Surjit Singh
PPF में पैसा कौन जमा करता है ? – मध्यम वर्ग. – NSC में पैसे इन्वेस्ट करके टैक्स कौन बचाता है ? – मध्यम वर्ग. – बुरे वक़्त के लिए FD कौन करता है ? – मध्यम वर्ग. – बेटी के विवाह के लिए सुकन्या समृद्धि जैसी स्कीम कौन लेता है ? – मध्यम वर्ग. “मध्यम वर्ग” यानी कि “मिडिल क्लास”. वहीं मिडिल क्लास, जिसे नोटबंदी में लाइन में लगना पड़ा. जिसे ज्यादा कीमत देकर पेट्रोल लेना पड़ रहा. वही मिडिल क्लास, जिसे खाने का तेल अब दोगुने दाम पर खरीदना पड़ रहा है. वही मिडिल क्लास, जिसे कोरोना काल के लॉकडाउन में कोई सुविधा नहीं मिली. वही मिडिल क्लास, वही 12 करोड़ लोग, जिनकी नौकरी एक साल के भीतर छूट गई. वही मिडिल क्लास, पेंशनधारी सवर्ण वर्ग, जिसकी भुजाएं फेसबुक, ट्विटर, वाट्सएप पर सबसे अधिक फड़क रही हैं. समाज में जहर बोने के सबसे बड़े संवाहक यही लोग हैं.
ये सारे लोग बचत पर कम ब्याज होने को इंज्वॉय जरुर कर रहे होंगे. सोशल मीडिया पर मोदी सरकार के इस फैसले को सही ठहराने के लिए कुतर्क करते हुए जरुर गर्व कर रहे होंगे. बाकी चीजें ठन-ठन गोपाल है तो है. सचमुच विदेशों में भी तो भारत का डंका बज ही रहा है. बस मौज करिये.
क्या हुआ जो एफडी से लेकर पेंशनधारियों को मिलने वाली सुविधाओं में और कटौती की गयी है. पाकिस्तान को तो औकात बता ही दिया है ना मोदी सरकार ने. इसलिए कम ब्याज लेने का त्याग तो करना ही होगा. वह भी गर्व के साथ.
पता नहीं ऐसे लोगों को यह कब समझ में आयेगा कि नफरत से अच्छे दिन नहीं आते. अच्छे दिन आते हैं रोजगार से, कारोबार से, नौकरी से, बचत से, महंगाई को काबू में करने से, शिक्षा से ना कि दूसरों को औकात बताने से.
सरकार ने 24 घंटे के भीतर स्मॉल सेविंग स्कीम के ब्याज दर को कम करने वाले आदेश को वापस ले लिया है. लेकिन ज्यादा गर्व ना करें. यह पांच राज्यों में चल रहे चुनाव के मद्देनजर लिया गया है. चुनाव खत्म होने के बाद इसे निश्चित रुप से दोबारा लागू कर दिया जायेगा. इस सरकार के बाकी फैसलों से यही सीख मिलती है.
खैर, अभी तो गर्व करते रहिये.