LagatarDesk : RBI की भरोसेमंद लिस्ट में SBI, HDFC और ICICI बैंक पहले से शामिल है. RBI इन बैंकों के बाद और भी बैंकों को इस लिस्ट में शामिल करने की योजना बना रहा है. बिजनेस स्टैंडर्ड के अनुसार, बैंक मर्जर के बाद कई बैंकों की वित्तीय स्थिति में सुधार हुआ है. ऐसे में Domestic Systematically Important Bank (D-SIBs) को लेकर फिर से विचार किया जा सकता है.
सेंट्रल बैंक के सुपरवाइजरी डिपार्टमेंट की बैठक में इस मुद्दे को उठाया गया है. हालांकि अभी तक इसको लेकर एजेंडा नोट तैयार नहीं किया गया है. D-SIBs 1 अप्रैल 2016 से पहले से लिस्टेड था, लेकिन 1 अप्रैल 2019 से यह प्रभावी हुआ था.इसी तरह से 2011 में Global Systemically Important Banks (G-SIBs) की शुरुआत की गयी थी.
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RBI की D-SIBs की लिस्ट में बैंकों का स्थान
एसबीआई और एचडीएफसी बैंक का Asset पहले और दूसरे स्थान पर है. तीसरे स्थान पर बैंक ऑफ बड़ौदा, चौथे में पंजाब नेशनल बैंक और पांचवा में केनरा बैंक है. ICICI बैंक खिसक कर अब छठे पायदान पर पहुंच चुका है.
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21 जनवरी 2021 को SBI, ICICI और HDFC हुए थे शामिल
माना जा रहा है कि अब RBI के भरोसेमंद बैंक की लिस्ट में बैंक ऑफ बड़ौदा और पीएनबी को शामिल किया जा सकता है. RBI के 2014 की गाइडलाइन में साफ-साफ कहा गया है कि हर तीन साल पर सेंट्रल बैंक D-SIBs की पहचान करेगा. SBI, ICICI और HDFC Bank की पहचान 21 जनवरी 2021 को की गयी थी.
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D-SIBs में इकोनॉमी के लिए महत्वपूर्ण बैंक होते हैं शामिल
RBI के सर्कुलर के हिसाब से D-SIBs कैटिगरी में नंबर को लेकर कोई अनिवार्यता नहीं है. RBI ने कहा था कि अलग-अलग कैटिगरी को ध्यान में रखकर 4 से 6 बैंकों को इस लिस्ट में शामिल किया जा सकता है. D-SIBs कैटिगरी में वे बैंक आते हैं जो देश की इकोनॉमी के लिए बहुत महत्वपूर्ण होते हैं. सरकार और सिस्टम के लिए ये काफी अहम होते हैं.
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रिजर्व बैंक की होती है विशेष नजर
D-SIBs कैटिगरी में जो बैंक शामिल होते हैं, उन बैंकों पर रिजर्व बैंक की विशेष नजर होती है. ऐसा इसलिए क्योंकि इनके साथ सिस्टेमेटिक रिस्क के साथ-साथ नैतिक जोखिम भी जुड़ा होता है. अगर ऐसे बैंकों में किसी तरह की अनियमितता होती है, तो इसका असर सिस्टम पर होता है. इसके अलावा अगर इनकी वित्तीय हालत बिगड़ती है तो इसके रिजल्ट बेहद गंभीर हो सकते हैं.
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