के लिए स्वयं आगे आएं, सरकार हरसंभव मदद करने के लिए तैयार है. पलामू प्रमंडल के किसान अपनी आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए साइट्रस फ्रूट पर विशेष तौर पर ध्यान दें. ये बातें प्रमंडलीय आयुक्त जटाशंकर चौधरी ने कही. वे बुधवार को कृषि, पशुपालन और सहकारिता विभाग द्वारा पलामू में नींबूवर्गीय फलों की खेती की संभावनाएं पर एक दिवसीय सेमिनार को संबोधित कर रहे थे. सेमिनार का आयोजन क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्र, चियांकी पलामू में किया गया. आयुक्त जटाशंकर चौधरी, उपायुक्त शशि रंजन और अनुसंधान केंद्र के सह निदेशक डॉ डीएन सिंह ने सेमिनार">https://lagatar.in/lokesh-chaudhary-accused-in-double-murder-case-did-not-get-bail/38631/">सेमिनार
का शुभारंभ संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर किया. मौके पर जिला कृषि पदाधिकारी, अनुसंधान केंद्र के वैज्ञानिक सहित उप निदेशक जनसंपर्क पलामू प्रमण्डल, प्रमण्डल के तीनों जिले के उद्यान मित्र तथा किसान मौजूद थे. सेमिनार के दौरान जिला कृषि पदाधिकारी अरुण कुमार ने आयुक्त, उपायुक्त और सह-निदेशक क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्र को स्मृति चिह्न देकर सम्मानित किया. इसे भी पढ़ें : एंटीलिया">https://lagatar.in/antilia-case-sachin-waje-master-mind-in-the-eye-of-nia-the-motive-was-to-regain-our-lost-respect/38667/">एंटीलिया
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पलामू में कीनू के बगान को करें प्रोत्साहित
alt="" width="407" height="271" />सेमिनार को संबोधित करते हुए आयुक्त ने कहा कि क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्र, चियांकी की शुरुआत साइट्रस फ्रूट के विकास के लिए ही किया गया था. उन्होंने कहा कि अगर पलामू प्रमंडल के किसान बड़े पैमाने में नींबूवर्गीय फलों की खेती करते हैं, तो पलामू को साइट्रस फ्रूट का हब बनाने से कोई नहीं रोक सकता है. इसके लिए किसानों को आगे आना होगा और पलामू की धरती पर नींबूवर्गीय फलों को उगाना होगा. उन्होंने बताया किया कि पलामू में कीनू के बगान को अगर प्रोत्साहित किया जाए तो पलामू भारत में कीनू उत्पादन में राजस्थान के गंगानगर के बाद दूसरे स्थान पर पहुंच जाएगा और किसानों की आर्थिक दशा में काफी सुधार आएगा. साथ ही साथ उन्होंने बताया कि अगर पलामू में संतरा की खेती को बढ़ावा दिया जाए तो पलामू भारत का दूसरा नागपुर बन सकता है. मौके पर मौजूद पलामू उपायुक्त शशि रंजन ने किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि पलामू के किसानों की आर्थिक स्थिति को ठीक करने के लिए वर्तमान सरकार और जिला प्रशासन कटिबद्ध है.
बड़े पैमाने पर करें नींबूवर्गीय फलों की खेती
उन्होंने किसानों से अपील की है कि वे बड़े पैमाने पर नींबूवर्गीय फलों की खेती करें. उपायुक्त ने बताया कि पलामू के लिए रेन शैडो एरिया होना अपने आप मे एक चुनौती है. जरूरत है कि पलामू में पारंपरिक खेती के अलावा नकदी फसल को तैयार करने की. जिला प्रशासन यहां के किसानों को माइक्रो इरिगेशन तथा टपक सिंचाई के लिए लगातार प्रोत्साहित कर रहा है. उन्होंने कहा कि आने वाले समय में हमारे किसान उन्नत कृषि की ओर अग्रसर होंगे. सेमिनार को संबोधित करते हुए कहा कि क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्र के सह निदेशक डॉक्टर डीएन सिंह ने क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्र के बारे में किसानों को जानकारी दी. उन्होंने बताया कि इस वर्ष चियांकी अनुसंधान केंद्र के पेड़ों से प्रति पेड़ 50 से 100 किलो तक के फल का उत्पादन हुआ है. उन्होंने बताया कि पलामू का वातावरण इन फसलों के लिए काफी अनुकूल है यहां के संतरे और कीनू की क्वालिटी काफी अच्छी होती है.किसान सहित कृषि वैज्ञानिक रहे मौजूद
सेमिनार के दौरान क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्र के वैज्ञानिक प्रमोद कुमार ने सेमिनार में मौजूद उद्यान मित्रों तथा किसानों को नींबू वर्गीय फलों की खेती के बारे में विस्तार से बताया. उन्होंने पलामू की मिट्टी, जलवायु, तापमान, नींबू की उन्नत किस्में, पौधे की रोपाई सहित सिंचाई के तरीके के बारे में विस्तारपूर्वक बताया. इनके अलावा वैज्ञानिकों ने सेमिनार में मौजूद किसानों से नींबू, कीनू, मौसंबी, संतरे और मशरूम की खेती करने की अपील की. उन्होंने बताया कि पलामू के किसान इन फसलों को अपनाकर अपने आर्थिक स्थिति में सुधार ला सकेंगे. इसे भी पढ़ें : झरिया">https://lagatar.in/jewelery-stolen-from-jharias-jewelery-shop-police-is-investigating-the-case/38589/">झरियाके ज्वेलरी शॉप से जेवरात चोरी, मामले की जांच में जुटी पुलिस
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