- जमशेदपुर में कोई छूट नहीं
- बाकी 23 जिलों में अब 4 बजे तक खुलेंगी दुकानें
- सैलून खोलने की छूट
- 23 जिलों में शाम 4 बजे तक खुलेंगी दुकानें
- 9 जिलों में कपड़ा व ज्वेलरी शॉप खोलने की अनुमति नहीं
- शनिवार सुबह 5 बजे से सोमवार सुबह 6 बजे तक कंपलीट लॉकडाउन
- 9 जिलों में जूते की दुकान खोलने पर भी पाबंदी बरकरार
- होटल, रेस्टोरेंट में बैठ कर खाने की इजाजत नहीं होगी.
- शॉपिंग मॉल आदि को खोलने का निर्देश नहीं दिया गया है.
इन जिलों में राहत नहीं
रांची, धनबाद, बोकारो, देवघर, गुमला, गढ़वा, हजारीबाग और रामगढ़ जिले में कपड़ा, ज्वेलरी, कॉस्मेटिक और जूते की दुकानें खोलने की इजाजत अभी नहीं मिली है. पहले से जिन दुकानों को खोलने की इजाजत दी गयी थी. उनकी समय सीमा दो बजे से बढ़ाकर चार बजे तक कर दी गयी है. सीएम हेमंत सोरेन की अध्यक्षता में हुई बैठक में यह फैसला लिया गया.झारखंड में कम हो रहा संक्रमण
बता दें कि झारखंड में कोरोना संक्रमण की रफ्तार में कमी आयी है. इसे देखते हुए सरकार ने लॉकडाउन के दौरान राहत दी है. चूंकि जमशेदपुर में संक्रमण अभी की कम नहीं हो रहा रहा इसलिए वहां किसी तरह की नई राहत नहीं दी गई है. वहां पूर्व की तरह ही पाबंदियां लागू रहेंगी. झारखंड में आंशिक लॉकडाउन की अवधि में राज्य सरकार ने एक सप्ताह की और बढ़ा दिया है. स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने इसकी जानकारी मीडियाकर्मियों को दी है. उन्होंने कहा है कि लॉकडाउन की अवधि को 16 जून तक बढ़ा दिया गया है. वहीं जमशेदपुर को छोड़कर अन्य 23 जिलों में अब सुबह 6 से शाम 4 बजे तक सभी दुकानें खुली रहेंगी. हालांकि पूर्व के 9 जिलों में कपड़ा, ज्वेलरी और जूते की दुकानों को खोलने की अनुमति नहीं थी, उसे यथावत रखा गया है. इन जिलों में बोकारो, धनबाद, पूर्वी सिंहभूम, देवघर, रांची, हजारीबाग, गढ़वा, गुमला और रामगढ़ शामिल हैं. यानी इन जिलों में शाम 4 बजे तक भी कपड़ा, ज्वेलरी और जूतों की दुकानों को खोलने की अनुमति नहीं दी गयी है. बन्ना गुप्ता ने कहा है कि इसके अलावा एक निर्णय यह हुआ है कि शनिवार शाम 5 बजे से सोमवार सुबह 6 बजे तक संपूर्ण लॉकडाउन रहेगा. इस दौरान केवल आवश्यक चीजों और मेडिकल शॉप ही खुलेंगी. इसे भी पढ़ें- राहुल">https://lagatar.in/rahul-gandhi-attacked-modi-government-farmers-have-died-in-defense-of-the-country/85282/">राहुलगांधी ने किसानों को लेकर मोदी सरकार पर हल्ला बोला, खेत-देश की रक्षा में तिल-तिल मरे हैं किसान [wpse_comments_template]