LagatarDesk : केंद्रीय उद्योग एवं वाणिज्य मंत्रालय ने इस साल 40 हजार करोड़ के टेंडर रद्द किये ताकि Make in India को बढ़ावा दिया जा सके. मंत्रालय द्वारा शुक्रवार को जारी 2020 की उपलब्धियों में यह बात सामने आयी है. मंत्रालय ने सरकारी खरीद की शर्तों को रद्द या संशोधित करने का निर्णय इसलिए लिया, ताकि इन टेंडरों में विदेशी कंपनियों की जगह देशी कंपनियों को मौका मिल सके.
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छोटे और लघु उद्योगों के लिए बदली गयी शर्ते
केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय द्वारा वर्ष 2020 की उपलब्धियां दिखाने के लिए एक डॉक्यूमेंट तैयार किया गया है. इस दस्तावेज के अनुसार, घरेलू उद्योग खासकर छोटे, लघु और मंझोले उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए सरकारी खरीद की टेंडर की शर्तों में बड़े पैमाने पर बदलाव किया गया.
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40 हजार करोड़ रुपये का काम देसी कंपनियों को
मंत्रालय द्वारा इन टेंडरों को रद्द या संशोधित करने से स्वदेशी कंपनियों को सामानों की सप्लाई में प्राथमिकता दी जायेगी. अगर देश की कंपनियां सामान की सप्लाई करने में सक्षम न हों, उसी परिस्थिति में विदेशी कंपनियों को सप्लाई की अनुमति मिलेगी. सरकार ने सप्लाई से संबंधित उन सभी ग्लोबल टेंडर को रद्द कर दिया, जिन्हें पूरा करने में भारतीय कंपनियां सक्षम थीं.
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Government E-Marketplace में लघु उद्योगों के लिए अधिक अवसर
सरकारी खरीद के लिए पहले सरकार के पास कोई खास व्यवस्था नहीं थी. केंद्र वाणिज्य मंत्रालय ने Government E-Marketplace या जेम की व्यवस्था को मजबूत किया. इस प्लेटफार्म में ऐसी व्यवस्था की गयी, जिससे छोटे व लघु उद्योगों को ज्यादा मौके मिल सकें.
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छोटे उद्योगों को भी आसानी से मिल रहा है पेटेंट
सरकार न सिर्फ घरेलू उद्योगों को बढ़ावा दे रही है, बल्कि पेटेंट देने में भी मदद कर रही है. साल 2019-20 में घरेलू पेटेंट की संख्या में 63 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गयी थी. छोटे उद्योग भी आसानी से पेटेंट हासिल कर सकें, इसके लिए एप्लिकेशन फी और प्रोसेसिंग फी में कटौती की गयी है. यही नहीं, मई 2019 में पेटेंट एप्लीकेशन की जांच-परख और फैसला लेने की 36 से 52 महीने की समय-सीमा को घटा कर दिसंबर 2020 में 10 से 26 महीने कर दिया गया है.
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