Ranchi : रांची नगर निगम में इन दिनों नगर आयुक्त मुकेश कुमार के साथ मेयर आशा लकड़ा का विवाद काफी आगे बढ़ गया है. मेयर नगर आयुक्त पर लगातार आरोप लगा रही है कि नगर आयुक्त अपनी जिम्मेदारी छोड़कर सिर्फ और सिर्फ राजनीति कर रहे हैं. ऐसा वे राज्य सरकार और नगर विकास सचिव के निर्देश पर कर रहे हैं. इस विवाद का असर निगम के कार्यों पर तो पड़ ही रहा है, मेयर अब निगम की ही योजना पर सवाल उठा रही हैं. हालांकि मेयर और नगर आयुक्तों के साथ विवाद कोई नया नहीं है. मेयर का हर टर्म में नगर आयुक्तों के साथ विवाद आम ही रहा है. हालांकि उस समय में बीजेपी सत्ता में थी तो यह विवाद ज्यादा तूल नहीं पकड़ा. लेकिन इस बार नगर आयुक्त मुकेश कुमार के साथ विवाद काफी गहरा गया है.
विवाद इतना कि मेयर और नगर आयुक्त सशरीर कोर्ट में हुए थे उपस्थित
अप्रैल 2017 को नगर आयुक्त प्रशांत कुमार के साथ मेयर का विवाद काफी चर्चा में था. विवाद इतना बढ़ा था कि मेयर आशा लकड़ा सहित नगर आयुक्त को कोर्ट में सशरीर उपस्थित होना पड़ा. विवाद का मुद्दा था शहर में स्ट्रीट लाइट का मेंटेनेंस करने वाले ब्राइट न्यून कंपनी को टेंडर मिलना. स्ट्रीट लाइट लगाने का काम सूर्या कंपनी को दिया गया था. लेकिन मेंटेनेंस का काम ब्राइट न्यून कंपनी को मिला. मेयर का कहना था कि इससे निगम को सलाना 7 करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है. मेयर ने नगर आयुक्त को उच्च स्तरीय जांच करने का आदेश दिया. नगर आयुक्त ने जो जांच रिपोर्ट मेयर को भेजी, उसमें उन्होंने ब्राइट न्यून कंपनी को क्लीन चिट देते हुए मेयर के आरोपों को तथ्यहीन बताया. जब मामला कोर्ट पहुंचा तो मेयर ने कहा कि टेंडर के बारे में मुझसे राय नहीं ली जाती है.
शांतनु अग्रहरि के साथ भी मेयर का विवाद काफी सुर्खियों में रहा
• पहला विवाद सीसीटीवी कैमरा लगाने को लेकर सामने आया. मेयर का कहना था कि सीसीटीवी लगाने का काम निगम के अधीन नहीं आता है. अधिनियम में इसका उल्लेख नहीं है. फिर भी नियम विरुद्ध टेंडर किया गया. इसपर तत्कालीन नगर आयुक्त शांतनु अग्रहरि का तर्क था कि हर दिन चेन स्नेचिंग, ट्रैफिक मिस मैनेजमेंट से लोगों को रू-ब-रू होना पड़ता है. ऐसे में सीसीटीवी शहर की जरूरत है.
• ब्राइट न्यून कंपनी को लेकर भी मेयर और नगर आयुक्त आमने सामने रहे. समय सीमा पूरी होने के बाद भी ब्राइट कंपनी की दो माह के एक्सटेंशन पर मेयर ने कहा कि नियमत: यह प्रस्ताव निगम बोर्ड के बैठक में आनी चाहिए थी. लेकिन आपने नगरपालिका अधिनियम का उल्लंघन कर कंपनी को यह काम सौंप दिया. स्पष्ट है कि इस कंपनी को आगे बढ़ाने में निगम अधिकारियों की भी भूमिका है.
• शांतनु अग्रहरि के साथ भी विवाद स्टेक होल्डर बैठक को लेकर भी दिखा. बैठक आयोजित करने पर तो मेयर ने नगर आयुक्त शांतनु अग्रहरि को नोटिस जारी तक किया. मेयर ने नगर आयुक्त से 10 मार्च तक जवाब मांगा. नोटिस में मेयर ने पूछा है कि बैठक की फाइल मेरे कार्यालय में पड़ी हुई थी. बैठक को लेकर कोई तिथि निर्धारित नहीं हुआ था. इसके बाद भी नगर आयुक्त ने अधिकारियों के साथ मिल कर बैठक कर लिया.
नया विवाद को काफी बढ़ा, मेयर लगातार कर रही विरोध और नगर आयुक्त लगातार बना रहे योजना
नये नगर आयुक्त मुकेश कुमार के साथ विवाद काफी बढ़ गया है. मेयर आशा लकड़ा लगातार विरोध कर रही हैं, तो नगर आयुक्त इसे नजरअंदाज कर योजना बनाकर काम कर रहे हैं.
• पहली बार विवाद टैक्स कलेक्शन कंपनी स्पेरो सॉफ्टेक को लेकर दिखा. नयी कंपनी श्री पब्लिकेशन को राजस्व वसूली का काम मिलने से विवाद काफी गरमा गया. हालांकि बाद में काम श्री पब्लिकेशन को ही मिला.
• कोरोना संक्रमण को लेकर शहर की सफाई व्यवस्था के लिए नगर आयुक्त को मेयर ने कई बार बैठक में शामिल होने का निर्देश दिया. लेकिन हर बार की तरह नगर आयुक्त बैठक से नदारद ही रहे. इतना ही नहीं अधीनस्थ अधिकारी भी बैठक में शामिल नहीं हुए. इससे मेयर नगर आयुक्त पर सरकार के निर्देश पर काम करने का आरोप लगा रही हैं.
• एक विवाद टेंडर कार्यों को लेकर है. पिस्का मोड़ प्रस्तावित वेंडर मार्केट और रातू रोड सड़क के दोनों ओर Paver Block का टेंडर शामिल है. मेयर पूछ रही हैं कि इससे संबंधित प्रस्ताव पर स्थायी समिति एवं निगम परिषद से स्वीकृति नहीं ली गयी. लेकिन नगर आयुक्त इसका कोई जवाब नहीं दे रहे हैं.
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