Lagatar
: E-Paper
No Result
View All Result
  • होम
  • न्यूज़ डायरी
    • सुबह की न्यूज़ डायरी
    • शाम की न्यूज़ डायरी
  • झारखंड न्यूज़
    • दक्षिण छोटानागपुर
      • रांची न्यूज़
      • खूंटी
      • गुमला
      • सिमडेगा
      • लोहरदग्गा
    • कोल्हान प्रमंडल
      • जमशेदपुर
      • चाईबासा
      • सरायकेला
    • उत्तरी छोटानागपुर
      • हजारीबाग
      • रामगढ़
      • चतरा
      • गिरिडीह
      • कोडरमा
    • कोयला क्षेत्र
      • धनबाद
      • बोकारो
    • पलामू प्रमंडल
      • पलामू
      • गढ़वा
      • लातेहार
    • संथाल परगना
      • दुमका
      • देवघर
      • जामताड़ा
      • गोड्डा
      • साहिबगंज
      • पाकुड़
  • देश-विदेश
  • बिहार
  • ऑफबीट
  • आखर
  • ओपिनियन
  • खेल
  • व्यापार
  • मनोरंजन
  • हेल्थ
  • English
  • होम
  • न्यूज़ डायरी
    • सुबह की न्यूज़ डायरी
    • शाम की न्यूज़ डायरी
  • झारखंड न्यूज़
    • दक्षिण छोटानागपुर
      • रांची न्यूज़
      • खूंटी
      • गुमला
      • सिमडेगा
      • लोहरदग्गा
    • कोल्हान प्रमंडल
      • जमशेदपुर
      • चाईबासा
      • सरायकेला
    • उत्तरी छोटानागपुर
      • हजारीबाग
      • रामगढ़
      • चतरा
      • गिरिडीह
      • कोडरमा
    • कोयला क्षेत्र
      • धनबाद
      • बोकारो
    • पलामू प्रमंडल
      • पलामू
      • गढ़वा
      • लातेहार
    • संथाल परगना
      • दुमका
      • देवघर
      • जामताड़ा
      • गोड्डा
      • साहिबगंज
      • पाकुड़
  • देश-विदेश
  • बिहार
  • ऑफबीट
  • आखर
  • ओपिनियन
  • खेल
  • व्यापार
  • मनोरंजन
  • हेल्थ
  • English
No Result
View All Result
Lagatar News
No Result
View All Result
  • होम
  • न्यूज़ डायरी
  • झारखंड न्यूज़
  • देश-विदेश
  • बिहार
  • ऑफबीट
  • आखर
  • ओपिनियन
  • खेल
  • व्यापार
  • मनोरंजन
  • हेल्थ
  • English

समाज की खुशहाली का पैमाना

by Lagatar News
05/06/2023
in ओपिनियन
समाज की खुशहाली का पैमाना

Dr. Mayank Murari

यूनाइटेड नेशन की संस्था सस्टनेबल डेवलपमेंट सॉल्युशन नेटवर्क ने विश्व भर के खुशहाल देशों की सूची निकाली है, जिसमें फिनलैंड पहले स्थान पर है और भारत 136 देशों की सूची में 125 वें स्थान पर है. डेनमार्क दूसरे और तीसरे स्थान पर आइसलैंड है. यह वैश्विक खुशहाली सूचकांक सामाजिक सहयोग, आय, स्वतंत्रता, उदारता और भ्रष्टाचार के पैमाने पर निकाला गया है. पिछले साल 146 देशों में भारत 135 वें स्थान पर था. इस सूची की सबसे बड़ी खासियत यह है कि भारत का स्थान बांग्लादेश, नेपाल, चीन और यूक्रेन से भी नीचे है, जो इस सूचकांक के आधार पर सवालिया निशान लगाते हैं. खुशहाली जानने के लिए देश की जीडीपी, वहां प्रति व्यक्ति जीवन की गुणवत्ता और जीवन की प्रत्याशा देखी जाती है, लेकिन क्या यही खुशहाली का पैमाना है. इसमें जो मानक अपनाए गये हैं, उसपर कई बार सवाल किया गया है.

खुशहाली में गरीबी को बाधक माना गया है. भारत ऐसा देश है, जहां कहा गया कि मन लागो मेरो यार फकीरी में, जो सुख पावो राम भजन में, वह सुख नहीं अमीरी में. अब इसका क्या? सुख और खुशी के पैमाने के लिए आय, स्वतंत्रता, उदारता आदि सूचकांक हो सकते हैं, लेकिन व्यक्ति इसको पाकर ही खुश रहे, यह जरूरी नहीं है. ये नहीं रहने पर भी व्यक्ति खुश रह सकता है. आज समाज की खुशी मापने के लिए अलग-अलग सर्वे विकसित किये गये हैं. वेलबीइंग यानी बेहतरी, लाइफ सटिस्फेशन यानी जीवन में संतुष्टि और वर्ल्ड वैल्यूज सर्वे यानी दुनिया के मूल्य सर्वेक्षण आदि. इन पैमाने पर सर्वे उन्हीं देशों में किया गया, जिन्हें दुनिया आज विकसित और समृद्ध देश कहता है. खुशहाली का एक भूटान मॉडल है. सकल राष्ट्रीय खुशी (जीएनएच) के अध्ययन में यह बात सामने आयी है कि सबसे अधिक खुश समृद्ध देश नहीं हैं, जैसा सामान्यतः माना जाता है.

सकल राष्ट्रीय खुशी (जीएनएच), जिसे कभी-कभी सकल घरेलू खुशी (जीडीएच) कहा जाता है , एक दर्शन है, जिसका उपयोग सामूहिक सुख और जनसंख्या के कल्याण को मापने के लिए किया जाता है. 18 जुलाई 2008 को लागू भूटान के संविधान में भूटान सरकार के लक्ष्य के रूप में सकल राष्ट्रीय खुशहाली सूचकांक स्थापित किया गया है. 1972 में भूटान के चौथे राजा, जिग्मे सिंग्ये वांगचुक द्वारा अवधारणा के रूप में सकल राष्ट्रीय खुशी शब्द को सकल घरेलू उत्पाद से अधिक महत्वपूर्ण घोषित किया गया था तथा भलाई के गैर-आर्थिक पहलुओं को समान महत्व दिया गया. जीएनएच सकल घरेलू उत्पाद से अलग है. इसमें सतत न्यायसंगत आर्थिक विकास, पर्यावरण संरक्षण, संस्कृति का संरक्षण और संवर्द्धन तथा सुशासन जैसे तत्वों को शामिल किया गया है. जब राज्य या सार्वजनिक जीवन में निजी खुशी का कोई मायने नहीं होता है.

परहित का सुख ही निजी जीवन होता है. ऐसे में सरकार के स्तर पर समाज को खुश रखना कैसे संभव है ? पहली बार 2011 में हैपीनेस यानी खुशी पर मार्टिन सेगिमैन ने दी इकोनामिस्ट पत्रिका में एक लेख लिखकर बताया कि यह सरकार का काम है कि वह अपने लोगों को खुश रखे. जबकि हजारों साल से खुशी भारत में एक व्यक्तिगत या निजी प्रसंग है. भारत के संदर्भ में जब हम खुशहाली की तलाश करते है तो हमें याद रखना होगा कि पहले त्याग, सेवा, बलिदान, निःस्वार्थ भाव और करुणा में खुशी तलाशी जाती थी. कहा गया है कि कुछ लोगों के चरित्र में खुशी होती है, जो हरेक स्थिति में खुश रहते हैं. इसका उल्टा भी सही है, यानी कुछ लोग हरेक स्थिति में दुखी होते हैं. सवाल यह है कि जिस खुशहाली की हम तलाश करते हैं, वह कहां है?

आज से 70-80 साल पहले भूख, गरीबी, बेरोजगारी और असमानता से दुनिया त्रस्त थी. आज लोगों के स्वास्थ्य में सुधार है, जीवन प्रत्याशा बढ़ी है. जीवन में समृद्धि है. नये नये अवसर मिल रहे हैं, ऐसे में हमारा समाज खुशहाल क्यों नहीं है? अगर भौतिक विकास और समृद्धि ही खुशहाली का कारण होता, तो अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस व जर्मनी जैसे देशों को पहले दस में आना चाहिए था. पेंग्विन प्रकाशन ने एक किताब छापी हैपीनेस यानी खुशी. इसके लेखक प्रख्यात अर्थशास्त्री रिचर्ड लेयर्ड हैं. उन्होंने अर्थशास़्त्री होकर भी प्रसन्नता, खुशहाली और संतोष को अपने अध्ययन का विषय बनाया. इस विषय पर विभिन्न अन्य विषयों के साथ अंतरसंबंध बनाकर विश्लेषण किया. हमारे आंतरिक कर्म, विचार, आवेग, चिंतन और संवेदनाओं से प्रभावित होती है. अब्राहम लिंकन का कथन है कि असंख्य लोग यदि अपने मस्तिष्क से सोचते हैं कि वे खुश हैं, तो उन्हें कोई दुखी नहीं कर सकता है. महात्मा गांधी जीवन भर जरूरत के हिसाब से लेने और प्रचुरता को नकारने की बात करते रहे.

उदारीकरण के बाद बदलते युग में समाज अब नये तरीके में, नये संदर्भ में खुशी तलाश रहा है. इस खुशी की खोज में वह मूल चरित्र को खोता जा रहा है, जो अपनापन का बोध कराता था, जो अभाव में भी जिंदादिली को कम नहीं होने देता था. बौद्ध संन्यासी हैं मैथ्यू रिचर्ड, जिनके ब्रेन की 12 सालों तक जांच की गयी. इसके बाद भी साइंस्टिट उदासी को नहीं खोज पाये. इसके बाद माना कि रिचर्ड दुनिया का सबसे खुश व्यक्ति है. रिचर्ड की किताब हैप्पीनेस-ए गाइड टू डेवलपिंग लाइफ्स मोस्ट इंपॉर्टेंट स्किल में बताया गया है कि कैसे आम लोग भी दिन के सिर्फ 15 मिनट निकालकर खुश रह सकते हैं, लेकिन इसके लिए ट्रेनिंग की जरूरत पड़ती है. रोज सुबह सबसे पहले कोई खुशी की बात सोचें. हर दिन 10 से 15 मिनट तक सिर्फ और…अच्छी बातें सोचना शुरू करें. पहले-पहल दिमाग यहां-वहां भागेगा, उसपर काबू पाकर दोबारा प्यार और खुशी वाली घटनाओं के बारे में सोचें.. सिर्फ तीन हफ्तों के भीतर ब्रेन में बदलाव होने लगेगा. आप पाएंगे कि मुश्किल हालातों में भी दिमाग कंट्रोल खोए बिना सामान्य रहने लगता है.

डिस्क्लेमर: ये लेखक के निजी विचार हैं.

Subscribe
Login
Notify of
guest
guest
0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments
ShareTweetSend
Previous Post

किरीबुरू : एस्पायर ने कलैता गांव में मनाया “स्कूल रिओपनिंग डे”

Next Post

सीएम ने पेड़ लगाओ- मुफ्त बिजली पाओ की घोषणा की थी, पर कोई आगे नहीं आया : बादल

Next Post
सीएम ने पेड़ लगाओ- मुफ्त बिजली पाओ की घोषणा की थी, पर कोई आगे नहीं आया : बादल

सीएम ने पेड़ लगाओ- मुफ्त बिजली पाओ की घोषणा की थी, पर कोई आगे नहीं आया : बादल

  • About Editor
  • About Us
  • Team Lagatar
  • Advertise with us
  • Privacy Policy
  • Epaper
  • Cancellation/Refund Policy
  • Contact Us
  • Terms & Conditions
  • Sitemap

© 2022 Lagatar Media Pvt. Ltd.

Social icon element need JNews Essential plugin to be activated.
No Result
View All Result
  • न्यूज़ डायरी
    • सुबह की न्यूज़ डायरी
    • शाम की न्यूज़ डायरी
  • झारखंड न्यूज़
    • दक्षिण छोटानागपुर
      • रांची न्यूज़
      • खूंटी
      • सिमडेगा
      • गुमला
      • लोहरदग्गा
    • कोल्हान प्रमंडल
      • जमशेदपुर
      • सरायकेला
      • चाईबासा
    • उत्तरी छोटानागपुर
      • हजारीबाग
      • चतरा
      • रामगढ़
      • कोडरमा
      • गिरिडीह
    • कोयला क्षेत्र
      • धनबाद
      • बोकारो
    • पलामू प्रमंडल
      • पलामू
      • गढ़वा
      • लातेहार
    • संथाल परगना
      • दुमका
      • देवघर
      • जामताड़ा
      • साहिबगंज
      • पाकुड़
  • देश-विदेश
  • बिहार
  • ओपिनियन
  • हेल्थ
  • हाईकोर्ट
  • टेक – लगातार
  • मनोरंजन
  • लाइफ स्टाइल
  • व्यापार
  • वीडियो
  • आखर
  • खेल
  • राजनीति
  • शिक्षा
  • मौसम
  • उत्तर प्रदेश
  • ऑफबीट
  • आप की आवाज़
  • आपके लेख
  • धर्म
  • E-Paper
wpDiscuz
0
0
Would love your thoughts, please comment.x
()
x
| Reply