराईबुरु स्थित कारो नदी से पानी पाइप लाइन बिछाकर किरीबुरू शहर तक पहुंचाया जायेगा. लेकिन यह योजना कब तक प्रारम्भ और पूर्ण होगी वह भविष्य के गर्त में है.
रेलवे क्षेत्र के इतवारी बाजार में खराब पड़े हैं कई चापाकल
चक्रधरपुर की रेलवे क्षेत्र के इतवारी बाजार में पानी की कोई व्यवस्था नहीं रहने से बाजार आने वाले लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. बाजार के समीप तीन चापाकल है, लेकिन इसमें दो खराब पड़े हुये हैं. इससे बाजार में खरीदारी करने आने वाले और दुकान लगाने वाले लोग पीने की पानी के लिए परेशान रहते हैं. खासकर इन दिनों भीषण गर्मी में लोगों को पानी के लिए इधर-उधर भटकना पड़ता है. बाजार आने वाले लोग बताते हैं कि इस ओर न तो प्रशासनिक अधिकारी ध्यान दे रहे हैं और न ही सामाजिक संगठन के लोग ध्यान देते हैं. सामाजिक संगठन की ओर से प्याऊ की व्यवस्था करायी जानी चाहिए थी, ताकि लोग पानी के लिए परेशान न हो. वहीं क्षेत्र में खराब चापाकलों की मरम्मत नहीं कराये जाने स्थानीय लोगों में नाराजगी भी व्याप्त है.
बाजार आनेवाले लोगों को होती है परेशानी: सुनील
इतवारी बाजार में रोजाना सब्जी बेचने आने वाले सुनील हेम्ब्रम ने कहा कि बाजार के समीप चापाकल कई महीनों से खराब पड़ा है. पीने के पानी के लिए सबसे ज्यादा परेशानी बाजार में दूर-दराज से आने वाले लोगों को उठानी पड़ती है. प्रशासनिक अधिकारियों को इस ओर ध्यान दिया जाना चाहिए, ताकि गर्मी में पानी की समस्या दूर हो सकें. क्षेत्र में पानी की व्यवस्था नहीं होने के कारण लंबी दूरी तय कर लोग पानी लाते हैं.
इतवारी बाजार में हो प्याऊ की व्यवस्था:राहुल
चक्रधरपुर निवासी राहुल कुमार ने कहा कि रेलवे के इतवारी बाजार में रोजाना बड़ी संख्या में लोग पहुंचते हैं. सुबह से ही यहां बाजार लगना शुरु हो जाता है. लेकिन पीने के पानी के लिए उचित व्यवस्था नहीं होने से परेशानियों का सामना करना पड़ता है. स्थानीय जन प्रतिनिधियों व समाजसेवियों को इस ओर ध्यान देने की आवश्यकता है. साथ ही यहां प्याऊ की व्यवस्था होनी चाहिए, ताकि भीषण गर्मी में पानी की समस्या दूर हो सकें.
पानी के लिए भटकते हैं लोग: अभिषेक पोद्दार
इतवारी बाजार में दुकान लगाने वाले अभिषेक पोद्दार ने कहा कि बाजार में पानी की व्यवस्था नहीं रहने से लोग पानी के लिए इधर-उधर भटकते हैं. कई लोग अपने साथ बोतल में पानी लेकर बाजार पहुंचते हैं. बाजार और रेलवे क्षेत्र में खराब पड़े चापाकलों की मरम्मत कराये जाने से समस्या का समाधान हो जाएगा, लेकिन इस ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा है और इसका खामियाजा स्थानीय लोग उठाते हैं.
चापाकलों की करायी जाए मरम्मत : मंटू कुमार
बाजार में खरीदारी के लिए रोजाना आने वाले मंटू कुमार ने कहा कि इतवारी बाजार क्षेत्र में वर्षों से खराब पड़े चापाकलों की मरम्मत करायी जाए, ताकि यहां आने वाले लोगों को पानी के लिए परेशानी न हो. उन्होंने कहा कि इतवारी बाजार रेलवे क्षेत्र में आता है लेकिन यहां रेलवे क्षेत्र के अलावे शहरी और ग्रामीण क्षेत्र से रोजाना बड़ी संख्या में लोग पहुंचते हैं.
चाईबासा: हिरजीहाटिंग में स्कूल की सोलर जलमीनार खराब
गुवा के हिरजीहाटिंग के उत्क्रमित प्राथमिक विद्यालय में लगी सोलर जल मीनार खराब हो गयी है. इससे पानी नहीं निकल रहा है. इससे स्कूल में पढ़ने आने वाले बच्चे पेयजल के लिए परेशान हैं. साथ ही वहां रहने वाले ग्रामीणों को भी परेशानी हो रही है. ज्ञात हो कि हिरजीहाटिंग के उत्क्रमित प्राथमिक विद्यालय के बच्चों को पीने का पानी के लिए डीएमएफटी फंड से मुख्यमंत्री नल जल योजना अंतर्गत अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति बहुल्य टोला में सोलर आधारित पाइप जलापूर्ति योजना का शुभारंभ 2019-20 में किया गया था. यह योजना शुरू होने के साथ ही 6 महीना के बाद इस सोलर जल मीनार से पानी निकलना बंद हो गया. जो आज तक बंद है. स्कूल के सहायक प्रधानाध्यापक सुखमति पूर्ति ने कई बार प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी को पत्र लिखकर सूचित किया. उसके बावजूद जलमीनार की मरम्मत नहीं करवाई गई है. इस संबंध में प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी इंद्रदेव कुमार से फोन पर संपर्क करने की कोशिश की गई, पर संपर्क नहीं हो पाया.
2019 से ही जलमीनार खराब है : भादो टोप्पो
पूर्वी पंचायत समिति सदस्य भादो टोप्पो ने कहा कि 2019 में ही स्कूल में लगायी गई सोलर जलमीनार खराब हो गयी है. पंचायत स्तर से कई बार सोलर जलमीनार खराब होने की शिकायत नोवामुंडी पीएचईडी विभाग से की गई है. उसके बावजूद भी समस्या का आज तक समाधान नहीं हुआ है. स्कूल के बच्चे पीने का पानी अपने घरों में बोतल में भरकर लाते हैं. स्कूल में पीने के पानी का इंतजाम नहीं होने के कारण बच्चों को परेशानी होती है.
स्कूल में पानी की सुविधा नहीं है : सुखमति पूर्ति
स्कूल के सहायक प्रधानाध्यापक सुखमति पूर्ति ने कहा कि स्कूल में पानी की सुविधा नहीं रहने के कारण मध्याह्न भोजन भी बनाने में काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है. स्कूल की रसोइया अपने घरों से बर्तन में पानी भरकर स्कूल लेकर आती हैं, तब जाकर मध्याह्न भोजन बनता है.सरकार को इस ओर ध्यान देने की जरुरत है. पानी के बिना सभी लोग परेशान रहते हैं. इसका जल्द समाधान होना चाहिए.
खरकई नदी नहाने-धोने के लिए वरदान है : रजनी मुखी
गर्मी का महीना शुरू होते ही राम मड़ैया बस्ती में पानी का संकट गहरा गया है. खरकई नदी के किनारे बसी इस बस्ती में खरकई नदी नहाने-धोने के लिए वरदान है, लेकिन वर्तमान में वह भी सूख गई है. नदी में केवल नाला का पानी बह रहा है. हम महिलाएं बस्ती में डीप बोरिंग है, जिसके सहारे अपना जीवन गुजार रही हैं.
नदी सूख गई है, उससे काफी काम होता था : कमला देवी
हमलोग सुबह से बोरिंग के पास लाइन लगाते हैं, तब कहीं जाकर 12 बजे दिन में 2 बाल्टी पानी मिलता है. नदी सूख गई है, अन्यथा सारा कामकाज वहीं से हो जाता था. बस्ती में ढाई से तीन सौ घर हैं. यहां लगभग 12500 की आबादी है. पाइप लाइन जलापूर्ति की व्यवस्था नहीं है. केवल एक डीप बोरिंग ही प्यास बुझाने के लिए नगर निगम ने दे रखा है.
लातेहार :
दो साल में भी नहीं हो पायी जलापूर्ति शुरू
जिले के महुआडांड़ प्रखंड में लोगों को शुद्ध पेयजल आपूर्ति कराने के लिए पेजयल एवं स्वच्छता विभाग, लातेहार के द्वारा एक प्लांट लगाया गया है. वर्ष 2021 में इसका उदघाटन सांसद सुनील कुमार सिंह और मनिका विधायक रामचंद्र सिंह ने किया था. दो वर्षों में भी इस प्लांट से प्रखंड में पेयजल आपूर्ति सेवा बहाल नहीं की गयी. इस योजना के तहत प्रखंड में कई जगहों पर जलमीनार बनाई गयी. जलापूर्ति के लिए पाइप लाइन भी बिछाई गई है. इसे संचालित करने के लिए आपरेटरों की भी बहाली की गयी है. प्रति माह उन्हें इस एवज में पारिश्रमिक का भुगतान भी किया जा रहा है, बावजूद इसके लेकिन लोगों को पानी नहीं नहीं मिल पा रहा है. पड़ रही प्रचंड गरमी में भी लोगों को इस प्लांट से पेयजल की आपूर्ति नहीं की जा रही है. बताया जाता है कि जब भी इस प्लांट से पानी छोड़ा जाता है,तो पूरे शहर में कई जगहों पर पाइप लाइन लीक होने लगती है.
लातेहार :
बस स्टैंड में खराब चापाकलों को किया दुरूस्त
महुआडांड़ प्रखंड के बस स्टैंड में खराब पड़े चापाकलों को सोमवार को दुरूस्त कर दिया गया है. बस स्टैंड परिसर में कुल तीन चापाकल खराब थे. इसे लेकर लगातार.इन ने बीते 14 अप्रैल को खबर प्रसारित की थी. खबर प्रसारित होने के बाद विभाग हरकत में आया. विभाग ने संज्ञान लेते हुए महुआडांड़ बस स्टैंड में खराब पड़े तीनों चापाकल को दुरूस्त कराया. चापाकल दुरूस्त होने से यात्रियों के अलावा आम लोगों ने भी राहत की सांस ली है. बता दें कि इन दिनों गर्मी का प्रकोप बढ़ गया है, ऐसे में बस स्टैंड में सभी चापाकल खराब रहने के यात्रियों को खासी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था. उन्हें पानी खरीद का पीना पड़ रहा था. इसके अलावा बस स्टैंड के आसपास के दुकानदार भी उक्त चापाकलों पर ही आश्रित थे. बस स्टैंड के सामने विद्या होटल संचालक बिट्टू कुमार ने बताया कि चापाकल खराब हो जाने से दुकानदारों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था.
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