Soumitra Roy
भारत सरकार दुनियाभर में लोकतंत्र की समर्थक रही है. कहने को मोदी काल में भी भारत सरकार दुनिया भर में लोकतंत्र का पैरोकार है. पर, यही सरकार पड़ोसी देश म्यांमार में सैनिक शासन के नरसंहार पर चुप है. नरसंहार किसका हुआ है. वो कौन लोग हैं, जो मारे गये. वही 500 से अधिक लोग जो म्यांमार में लोकतंत्र की बहाली के लिए प्रदर्शन कर रहे हैं. आंदोलन कर रहे हैं.
पड़ोसी देश में सेना द्वारा 500 से अधिक नागरिकों की हत्या पर भारत सरकार चुप है. क्यों? क्या चुप्पी की वजह अडानी ग्रुप है! जिसने म्यांमार की सेना द्वारा नियंत्रित बंदरगाह के निर्माण में 68 मिलियन डॉलर लगाया है. हालांकि अडानी ग्रुप ने ऐसी खबरों का खंडन किया है और कहा है कि म्यांमार में ऐसी कोई डील नहीं हुई है.
इन सबके बीच ABC न्यूज ने एक खबर प्रकाशित किया है. जिसका शीर्षक है- The Adani Group denies engaging with Myanmar’s military leadership over port deal but video suggests otherwise.
ABC न्यूज ने लीक दस्तावेज़ की कॉपी, फोटो और वीडियो हैं के हवाले से खबर में वीडियो लगाया है, जिसमें अडानी ग्रुप पोर्ट्स के मालिक करण अडाणी को वर्ष 2019 में सरकार के शीर्ष जनरल के साथ दिखाया गया है. दस्तावेजों में अडानी की सहायक कंपनी को ज़मीन की लीज के लिए शुल्क के बतौर पैसा देते हुए दिखाया गया है.
ये सारा पैसा म्यांमार इकनोमिक कॉरपोरेशन को गया है. जिसका नियंत्रण सैन्य सरकार के पास है. इसी सैन्य सरकार के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में युद्ध अपराध, मानवाधिकार हनन और रोहिंग्या मुसलमानों के नरसंहार का मुकदमा दायर है. दस्तावेज में के हवाले से लिखा गया है कि सैन्य सरकार इस पैसे का उपयोग नरसंहार के लिए कर सकती है. यह हो रहा है.
भारत में अब यह आरोप को चुपके-चुपके वाली बात नहीं है कि मोदी सरकार अडानी ग्रुप को फायदा पहुंचाने के लिये काम करती है. पहले सिर्फ राहुल गांधी यह बोला करते थे. अब किसानों ने आंदोलन के दौरान इसे खुलेआम कर दिया है. हालांकि इस पर ना तो कोई जांच होगी या ना अडानी ग्रुप से संबंधों को लेकर मोदी सरकार को कटघरे में खड़ा किया जायेगा.
ऐसे में देश में भले ही कम लोग सवाल उठायें, पर अंतराष्ट्रीय स्तर पर यह सवाल उठने लगा है क्या म्यांमार नरसंहार पर मोदी सरकार की चुप्पी की वजह अडानी ग्रुप है! आज नहीं तो कल भारत सरकार को इसका जवाब देना ही पड़ेगा कि जब पड़ोसी राज्य में सेना नरसंहार कर रही थी. तब दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश और लोकतंत्र का सबसे बड़ा पैरोकार होने का दंभ करने वाली देश की मोदी सरकार चुप क्यों रही.
डिस्क्लेमर : ये लेखक के निजी विचार हैं.