Awesh Tiwari
मोदी सरकार ने रिटायर जस्टिस अरुण मिश्र को मानवाधिकर आयोग (एनएचआरसी) का चेयरमैन बनाने का फैसला लिया है. इसलिये यह जानना जरूरी है कि जस्टिस अरुण मिश्र किन कारणों से विवादों में रहे हैं.
केस-01
फिर से याद कर लें. वर्ष 2013 में आदित्य बिड़ला ग्रुप पर इनकम टैक्स और सीबीआई के छापे के दौरान नेताओं को करोड़ों का भुगतान किये जाने के कागज़ मिले. एक कागज़ में गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को 25 करोड़ की धनराशि दिए जाने का जिक्र था. वर्ष 2015 में जब मोदी की सरकार थी. कॉमन काज नाम के एक एनजीओ ने सुप्रीम कोर्ट में दरखास्त दी कि इस मामले की जांच की जाए. क्योंकि अब तक इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने सीबीआई को जब्त दस्तावेज नहीं सौंपे हैं. मजेदार यह रहा कि जनवरी 2017 में जस्टिस अरुण मिश्र और अमित्व रॉय ने यह कहकर केस खारिज कर दिया कि एक संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति की जांच इस तरह के कागजों से नहीं की जा सकती. चौंका देने वाली बात यह रही कि केवी चौधरी, जो कि इनकम टैक्स विभाग में इस मामले की जांच कर रहे थे, जून 2015 में चीफ विजिलेंस कमिश्नर बना दिए गए थे.
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केस-02
जस्टिस अरुण मिश्रा की अध्यक्षता में बनाई गई एक बेंच ने 5 जुलाई 2019 को गुजरात के पूर्व गृहमंत्री हरेन पांड्या की हत्या के आरोप में 12 लोगों को सजा सुनाई. इस सजा को सुनाते वक्त गुजरात हाईकोर्ट के उस आदेश को दरकिनार कर दिया गया, जिसमें इन सभी लोगों को छोड़ने के आदेश दिए गए थे. जस्टिस अरुण मिश्रा ने गुजरात सरकार और सीबीआई की बात को माना. सीबीआई ने अपनी जांच में हरेन पांड्या के मौत की वजह गोधरा काण्ड के बाद हुए दंगे का बदला बताया था. लेकिन गुजरात हाईकोर्ट ने अगस्त 2011 में सीबीआई की जांच में मिली कमियों पर गंभीर सवाल खड़े किये. हाईकोर्ट से उलट अरुण मिश्रा ने सीबीआई की जांच को बेहतरीन बता दिया. याद रखिये हरेन पांड्या के पिता ने मोदी पर हत्या करवाने का आरोप लगाया था.
केस- 03
पूर्व चीफ जस्टिस रंजन गोगोई के खिलाफ यौन उत्पीडन के मामले की जांच के लिए बनाई गई स्पेशल बेंच के प्रमुख जस्टिस अरुण मिश्रा थे. यह कमेटी यौन उत्पीड़न के बजाय इस मामले की जांच करने लगी कि कहीं यह मामला ब्लैकमेलिंग का तो नहीं है? रिटायर्ड जस्टिस एके पटनायक ने अपनी जांच रिपोर्ट बेंच को सौंपी थी. मगर आश्चर्य यह रहा कि यह रिपोर्ट कभी खोली ही नहीं गई और न ही अरुण मिश्रा ने अपने रिटायरमेंट तक इस मामले की एक बार भी सुनवाई की. रंजन गोगोई राज्यसभा एमपी बन गए.
Disclaimer: यह लेखक के निजी विचार हैं.