Bengaluru : कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने अपनी ही पार्टी की कर्नाटक सरकार को कटघरे में खड़ा कर दिया है. बता दें कि कर्नाटक सरकार वर्तमान में वित्तीय संकट का सामना कर रही है. इस पर मल्लिकार्जुन खड़गे ने कड़े शब्दों में पार्टी नेताओं और सरकार को चेतावनी दी है. खड़गे ने कहा कि पार्टी(कांग्रेस) को उतनी ही गारंटी(freebies) देनी चाहिए, जितनी वह पूरी कर सके. कहा कि अगर बिना सोच-विचार के वादे किये गये तो राज्य दिवालियापन के कगार पर पहुंच जा सकता है.
#WATCH | Delhi: BJP leader Ravi Shankar Prasad says, “For the first time Congress has accepted that they have misled the public…Will Congress National President Mallikarjun Kharge apologise for what is happening in Karnataka, Himachal Pradesh?… The INDI alliance will do the… pic.twitter.com/PnmwPUfwnY
— ANI (@ANI) November 1, 2024
खबरों के अनुसार मल्लिकार्जुन खड़गे ने चुनावी घोषणाओं पर चर्चा के क्रम में कर्नाटक और महाराष्ट्र के कांग्रेस नेताओं को नसीहत दी कि वे अपने वादों की बजट के अनुसार घोषणा करें. कहा कि बिना योजना के अधिक वादे करने से राज्य की वित्तीय स्थिति गड़बड़ा सकती है. सरकार का नुकसान हो सकता है.
खड़गे और राहुल गांधी को देश से माफी मांगनी चाहिए : भाजपा
भाजपा नेता रविशंकर प्रसाद ने खड़गे के बयान पर कहा कि कांग्रेस ने स्वीकार किया है कि उन्होंने जनता को गुमराह किया है. पूछा कि कर्नाटक, हिमाचल प्रदेश में जो हो रहा है उसके लिए क्या कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे माफी मांगेंगे?…INDI गठबंधन ऐसा करेगा क्या. श्री प्रसाद ने कहा कि महाराष्ट्र और झारखंड में भी ऐसा ही किया और जनता को गुमराह किया. कहा कि मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी को देश से माफी मांगनी चाहिए.
गारंटी पूरी किये जाने की स्थिति में संकट और अधिक गहरा सकता है
विशेषज्ञों का मानना है कि कर्नाटक सरकार यदि कांग्रेस के सभी पांच गारंटी वादों को पूरा करती है तो इससे राज्य का राजस्व घाटा एक लाख 14 हजार करोड़ रुपये तक बढ़ सकता है. जान लें कि राज्य पहले से ही 5 लाख करोड़ रुपये के कर्ज में है. गारंटी पूरी किये जाने की स्थिति में संकट और अधिक गहरा सकता है. मामला यह है कि कांग्रेस ने कर्नाटक में पांच गारंटी का वादा किया था, इसके तहत महिलाओं को हर महीने 2000 रुपये, बेरोजगार ग्रेजुएट्स को 3000 रुपये, गरीब परिवारों को मुफ्त 10 किलो चावल, सरकारी बसों में महिलाओं को मुफ्त यात्रा और हर घर को 200 यूनिट मुफ्त बिजली जैसी योजनाएं शामिल थीं.