Vinit Upadhyay
Ranchi: लोगों को न्याय दिलाने के लिए हर तरह का संघर्ष करने वाले अधिवक्ताओं का मनोबल अब टूट रहा है. अधिवक्ताओं का एक वर्ग कोरोना की मार से उबर नहीं पाया है और उनकी ढीली होती जेब ने उन्हें वकालत के पेशे से मोह भंग कर दिया है. कोरोना के प्रकोप ने सभी वर्गों और हर तरह के काम करने वालों को काफी प्रभावित किया है. कोरोना के कारण लगे लॉकडाउन ने कई लोगों का रोजगार भी छीन लिया. अधिवक्ता वर्ग भी कोरोना के दुष्प्रभाव से काफी अछूता नहीं है.
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लगभग डेढ़ वर्ष से राज्य में न्यायपालिका वर्चुअल मोड़ पर काम कर रही
कोरोना के प्रभाव के कारण पिछले लगभग डेढ़ वर्ष से राज्य में न्यायपालिका वर्चुअल मोड़ पर काम कर रही है, ताकि न्यायिक कार्य बाधित न हों. लेकिन इस वर्चुअल व्यवस्था ने वैसे कई वकीलों की कमर आर्थिक रूप से तोड़ दी है. जानकारी के मुताबिक रांची समेत राज्य के कई जिलों के सैकड़ों अधिवक्ताओं ने मौजूदा स्थिति को देखते हुए फिलहाल अपना पेशा बदल कर दूसरे कामों पर ध्यान लगा दिया है. ताकि इस विषम परिस्थिती में उनके परिवारवालों का भरण पोषण हो सके.
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मिस्लीनियस कार्यों के जरिये करती है जीविकोपार्जन
वकीलों की एक बड़ी संख्या मिस्लीनियस कार्यों के जरिये ही जीविकोपार्जन करती है लेकिन वर्चुअल मोड़ में उनकी उपयोगिता थोड़ी कम हुई है.काम कम होने का असर उनकी कमाई पर भी पड़ा है.
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वकीलों को सिर्फ तारीख और आश्वास्न दिया गया
इन भीषण परिस्थितियों में वकीलों को आर्थिक सहायता के लिए अपनी संस्थाओं को काफी उम्मीद भरी नजरों से देखा, लेकिन जब जब वकीलों पर आर्थिक मार पड़ी जिला बार एसोसिएशन और स्टेट बार काउंसिल ने उन्हें हर सम्भव मदद का भरोसा दिलाया. लेकिन मदद के नाम पर वकीलों को सिर्फ तारीख और आश्वास्न दिया गया. रांची समेत धनबाद, हज़ारीबाग ,देवघर और गुमला जिले के अधिक्ताओं ने अपने बार के अधिवक्ताओं की बिगड़ती हालत देखकर उनकी मदद के लिए खुद सहयोग राशि दी और जरूरतमंद वकीलों को हर सम्भव मदद की.
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