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मोदी मुश्किल से कांग्रेस को हरा पाये....वाराणसी की जनता ने प्रधानमंत्री के खिलाफ अविश्वास व्यक्त किया : जयराम रमेश

  New Delhi :  लोकसभा चुनाव के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के वाराणसी में पहले कार्यक्रम से पहले कांग्रेस ने आज मंगलवार को कहा कि उनके निर्वाचन क्षेत्र के लोगों ने उन (मोदी) पर अविश्वास जताया है और वह कई चरणों की मतगणना में पीछे रहने के बाद बमुश्किल अपने कांग्रेस प्रतिद्वंद्वी को हरा पाये. कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने प्रधानमंत्री के सामने उनके संसदीय क्षेत्र से जुड़े मुद्दों पर नौ सवाल रखे और पूछा कि इन पर ध्यान क्यों नहीं दिया गया.                                 ">https://lagatar.in/category/desh-videsh/#google_vignette">

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33 उम्मीदवारों के नामांकन पत्र खारिज क्यों कर दिये गये

उन्होंने कहा कि नमामि गंगे परियोजना पर 20,000 करोड़ रुपए खर्च करने के बावजूद गंगा नदी पहले से भी अधिक प्रदूषित क्यों है? उन्होंने यह भी प्रश्न किया कि लोकसभा चुनाव के दौरान वाराणसी संसदीय सीट पर 33 उम्मीदवारों के नामांकन पत्र खारिज क्यों कर दिये गये. रमेश ने एक्स पर लिखा, कई दौर की मतगणना में अजय राय से पिछड़ने और किसी तरह जीत हासिल करने में कामयाब होने के कुछ हफ्ते बाद आज एक तिहाई प्रधानमंत्री फिर से वाराणसी का दौरा कर रहे हैं. यह वाराणसी के लोगों द्वारा उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव जैसा था. ये वाराणसी पर केंद्रित 9 सवाल हैं, जो हमने चुनाव प्रचार अभियान के दौरान उनसे पूछे थे. हम आज उन्हें फिर से याद दिलाना चाहते हैं.

पीएम मोदी ने वाराणसी सीट पर कांग्रेस के अजय राय को हराया था

प्रधानमंत्री मोदी ने वाराणसी सीट पर कांग्रेस के अजय राय को हराया था. रमेश ने लिखा, ‘प्रधानमंत्री की नमामि गंगे परियोजना इतनी बुरी तरह विफल क्यों हो गई? 20,000 करोड़ रुपये खर्च करने के बाद गंगा और प्रदूषित क्यों हो गयी? उन्होंने कहा कि जल शक्ति मंत्रालय का दावा है कि नदी की स्थिति में काफी सुधार हुआ है, लेकिन जैसा कि इस सरकार के मामले में अक़्सर होता है, वह दावा भी झूठा निकला. रमेश के अनुसार, संकट मोचन फाउंडेशन ने पाया कि सुधार के बजाय, गंगा में पानी की गुणवत्ता वास्तव में लगातार खराब हो रही है. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने भी पाया कि पानी की गुणवत्ता उनके मानकों के अनुरूप नहीं है. उन्होंने लिखा, पिछले साल केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने गंगा को भारत की सबसे प्रदूषित नदी घोषित किया था. ऐसे में एक तिहाई प्रधानमंत्री को स्पष्ट करना चाहिए कि उन्होंने प्रधानमंत्री के रूप में अपने कार्यकाल की शुरुआत में देश के लोगों से किये गये सबसे महत्वपूर्ण वादों में से एक को कैसे पूरा किया है?

मोदी ने यह जानते हुए धांधली करने का प्रयास किया कि यह चुनाव उनके लिए कठिन था? 

कांग्रेस नेता ने कहा कि 2024 के लोकसभा चुनाव के दौरान वाराणसी लोकसभा सीट के लिए केवल 7 उम्मीदवारों के नामांकन पत्र स्वीकार किये गये, जबकि 2019 में 26 और 2014 में 42 नामांकन पत्र स्वीकार किये गये थे. उन्होंने दावा किया, जिस दिन प्रधानमंत्री ने अपना नामांकन दाखिल किया था, 33 अन्य नामांकन खारिज कर दिये गये. उन्होंने दावा किया कि उम्मीदवारों को भी सामान्य से अधिक समय तक प्रतीक्षा करनी पड़ी, उनके हलफनामों को मनमाने ढंग से खारिज कर दिया गया. रमेश ने कहा कि प्रक्रिया पूरी होने तक उनमें से 8 ने आरोप लगाया कि प्रक्रिया में धांधली हुई थी. कांग्रेस नेता ने कहा, क्या नरेन्द्र मोदी ने यह जानते हुए धांधली करने का प्रयास किया कि यह चुनाव उनके लिए कठिन था? रमेश ने प्रधानमंत्री के लिए एक्स पर ये प्रश्न भी साझा किये कि बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के हृदय रोग विभाग में 47 में से 41 बिस्तर पिछले दो वर्षों से इस्तेमाल में क्यों नहीं हैं और वाराणसी बंदरगाह विफल क्यों हो गया जिसका हजारों करोड़ रुपये खर्च करने के बाद 2019 में उद्घाटन किया गया था.

प्रधानमंत्री हर राष्ट्रीय संसाधन को अडाणी को सौंपने के लिए इतने उतावले क्यों हैं?

उन्होंने कहा, सबसे पहले तो वाराणसी के लोगों को बताया गया कि यह परियोजना उनके लिए उपहार है, जबकि इसके लिए धन तो जनता के कर के पैसे से ही आया. अब बंदरगाह पर कामकाज नहीं हो रहा. 2021 में ‘डबल अन्याय सरकार ने अपनी इस विफलता का निजीकरण करने का निर्णय लिया और किसी को आश्चर्य नहीं हुआ कि इसके लिए अडाणी पोर्ट्स बोली लगाने वाली एकमात्र कंपनी थी.रमेश ने कहा, एक तिहाई प्रधानमंत्री हर एक राष्ट्रीय संसाधन को अडाणी को सौंपने के लिए इतने उतावले क्यों हैं? इस पोर्ट की पूर्ण विफलता और इसमें धन के बंदरबांट की कोई जांच क्यों नहीं की जा रही है? रमेश ने यह भी पूछा कि प्रधानमंत्री ने वाराणसी के उन गांवों को उनके हाल पर क्यों छोड़ दिया, जिन्हें उन्होंने गोद लिया था? उन्होंने कहा, प्रधानमंत्री मोदी द्वारा गोद लिये गये गांवों की स्थिति हमें उनकी सेवा भावना के बारे में बहुत कुछ बताती है.

सभी जानते हैं कि एक तिहाई प्रधानमंत्री की विचारधारा गांधी की नहीं, गोडसे की है

प्रधानमंत्री ने अपने गोद लिये हुए गांवों को क्यों छोड़ दिया है? क्या यही मोदी की गारंटी’ का असली रूप है? कांग्रेस महासचिव ने प्रश्न उठाया कि प्रधानमंत्री वाराणसी में महात्मा गांधी की विरासत को ‘नष्ट करने पर क्यों तुले हुए हैं?’ उन्होंने लिखा, यह तो सभी जानते हैं कि एक तिहाई प्रधानमंत्री की विचारधारा गांधी की नहीं, गोडसे की है. उन्होंने हमारे राष्ट्रपिता के प्रति अपनी नफ़रत को इस हद तक बढ़ा दिया है कि उन्होंने आचार्य विनोभा भावे द्वारा शुरू किये गये और डॉ. राजेंद्र प्रसाद, लाल बहादुर शास्त्री और जयप्रकाश नारायण जैसी हस्तियों से जुड़े सर्व सेवा संघ को ही नष्ट कर दिया. कांग्रेस नेता ने कहा, इसके पास पूर्ण स्वामित्व के पूरे कागजात थे, फिर भी अगस्त 2023 में इसे बेदखल कर दिया गया और जमीन भारतीय रेलवे ने अपने कब्जे में ले ली. जहां गांधी विद्या संस्थान है, उसके परिसर का केवल एक कोना इससे अछूता रह गया है क्योंकि उस पर पहले से ही आरएसएस का कब्जा है. एक तिहाई प्रधानमंत्री अपनी छवि चमकाने के लिए विदेशों में गांधीजी की प्रशंसा करते हैं, जबकि अपने ही देश में गांधीवादी संस्थाओं को नष्ट कर रहे हैं, ऐसा आडंबर क्यों? क्या वह खुले तौर पर इसे स्वीकार कर सकते हैं वह गांधी के बजाय गोडसे को मानते हैं? [wpse_comments_template]  
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