- राज्यभर के बाजार प्रभावित
- काेयलाचंल और जमशेदपुर बंद का खासा प्रभाव देखा गया
- 225 करोड़ के नुकसान का अनुमान
दुकानों के नहीं खुले शटर
alt="" width="945" height="403" /> झारखंड राज्य कृषि उपज और पशुधन विपणन विधेयक 2022 के खिलाफ फेडरेशन ऑफ झारखंड चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के आह्वान पर झारखंड में खाद्यान्न व्यापार को आज से अनिश्चितकाल बंद है. व्यापारियों के मुताबिक यह कानून कारोबियों और किसानों के हित में नहीं है. अनिश्चितकाल बंद होने के कारण रांची के पंडरा स्थित कृषि बाजार समिति में बुधवार को 800 दुकानें बंद रही. जिसका खामयाजा 1500 दैनिक मजूदरों को झेलना पड़ा. व्यापारियों ने मांग की है कि इस बिल को सरकार वापस ले. रांची चेंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष संजय माहुरी ने कहा कि इस बिल के खिलाफ हमने 8 फरवरी को भी 1 दिन का बंद रखा था. उसके बाद आंदोलन चलाया ताकि सरकार हमारी बातों को सुने, लेकिन सरकार के कानों में जूं तक नहीं रेंगी. जिससे मजबूर होकर हमलोगों ने अनिश्चित काल खाद्यान्न की आवक और जावक को बंद करने का फैसला लिया. जिसका असर आने वाले समय में व्यवसाय पर पड़ेगा. साथ ही आम लोगों को भी परेशानी का सामना करना पड़ेगा. झारखंड चेंबर ऑफ कॉमर्स के महासचिव डॉ. अभिषेक रामाधीन ने कहा कि हम हमेशा से चाहते थे कि सरकार इस पर वार्ता कर कोई समाधान निकाले, लेकिन सरकार ने अब तक कोई पहल नहीं की है. इस मुद्दे को लेकर राज्यपाल से भी मिल चुकी है. अब यह आंदोलन तब तक जारी रहेगा, जब तक इस कानून को वापस नहीं लिया जाता. बता दें कि एक दिन की बंदी से पूरे राज्य में लगभग सवा सौ करोड़ के नुकसान की आशंका व्यक्त की जा रही है . राजधानी रांची में बंद को व्यापक रूप से सफल बनाने में चैंबर अध्यक्ष किशोर मंत्री, उपाध्यक्ष आदित्य मल्होत्रा, अमित शर्मा, महासचिव डा. अभिषेक रामाधीन, सह सचिव रोहित पोद्दार, शैलेष अग्रवाल, कोषाध्यक्ष सुनिल केडिया, कार्यकारिणी सदस्य राम बांगड, रांची चेंबर के अध्यक्ष संजय माहुरी, अनिल शर्मा, दीपक पोद्दार, आलू-प्याज संघ के अध्यक्ष मदन साहू, रोहित कुमार, पूर्व अध्यक्ष प्रवीण जैन छाबडा के अलावा सैकडों खाद्यान्न व्यवसायी शामिल थे.
alt="" width="600" height="400" /> कृषि बिल के खिलाफ धनबाद कृषि बाजार समिति समेत जिले के तमाम खाद्यान्न व्यवसायी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए हैं. बाज़ार समिति की 125 दुकान बंद हो चुकी हैं. अनिश्चितकालीन बंदी को लेकर माल की आवक और जावक बंद कर दी गई है. इससे पहले अनिश्चितकालीन बंदी की लिखित सूचना जिला खाद्यान्न व्यवसायी संघ ने उपायुक्त संदीप सिंह को दे दी थी. आंदोलन में खाद्यान्न, फल आलू-प्याज, खुदरा और थोक कारोबार पूरी तरह ठप है.
धनबाद
जिले के 55 चैंबर सदस्य आंदोलन के समर्थन में
alt="" width="1417" height="797" /> जिला चैंबर के अध्यक्ष चेतन गोयनका ने कहा कि सरकार की इस नीति का तमाम व्यवसायी विरोध करते हैं. उन्होंने कहा कि जिले में 55 चैंबर सदस्य हैं, जो खाद्यान्न, आलू - प्याज, फल, अंडा का कारोबार करते हैं. सभी ने 2% शुल्क लागू करने पर विरोध जताते हुए अनिश्चितकालीन बंदी का समर्थन किया है. सरकार को जल्द से जल्द गहराई से विचार विमर्श करना चाहिए, वरना राज्य को बुरा परिणाम झेलना पड़ेगा.
इन लोगों ने किया बंद का समर्थन
बंदी को समर्थन देने के लिए बरवाअड्डा चेंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष विनोद गुप्ता, जितेंद्र अग्रवाल, विवेक अग्रवाल, दीपक कटेसरिया, सुरेंद्र जिंदल, गौरव गर्ग, विक्की सवाडिया, रिंकू बंसल,अमित अग्रवाल, झरिया चेंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष अमित साहू, प्रेम प्रकाश जालान, कन्हैया कटेसरिया, दुर्गा बाबू , सुनील अग्रवाल, शंभू अग्रवाल,ओम प्रकाश जालान, संजय अग्रवाल, सुभाष जालूका, बबलू वर्णवाल, अरुण भिवानी वाला, विनोद नेता, आशीष अग्रवाल, मनीष अग्रवाल, अमित जालान, अमित भूतगड़िया, विकास अग्रवाल, संदीप भिवानीवाला ,दीपक अग्रवाल, रूपेश करीवाला, राजीव सांवतिया, संजय अग्रवाल, प्रदीप सांवरिया, अमित गोयल चिकी अग्रवाल सहित अन्य व्यवसयी मौजूद थे. झारखंड सरकार की ओर से कृषि कर विधेयक लाने के खिलाफ बुधवार को व्यापारी वर्ग सड़क पर उतर आया. पूर्व घोषणा के अनुसार खाद्यान्न व्यापारियों ने अपने प्रतिष्ठान बंद रखे. कुछ व्यापारियों ने तो स्वेच्छा से ही बंदी के समर्थन में अपनी दुकान को बंद रखा. वहीं बंद समर्थक सड़कों पर उतरे और इक्का-दुक्का खुली दुकानों को बंद कराया. बंदी में खुदरा और थोक दोनों तरह के खाद्यान्न व्यापारी शामिल हैं. इस दौरान व्यापारियों ने सरकार से दो प्रतिशत मंडी कर वापस लेने की मांग की. उन्होंने कहा कि दो प्रतिशत मंडी कर का मतलब है कि आम जनता की जेब पर बोझ बढ़ेगा, जबकि जनता पहले से ही महंगाई से त्रस्त हैं.जमशेदपुर
परसुडीह मंडी के फल दुकानदारों का समर्थन
alt="" width="1024" height="768" /> बंदी के दौरान परसुडीह स्थित मंडी में फलों की दुकानें खुली देखी गयीं. दुकानदारों ने बताया कि आगामी 18 फरवरी को महाशिवरात्रि है. इसे ध्यान में रखते हुए उन्होंने अधिक माल मंगा लिया था. चूंकि फल कच्चा सामान है. उसे रखा नहीं जा सकता है. इसलिए उन्होंने दुकानें खोल रखी हैं. बावजूद बंदी को उनका नैतिक समर्थन है. साथ ही 18 फरवरी के बाद वे भी अपनी दुकानें बंद कर पूर्ण रूप से आंदोलन में शामिल हो जायेंगे.
विधेयक वापसी तक बंद रहेंगी सभी दुकानें
alt="" width="945" height="533" /> खाद्यान्न दुकानदारों ने बताया कि दो प्रतिशत कृषि कर का मतलब है कि सभी तरह के खाद्यान्न महंगे हो जायेंगे. दाल के भाव में दो रुपये, तो तेल में प्रति लीटर तीन रुपये की बढ़ोत्तरी हो जायेगी. इसलिए झारखंड सरकार को इस पर फिर से विचार करना चाहिए. व्यापारी अपनी इस मांग पर अडिग हैं और जबतक मांग पूरी नहीं हो जाती, तब तक उनके प्रतिष्ठान बंद रहेंगे. ठेले, रेहड़ी वालों से लेकर पिकअप वैन वाले तक प्रभावितबंदी की वजह से जहां खाद्यान्न व्यवसाय प्रभावित है, वहीं ठेले, रेहड़ी और पिकअप वैन वाले भी प्रभावित हैं. साकची चक्की लाइन से लेकर परसुडीह मंडी तक इसका प्रभाव देखने को मिला. इन माल वाहकों का प्रतिदिन खाद्यान्न की ढुलाई कर गुजारा चलता है.
हजारीबाग
कृषि विधेयक पर सरकार को दी गई समय सीमा खत्म होते ही बुधवार को हजारीबाग जिले अनाज के आवक पर रोक लगा दी गयी. खाद्यान्न व्यवसायियों की दुकानें बंद रहीं. इससे आम लोगों के साथ ही साथ दिहाड़ी मजदूरों को परेशानियों का सामना करना पड़ा. लोग चावल, दाल, चना, तेल जैसे खाद्यान्नों के साथ ही साथ आलू, प्याज की खरीदारी नहीं कर पा रहे हैं. दुकानें बंद रख किराना व खाद्यान्न व्यवसायियों ने राज्य सरकार के खिलाफ जमकर प्रदर्शन किया. व्यवसायियों ने नारे लगाए ‘राज्य सरकार होश में आओ, कृषि बिल विधेयक वापस लो.alt="" width="1417" height="1063" />
अब और बड़ा आंदोलन होगा :शंभूनाथ अग्रवाल
alt="" width="1024" height="385" /> उत्तरी छोटानागपुर चैंबर ऑफ कॉमर्स हजारीबाग के अध्यक्ष शंभूनाथ अग्रवाल ने कहा है कि राज्य सरकार को दी गयी समयावधि (14 फरवरी ) खत्म हो चुकी है. पूर्व घोषणा के मुताबिक अब राज्यभर में कृषि शुल्क विधेयक के खिलाफ व्यवसायियों ने मोर्चा खोल दिया है. खाद्यान्न की आवाजाही पर रोक लगा दी कई है. अब पूरे राज्य भर के व्यवसायी बड़े आंदोलन की रणनीति तैयार कर रहे हैं.
बरही: बाजार बंद रहे, व्यवसायियों ने जमकर नारेबाजी की
कृषि विपणन विधेयक 2022 के खिलाफ बरही के व्यवसायियों ने बुधवार से अनिश्चितकाल कारोबार बंद रखने का आह्वान किया है. व्यवसायी संघ के प्रखंड अध्यक्ष कपिल केसरी के नेतृत्व में व्यवसायियों ने राज्य सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया. व्यवसायियों ने इस विधेयक को काला कानून और इंस्पेक्टर राज की संज्ञा देते हुए राज्य सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की. अध्यक्ष कपिल केसरी ने बताया कि वन नेशन वन टैक्स के तहत उनलोगों ने जीएसटी का समर्थन किया. इसमें केंद्र और राज्य दोनों का टैक्स समहित है. बावजूद यह दो प्रतिशत का टैक्स लागू कर सरकार ने व्यवसायियों को टैक्स कलेक्शन मशीन बना दिया है. न किया. व्यवसायी संघ चंदवा के आह्वान पर व्यापारियों ने सरकार के काले कानून का विरोध अपने प्रतिष्ठानों को बंद करके कर रहे हैं. मालूम हो कि राज्यव्यापी अनिश्चितकालीन हड़ताल का समर्थन करने का निर्णय मंगलवार को किया गया था. चंदवा कुसुम टोली के अजीत बताते हैं बुधवार को बाजार लगता था. हमलोग साप्ताहिक बाजार में हरी साग-सब्जियों के साथ अन्य दैनिक सामान की खरीदारी करते हैं. लेकिन बुधवार को हड़ताल के कारण बाजार बंद रहा.चक्रधरपुर
झारखंड राज्य कृषि उपज एवं पशुधन विपणन विधेयक लागू किये जाने के विरोध में बुधवार से चक्रधरपुर में खाद्यान्न दुकानदारों और वनोपज संबंधित कारोबार करने वाले लोगों ने अपनी दुकान व प्रतिष्ठान बंद रखकर रोष जताया. हालांकि चक्रधरपुर में अन्य दुकानें और बाजार खुले रहे. चक्रधरपुर के गुदड़ी बाजार, बाटा रोड, तम्बाकू पट्टी रोड, कपड़ा पट्टी रोड, इतवारी बाजार समेत अन्य स्थानों पर खाद्यान्न सामाग्रियों की दुकानें व आलू-प्याज के दुकानों को दुकानदारों ने बंद रखा. एक दिन पहले चाईबासा चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज के पदाधिकारियों ने 15 फरवरी से कृषि शुल्क विधेयक के विरोध में खाद्यान्न दुकानों को अनिश्चितकाल तक बंद रखने का अह्वान किया था. इसे लेकर ही दुकानदारों ने दुकानें बंद रखीं.चाईबासा
राज्य कृषि उत्पादन और पशुधन विपणन विधेयक 2022 के तहत दो प्रतिशत शुल्क लगाने वाले शुल्क के विरोध में बुधवार को शहर के सभी प्रतिष्ठान बंद रहे. बंद का आह्वान चाईबासा चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज ने किया था. इसके तहत थोक और खुदरा व्यापारियों ने अपने-अपने प्रतिष्ठान बंद रखें. इन दुकानों में किराने भी दुकानें भी शामिल थी. चुकी यह बंदी सरकार की नीतियों के विरोध में जिला स्तर पर बुलाई गई थी और पूर्व निर्धारित थी जिस कारण शहर में चहल-पहल भी काफी कम दिखी. खरीदारी करने वाले लोगों का आना जाना कम था. झारखंड चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज के उपाध्यक्ष नीतिन प्रकाश ने बताया कि सरकार की नीतियों के विरोध में यह बंद बुलाया गया है. सरकार को इस कृषि बिल को वापस लेना होगा. कृषि कर बढ़ाए जाने के कारण सामानों के मूल्य में वृद्धि भी संभव है. इसे देखते हुए यह बंद बुलाया गया है.पाकुड़
alt="" width="1417" height="1064" /> कृषि शुल्क के विरोध में खाद्यान्न व्यवसायियों के बंद का पाकुड़ ज़िला में व्यापक असर देखा गया. शहर के सभी बाज़ारों के साथ-साथ ग्रामीण इलाको में भी दुकानें बंद रहीं. चेंबर ऑफ कॉमर्स पाकुड़ के सचिव संजीव खत्री के नेतृत्व व्यवसायियों ने सड़क पर मार्च निकाला. हरिणडंगा बाजार, अंबेडकर चौक, बिरसा चौक, मालपहाडी सहित कालिकापूर में दर्जनों व्यापारी कृषि बिल के विरोध में सड़क पर उतरे और झारखंड सरकार हाय-हाय, कृषि मंत्री हाय-हाय, काला कानून वापस लो के नारे लगाये. सचिव संजीव खत्री ने कहा कि कच्चे-पक्के सहित सभी दुकानदार एकजुट होकर हड़ताल का समर्थन कर रहे हैं. झारखंड सरकार ने कृषि उपज व पशुधन विपणन विधेयक में 2 प्रतिशत कृषि बाजार समिति शुल्क के प्रस्ताव से प्रदेश में खाद्यान्न व्यवसाय, चावल, आटा समेत खाद्य सामग्री उत्पादन ईकाईयों के उद्यमियों के लिए जीवन मरण जैसी स्थिति हो गयी है.
रामगढ़
alt="" width="1417" height="1063" /> झारखंड में कृषि टैक्स को लेकर अब व्यापारी आर-पार की लड़ाई के मूड में है. झारखंड सरकार द्वारा लगाये गये कृषि कर के विरोध में व्यवसायी संघ ने दुकानों को अनिश्चितकाल के लिए बंद कर दिया है. इस दौरान व्यवसायियों ने झारखंड सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की. साथ ही सरकार से कृषि कर वापस लेने की मांग की. चेंबर ऑफ कॉमर्स और इंडस्ट्री के क्षेत्रीय उपाध्यक्ष अमित साहू ने कहा कि राज्य सरकार के इस काले कानून को व्यवसायी किसी भी हाल में नहीं मानेंगे. इस कानून से भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलेगा. जनता पर महंगाई का बोझ बढ़ेगा. सरकार जब तक कृषि टैक्स को वापस नहीं लेती हैं, हमारा आंदोलन जारी रहेगा. बंद समर्थको में व्यवसायी विनय कुमार अग्रवाल, प्रदीप गुप्ता, तेजपाल महतो, जानकी महतो, सांवरमल अग्रवाल, नंदकिशोर दांगी, मुकेश अग्रवाल, श्रवण कुमार, विनोद साव, सहित कई लोग मौजूद रहे.
देवघर
alt="" width="1417" height="803" /> कृषि विधेयक कानून के विरोध में संथाल परगना चैंबर ऑफ कॉमर्स के आह्वान पर बुधवार को खाद्य दुकानदारों ने अपनी दुकानें पूरी तरह से बंद रखी. देवघर के सबसे व्यस्ततम बाजारों में लक्ष्मी बाजार, सब्जी मंडी, सुभाष चौक, बाजला चौक, गणेश मार्केट सहित विभिन्न बाज़ारों में सन्नाटा पसरा रहा. बंद के दौरान संथाल परगना चैंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष आलोक मलिक की अगुवाई में चैंबर सदस्यों और व्यापारियों ने एकजुटता दिखाते हुए सड़क पर उतर कर प्रदर्शन किया. साथ ही मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के खिलाफ जमकर नारेबाजी भी की. आलोक मलिक ने कहा कि अगर कृषि विधेयक बिल वापस नहीं लिया जाता है तो यह अनिश्चितकालीन हड़ताल जारी रहेगी और इसके ज़िम्मेवार मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन होंगे. व्यापारियों ने कहा कि सरकार को इस बिल को हर हाल में वापस लेना होगा.
बालूमाथ
alt="" width="1417" height="638" /> कृषि बिल के विरोध में राज्य भर के व्यापारियों-उद्यमियों के अग्रणी संगठन फेडरेशन ऑफ झारखंड चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज के आह्वान पर बालूमाथ के किराना व गल्ला व्यवसायियों ने अपने-अपने प्रतिष्ठान बंद रख कर विधेयक का विरोध किया. सुबह से ही व्यवसायी टोली बनाकर किराना व गल्ला दुकानदारों को सरकार द्वारा बाजार समिति में दो फीसदी कृषि कर लगाए जाने के खिलाफ घूम-घूम कर प्रतिष्ठानों को बंद रखने का आह्वान किया. सभी व्यवसायियों ने इस विधेयक को जन विरोधी एवं मंहगाई बढ़ानेवाला बताते हुए जनहित में इसे वापस लेने की मांग की. प्रतिष्ठानों के बंद रहने से आमलोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ा. व्यवसाय ठप रहने के कारण इससे जुड़े मोटिया मजदूर सहित अन्य माध्यम से जीवनयापन करने वाले लोगों के समक्ष रोजी-रोटी का संकट रहा. व्यापारियों ने बताया कि अनिश्चितकालीन बंद रखने का निर्णय चैंबर द्वारा लिया गया है.
कोडरमा
alt="" width="1417" height="1063" /> झारखंड चैंपर ऑफ़ कॉमर्स के आह्वान पर बुधवार से राज्य व्यापी झारखंड बंद के तहत कोडरमा में व्यापक असर रहा. बाजार समिति में दो प्रतिशत टैक्स बढ़ाने के विरोध में अनिश्चितकालीन हड़ताल का पहला दिन स्वतः स्फूर्त शहर में पांच सौ से अधिक थोक एवं खुदरा दुकानों के अलावा, स्मार्ट बाजार, दो राइस मिले भी बंद रही. वहीं आटा मैदा के फ्लावर मिल भी बंद रहे. इसके साथ ही मालों का आवक और जावक भी बंद कर दिया गया है. हड़ताल से करीब 50 लाख रुपया के नुकसान का अनुमान है. ऐसे में हड़ताल अगर लंबी चलती है तो मवेशियों को चोकर खली के अलावा लोगों के लिए राशन, तेल, रिफाइन आदि उपलब्ध नहीं होने से होटलों में भी प्रतिकूल असर पड़ेगा. वहीं सड़कों के किनारे लगने वाले गुपचुप, समोसा आदि के ठेले भी प्रभावित होंगे.
दुमका
alt="" width="1417" height="797" /> दो प्रतिशत कृषि शुल्क के विरोध में दुमका में व्यवसायियों का बंद असरदार रहा. हटिया परिसर में लगने वाली सब्जी की थोक मंडी समेत शहर के सभी गल्ला थोक बिक्रेताओं ने बुधवार को अपनी दुकानों को बंद रखा. दुमका चैम्बर ऑफ कमर्स एंड इंडस्ट्री के अध्यक्ष मो.मुस्ताक अली की अध्यक्षता में बंद को लेकर मंगलवार को हटिया परिसर में बैठक आयोजित की गई थी. जिसमें सभी खुदरा तथा थोक विक्रेताओं ने बंद पर अपनी सहमति दी थी. थोक सब्जी विक्रेता आनंद केशरी का कहना है कि झारखंड सरकार ने कृषि उपज एवं पशुधन कानून लाया है. जिसका सीधा असर आम लोगों की रसोई पर पड़ेगा. खाने की थाली महंगी हो जाएगी. उन्होंने इसे काला कानून करार दिया और कहा कि जब तक सरकार इसे वापस नहीं लेती, आंदोलन ज़ारी रहेगा. चैम्बर का मानना है कि इससे व्यापार करने में कठिनाइयां होगी और अफसरशाही का सामना करना पड़ेगा.
किरीबुरू
alt="" width="1417" height="639" /> झारखंड सरकार की ओर से खाद्यान्न खरीददारों से 2 फीसदी कृषि बाजार टैक्स व तुरंत नष्ट होने वाले कृषि उपज पर एक फीसदी टैक्स लागू करने के विरोध में तथा चैम्बर ऑफ कॉमर्स, चाईबासा के अह्वान पर 15 फरवरी की अहले सुबह से हीं किरीबुरु एवं मेघाहातुबुरु शहर की तमाम राशन व खाद्यान्न दुकानें बंद रही. राशन आदि दुकानें बंद रहने की वजह से शहर के उपभोक्ताओं, खासकर रोज कमाने और खाने वाली गरीब जनता को खाद्यान्न और राशन सामग्री नहीं मिलने की वजह से भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. किरीबुरु के इतिहास में यह पहला अवसर है जब किरीबुरु की दुकानें पूरी तरह से बंद हुई है. इससे पहले दुकानदारों ने नक्सलियों अथवा राजनीतिक संगठनों के किसी भी बंद के अह्वान पर कभी भी अपनी दुकानें बंद नहीं रखी. सुबह सभी राशन दुकानें बंद रहीं.
लातेहार
alt="" width="1024" height="771" /> झारखंड राज्य कृषि उपज और पशुधन विपणन (संवर्धन और सुविधा) विधेयक 2022 के विरोध में लातेहार चैंबर ऑफ कॉमर्स ने बुधवार को जिले के कृषि एवं खाद्यान्न दुकानें बंद रही. व्यापारियों ने स्वेच्छा से अपनी दुकान और प्रतिष्ठानों को 15 फरवरी को बंद रखा. लातेहार चैंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष सुशील कुमार अग्रवाल की अगुवाई में व्यवसायी सड़क पर उतरे और दुकानों को बंद करने की अपील की. व्यवसायियों ने इस दौरान झारखंड सरकार के खिलाफ जम कर नारेबाजी की और कृषि बिल को वापस लेने की मांग की. व्यवसायियों ने शहर के रेलवे स्टेशन क्षेत्र के अलावा लातेहार शहर की सड़कों पर पैदल मार्च किया. मौके पर उपाध्यक्ष गजेंद्र प्रसाद शौंडिक, विनोद कुमार महलका, प्रमोद प्रसाद साहु, राजबलम प्रसाद, विनोद प्रकाश मल्लान,श्याम अग्रवाल, निर्दोष प्रसाद गुप्ता, उज्जवल साहु, अनिल प्रसाद, आशीष प्रसाद, प्रदीप प्रसाद, अनूप प्रसाद, संजय प्रसाद व राजन प्रसाद आदि उपिस्थत थे.
चाकुलिया
alt="" width="945" height="459" /> चाकुलिया के मिलर्स एसोसिएशन के बैनर तले अपने पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के तहत बुधवार से यहां के खाद्यान्न के तमाम व्यापारियों ने कारोबार बंद कर दिया. चावल मालिक और अनाज के थोक विक्रेता ने बाजार समिति शुल्क को पुनः लागू करने के खिलाफ अनिश्चितकालीन बंदी की है. यहां की चावल मिलें बंद हैं. अनाज के थोक विक्रेताओं ने भी अपने प्रतिष्ठान को बंद रखा है. मिलर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष दीपक कुमार झुनझुनवाला और सचिव विनीत कुमार रूंगटा ने बताया कि यहां के खुदरा विक्रेता 15 फरवरी को अपनी दुकानें बंद रखेंगे. जबकि मिलर्स और थोक विक्रेता अनिश्चितकालीन के लिए व्यापार बंद करेंगे. यहां की सभी चावल मिलें बंद हैं. थोक विक्रेताओं ने भी अपने प्रतिष्ठानों को बंद रखा है. आज खुदरा दुकानदारों ने भी अपनी दुकानें बंद रखी हैं. इसके कारण खरीदारों को परेशानियां हो रही हैं. [wpse_comments_template]