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कुतिया मरती है तो नेता शोक जताते हैं, 250 किसानों के मरने पर कोई कुछ नहीं बोला- सतपाल मलिक

Lagatar Desk Jhunjhnu : मेघालय के राज्यपाल सतपाल मलिक ने कृषि कानूनों को लेकर बड़ा बयान दिया है. झंझनू में मीडिया से बात करते हुए मलिक ने कहा कि कुतिया भी मर जाती है तो हमारे देश के नेताओं का शोक संदेश आता है. 250">https://lagatar.in/fear-of-loss-of-40-lok-sabha-seats-due-to-kisan-agitashan-bjp-thinks-about-it-amit-shah-nadda-in-meeting/28016/">250

किसान आंदोलन करते मर गये, कोई बोला तक नहीं. उन्होंने कहा कि मेरी आत्मा को दर्द होता है. किसान आंदोलन का इतना लंबा चलना किसी के हित में नहीं है. उन्होंने कहा कि किसानों का मुद्दा ऐसा मामला नहीं है, जिसे हल नहीं किया जा सके.

मुख्य मुद्दा एमएसपी का ही

एक निजी कार्यक्रम में आये मलिक ने मीडिया से कहा कि एमएसपी ही मुद्दा है. यदि एमएसपी को कानूनी रूप दे देंगे, यह मुद्दा आसानी से हल हो जाएगा. यह देशभर के किसानों के बीच मुद्दा बन चुका है. ऐसी हालत में इसे जल्द हल करना चाहिए. एक सवाल के दवाब में सतपाल मलिक ने कहा कि वह संवैधानिक पद पर हैं. सिर्फ सलाह दे सकते हैं. बिचौलिया बन कर काम नहीं कर सकते. उन्होंने कहा कि मैं किसान नेताओं और सरकार के नुमाइंदों को सलाह भर दे सकता हूं. मेरा बस इतना सा ही रोल है. इसे भी पढ़ेंः राज्यपाल">https://lagatar.in/meaning-of-statement-by-governor-satpal-malik/38240/">राज्यपाल

सतपाल मलिक के बयान के मायने

किसान का बेटा हूं, दर्द जानता हूं

दो दिन पहले बागपत में भी मलिक ने कहा था कि सरकार को किसानों की बात सुननी चाहिए. सरकार उन्हें खाली हाथ न लौटाये. एमएसपी पर कानून बने. किसानों पर बलप्रयोग ठीक नहीं है. सिख कौम तीन सौ साल तक किसी बात को नहीं भूलती है. मलिक ने कहा कि वह भी किसान के बेटे हैं और किसानों का दर्द जानते हैं. उन्होने कहा कि यदि मेरी जरूरत पड़े तो मैं किसानों से वार्ता को तैयार हूं. इसे भी पढ़ेंः क्या">https://lagatar.in/will-the-farmers-agitation-and-disinvestment-would-stop-the-chariot-of-polarization/38604/">क्या

राष्ट्रवादी ध्रुवीकरण के रथ को रोक सकेंगे किसान और विनिवेश के खिलाफ हो रहे आंदोलन

वायसराय का मुद्दा याद दिलाया

मलिक ने किसान आंदोलन पर बात करते हुए कहा कि किसानों को फसलों का उचित मूल्य नहीं मिलने का मुद्दा आज का नहीं है. राज्यपाल ने ब्रिटिश शासनकाल के दौरान मंत्री रहे छोटूराम और वायसराय का किस्सा भी शेयर किया. द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान वायसराय मंत्री छोटूराम से मिले और अनाज की मांग की. इसपर छोटूराम ने कहा कि मैं तय करूंगा कि अनाज कितने पैसों में देना है. तब वायसराय ने कहा कि मैं सेना भेजकर अनाज ले लूंगा, तो छोटूराम ने कहा कि मैं किसानों से बोल दूंगा कि वे खड़ी फसल में आग लगा दें. लेकिन आपको कम कीमत पर गेहूं नहीं दें.

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