- राज्य में चल रहा है सरकारी, गैरमजरुआ और निजी और सरकारी तालाबों को भरकर बेचने का खेल
- सता रहा कार्रवाई का डर
- भू-माफिया शातिर हैं, ठगे जा रहे लोग
Ranchi : इस समय राज्यभर में सरकारी, गैरमजरुआ, नदी-नालों तथा निजी और सरकारी तालाबों को भरकर जमीन की खरीद बिक्री का खेल बड़े पैमाने पर चल रहा है. भू माफिया सक्रिय हैं. अवैध कालोनियां बसाई जा रही हैं. लोग ठगे जा रहे हैं. जमशेदपुर, हजारीबाग,धनबाद सहित राज्य के विभिन्न हिस्सों में यह खेल चल रहा है. कई मामले सामने आए हैं जिसमें लोग भू माफिया से जमीन खरीदकर घर का निर्माण भी कर लिया है. अब उन्हें डर सताने लगा कि कहीं कार्रवाई हुई तो उनकी गाढी कमाई का पैसा डूब जाएगा. फिर कहां रहेंगे, क्या करेंगे. कुछ मामले ऐसे भी हैं जिसमें सिर्फ स्टॉम पेपर पर ही जमीन खरीद ली, पर बाद में पता चला कि यह अवैध है. यानी इस जमीन की न तो रजिस्ट्री होगी और न ही ऐसी जमीन पर उन्हें बैंक लोन मिल रहा है. शुभम संदेश की टीम ने विभिन्न जिलों में चल रहे ऐसे विवादित भूमि मामलों की पड़ताल की है. पेश है रिपोर्ट
जमशेदपुर
जमशेदपुर से सटे अर्द्धशहरी क्षेत्र हरहरगुटू में सरकारी और निजी तालाब भरकर कालोनी बसाने का खेल बदस्तूर जारी है. जिस तालाब में कुछ माह पहले तक पानी हुआ करता था. उसे मिट्टी से भरकर प्लॉटिंग कर दी गई है. तालाब भरे जाने से जहां जलस्त्रोत खत्म हो रहे हैं. वहीं अपनी गाढ़ी कमाई से तालाब की जमीन लेकर घर बनाने वाले असमंजस की स्थिति में हैं. उन्हें डर सता रहा है कि सरकार कहीं तालाब की खोजबीन न शुरु कर दे. तालाब का अतिक्रमण के नाम पर उनके मन में विस्थापन का भय समा गया है. तालाब की जमीन पर घर बनाने वाले लोगों ने अपनी पीड़ा व्यक्त की है.जमशेदपुर से सटे अर्द्धशहरी क्षेत्र हरहरगुटू में सरकारी और निजी तालाब भरकर कालोनी बसाने का खेल बदस्तूर जारी है. जिस तालाब में कुछ माह पहले तक पानी हुआ करता था. उसे मिट्टी से भरकर प्लॉटिंग कर दी गई है. तालाब भरे जाने से जहां जलस्त्रोत खत्म हो रहे हैं. वहीं अपनी गाढ़ी कमाई से तालाब की जमीन लेकर घर बनाने वाले असमंजस की स्थिति में हैं. उन्हें डर सता रहा है कि सरकार कहीं तालाब की खोजबीन न शुरु कर दे. तालाब का अतिक्रमण के नाम पर उनके मन में विस्थापन का भय समा गया है. तालाब की जमीन पर घर बनाने वाले लोगों ने अपनी पीड़ा व्यक्त की है.
बिल्डर ने धोखे में रखकर दी जमीन : बीना कुमारी
बागबेड़ा थानान्तर्गत हरहरगुटू की रहने वाली बीना कुमारी ने बताया कि उसके पति ठेकेदारी में काम करते हैं. किसी तरह कटौती कर कुछ पैसा जमा किया था. उसी पैसे से हरहरगुटू में थोड़ी जमीन ली है. जमीन बेचने वाले ने पूरा भरोसा दिलाया था कि निकट भविष्य में किसी तरह की दिक्कत नहीं होगी. लेकिन वर्तमान में पानी की किल्लत है. दूसरे मुहल्ले से पानी लाना पड़ता है. साथ ही हमेशा घर टूटने का डर सताते रहता है. उन्होंने बताया कि मुहल्ले में अवैध कारोबार (हंडिया दारू की बिक्री व जुआ) भी होते हैं, जिससे परिवार में एक असुरक्षा की भावना भी है. उन्होंने बताया कि अभी यहां दो-चार घर ही बने हैं. हालांकि कई लोगों ने अपनी गाढ़ी कमाई से तालाब की जमीन ली है.
जल श्रोत मिटा रहे हैं बिल्डर,गाढ़ी कमाई गवां रहे हैं लोग : जुगल
हरहरगुटू के रहने वाले जुगल किशोर ने बताया कि क्षेत्र में बिल्डर और जमीन माफिया सरकारी व निजी तालाब भरकर प्लॉटिंग कर बेंच रहे हैं. बाहरी लोग जमीन की तालाश में ऐसे में लोगों के चक्कर में फंसकर अपनी गाढ़ी कमाई गवां रहे हैं. जमीन देने के बाद जमीन माफिया अपना पल्ला झाड़ ले रहे हैं. स्थानीय थाना व अंचल कार्यालय की मिलीभगत से किसी तरह जमीन खरीदने वाले घर बना रहे हैं. लेकिन ऐसे लोगों को गर्मी में भीषण पेयजल संकट के साथ-साथ बिजली की कटौती की समस्या से जुझना पड़ रहा है. उन्होंने मांग की है कि जिला प्रशासन सरकारी और निजी तालाब भरे जाने की जांच करे तथा दोषियों पर कार्रवाई करे.
फंस गया हूं,मजबूरी में रह रहा हूं : कुंदन कुमार
हरहरगुटू सोमाय झोपड़ी के रहने वाले कुंदन कुमार ने बताया कि वह सब्जी बिक्रेता हैं. किसी तरह कटौती कर कुछ पैसा जमा किया था. उसी पैसे से सोमाय झोपड़ी में जमीन ली. बाद में मालूम चला कि यह सरकारी तालाब की जमीन है. जमीन बेचने वाले ने कब्जा दिलाने के बाद अपना पल्ला झाड़ लिया. कोई दूसरा व्यक्ति उसकी जमीन खरीदने को राजी नहीं हुआ. जिसके कारण मजबूरी में यहां घर बनाकर रह रहे हैं. उसने बताया कि धीरे-धीरे कुछ अन्य लोग भी यहां बस गए. जिससे हिम्मत मिली. हालांकि अभी भी विस्थापन का भय सता रहा है. गर्मी में पानी की काफी किल्लत है. दूसरे मुहल्ले से पानी लाकर दैनिक कार्य निपटाना पड़ता है.
सरकारी तालाब की जमीन बेचने का आरोप गलत : छोटराय मुर्मू
सोमाय झोपड़ी निवासी जमीन कारोबारी छोटराय मुर्मू ने बताया कि वे जमीन खरीद-बिक्री का कारोबार करते हैं. लेकिन अपनी अथवा अपने परिचित की निजी रैयती जमीन की ही खरीद-बिक्री करते हैं. सरकारी अथवा निजी तालाब भरकर प्लॉटिंग कर बेचने का आरोप निराधार है. उन्होंने बताया कि सीएनटी एक्ट के दायरे की जमीन वे जरूरतमंदों के साथ एग्रीमेंट कर बेचते हैं. मेरा सारा कुछ पारदर्शी तरीके से होता है. इसलिए किसी ने अब तक ठगी करने अथवा सीएनटी एक्ट की जमीन बेचकर फंसाने का आरोप नहीं लगाया है.हमने जितनों को जमीन दिलाई है. किसी ने भी अभी तक कोई शिकायत नहीं की है.
वगैर नक्शा पास कराए बन रहे हैं घर
ग्रामीण क्षेत्र में स्थित सरकारी और निजी तालाब की जमीन पर बन रहे घर बिना नक्शा पारित कराए बन रहे हैं. ग्रामीण क्षेत्र में नक्शा पास करने का अधिकार जिला परिषद के पास है. लेकिन स्थानीय थाने की मिलीभगत से वगैर नक्शा पास कराए ही धड़ल्ले से घर बन रहे हैं. नक्शा पारित कराने के लिए जमीन का वैध पेपर जरूरी है. लेकिन तालाब भरकर प्लॉटिंग की गई जमीन का कोई वैध पेपर खरीददार के पास नहीं है. जमीन खरीदने वाले स्टाम्प पेपर पर एग्रीमेंट कर जमीन खरीद रहे हैं. एग्रीमेंट के आधार पर नक्शा पारित नहीं किया जा सकता है. ऐसे में ग्रामीण क्षेत्र में अधिकांश घर बिना नक्शा पारित कराए ही बन रहे हैं.
धनबाद
कोयलांचल में चल रहा अवैध कब्जे का खेल
कोयलांचल धनबाद में भी अन्य जगहों की तरह सरकारी-गैरमजरुआ व सीएनटी, नदी-नालों और निजी व सरकारी तालाबों को भर कर जमीन की खरीद बिक्री अथवा उस पर अवैध कब्जा का खेल धड़ल्ले से चल रहा है. हर गली व मुहल्ले में इस तरह का गंदा खेल देखने को मिल जाएगा. कहीं सरकारी जमीन का बोर्ड उखाड़ कर कब्जा किया जा रहा है तो कहीं गिट्टी-बालू रख कर जमीन को अपना बताने की कोशिश हो रही है. तालाब भर कर रास्ता बना लेना, चहारदीवारी खड़ी कर लेना तो आम बात है. सरकारी जमीन के अवैध कब्जे के खेल में बड़ी-बड़ी हस्तियां में शामिल हैं.
फर्जी कागजात पर बन जाती हैं रजिस्ट्री डीड: डॉ गौतम सेन
ज्ञान मुखर्जी रोड निवासी डॉक्टर गौतम सेन गुप्ता ने कहते हैं कि सरकारी ही नहीं, प्राइवेट जमीन पर भी धड़ल्ले से कब्जा किया जा रहा है .भूमाफियों के साथ जिला प्रशासन भी पार्टनर के रूप में काम कर रहा है. उन्होंने कहा कि प्लाट नंबर 985 -986 , मौजा हीरापुर, खाता 108 पर 1937 के आधारित रजिस्टरी डीड, म्यूटेशन दाखिल खरिज रहते हुए भी वर्तमान अंचलाधिकारी ने भूमाफियाओं को फर्जी कागजात के आधार पर डीड बनाने में मदद की, जो उच्च न्यायल के आदेश CWJC- 409/83 की अहवेलना है.उनका कहना है कि इस दिशा में सरकार को ध्यान देना चाहिए. नहीं तो आने वाले दिनों में जमीन विवाद के बहुत सारे मामले सामने आएंगे.
अधिकारी व पुलिस के संरक्षण में हो रहा काम: जेपी वालिया
जेएमएम उलगुलान के महानगर अध्यक्ष जे पी वालिया ने कहा कि धनबाद जिले के विभिन्न क्षेत्रों में भूअर्जन पदाधिकारी व जिला पुलिस के संरक्षण में सीएनटी और सरकारी जमीन की खरीद बिक्री भूमाफियाओं द्वारा धड़ल्ले से की जा रही है. ताजा उदाहरण कोलाकुसमा स्थित मौजा नम्बर 12 ,खाता संख्या 143,प्लॉट संख्या 1064 का है. वहां विभागीय अधिकारियों द्वारा सरकारी बोर्ड लगाया गया था. उसे भूमाफियाओं ने अवैध निर्माण कार्य के लिए उखाड़ दिया और मुख्य सड़क की बगल में लगा दिया. माडा कॉलोनी में भी माडा की जमीन पर भूमाफिया द्वारा कब्जा किया जा रहा था, जिसे फिलहाल लिखित शिकायत के बाद रोक दिया गया है.
गोविंदपुर के सीओ ने मुक्त करा दी है सरकारी जमीन
धनबाद के गोबिंदपुर क्षेत्र स्थित फुफवाडीह मौजा नंबर 221 गैरआबाद जंगल की जमीन पर भू-माफिया दयानंद गिरि कब्जा जमा रहे थे, जिसे गोविंदपुर के अंचलाधिकारी रामजी वर्मा ने मुक्त कराया.इस मामले में प्रशासन चौकस है और अपने स्तर से काम कर रहा है.
चांडिल
विस्थापितों के पुनर्वास के लिए चिह्नित की गई जमीन की हो रही खरीद-बिक्री,अधिकारी मौन
सुवर्णरेखा बहुउद्देश्यीय परियोजना के तहत निर्माणाधीन चांडिल डैम से हुए विस्थापितों के पुनर्वास के लिए चिह्नित जमीन की अब धड़ल्ले से खरीद-बिक्री होने लगी है. चिलगु पुनर्वास स्थल की जमीन की भी खरीद-बिक्री जोरों पर है. बताया जा रहा है कि चांडिल थाना क्षेत्र अंतर्गत चिलगु पुनर्वास कॉलोनी में इन दिनों अवैध रूप से जमीन खरीद बिक्री धड़ल्ले से की जा रही है. जमीन माफियाओं द्वारा विस्थापितों के श्मशान घाट की जमीन को भी बेचकर उनमें मकान का निर्माण कराया जा रहा है. वहीं पुनर्वास स्थल की जमीन का संरक्षण करने के जिम्मेदार सुवर्णरेखा बहुउद्देश्यीय परियोजना के अधिकारी भी इस मामले में मौन हैं.
विस्थापितों के लिए बने हैं 22 पुनर्वास स्थल
दअरसल, सुवर्णरेखा बहुउद्देश्यीय परियोजना के विस्थापितों के लिए चांडिल अनुमंडल क्षेत्र के 22 स्थानों पर पुनर्वास स्थल के लिए जमीन आवंटित की गई है, जहां केवल विस्थापितों को ही जमीन उपलब्ध कराने का प्रावधान है. परियोजना द्वारा जिन विस्थापित परिवारों को विकास पुस्तिका निर्गत की गई है, उन्हें पुनर्वास की जमीन दी जाती हैं. लेकिन चिलगु पुनर्वास स्थल में गैर विस्थापितों के द्वारा अवैध रूप से जमीन पर कब्जा किया जा रहा है. जबकि, पुनर्वास नीति में स्पष्ट है कि पुनर्वास की जमीन खरीद बिक्री गैर कानूनी है, जमीन खरीद बिक्री में संलिप्त लोगों के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज करने का प्रावधान है. सबसे बड़ी बात यह है कि इसी क्रम में श्मशान घाट की जमीन पर भी अतिक्रमण किया जा रहा है.
कइयों ने फर्जी स्टांप पेपर पर ही खरीद लिए प्लॉट
हजारीबाग
- परत-दर-परत खुलने लगी सरकारी तंत्र की कलई
- बंदोबस्ती के बाद रसीद काटी गई, चहारदीवारी ढाही गई, तो रैयत भी आने लगे सामने
सिरसी और पंचशील में भू-माफिया ने बेच डाली करीब 300 एकड़ सरकारी जमीन
हजारीबाग के सिरसी और पंचशील इलाके में करीब 300 एकड़ सरकारी जमीन पर येन-केन-प्रकारेण कब्जा कर भू-माफिया ने उसे बेच डाला. सिरसी मौजा के अधीन यह जमीन सिरसी, सिरसी वन और पंचशील इलाके में है. पंचशील इलाके में जमीन की चहारदीवारी कर उसकी प्लॉटिंग कर बेची गई. कागजों में वह खेवट 36 के अंतर्गत चमरू मिश्रा नाम खतियान में दर्ज है. बाद में चमरू मिश्रा ने नौ एकड़ जमीन अपनी पत्नी सरस्वती देवी को हुकुमनामा बंदोबस्त कर दिया. कुछ इसी प्रकार सिरसी इलाके में किया गया. यहां भी करीब 150 एकड़ सरकारी जमीन की बंदोबस्ती करा कर लोगों को बेचा गया. जब मामले की जांच शुरू हुई, तो जिस जमीन की रसीद काटी गई और पहले उसे सही बताया गया, उसी भूमि को अब सरकारी बताया जाने लगा. साथ ही उसे अतिक्रमणमुक्त कराया जाने लगा. कुछ चहारदीवारी ढाही गई, तो रैयत भी सामने आने लगे. फिर परत-दर-परत सरकारी तंत्र की कलई भी खुलने लगी. सरकारी जमीन पर अतिक्रमण के मामले में प्रशासन की मिलीभगत भी सामने आने लगी. हालांकि अब जब कार्रवाई शुरू कर दी गई, तो खरीदारों के विरोध के स्वर उभरने लगे हैं.
प्रशासन ने माना कि सैकड़ों एकड़ सरकारी जमीन और जलस्रोत पर भू-माफिया का कब्जा
मामला बढ़ने पर प्रशासन ने भी माना कि हजारीबाग जिले में सैकड़ों एकड़ सरकारी जमीन पर भू माफिया ने कब्जा कर लिया है. हजारीबाग के अपर समाहर्ता राकेश रोशन ने जानकारी दी कि खासकर नदी-नाले की जमीन को जिन भू-माफियाओं ने कब्जा किया है या फिर बेच डाला है, उन इलाकों को कब्जा मुक्त कराने के लिए अभियान चलाया जाएगा. इनमें झिंझरिया पुल स्थित नाला, धोबिया घाट तालाब, पुलिस एकेडेमी के निकट का नाला, कुम्हारटोली नाला आदि की जमीन पर कई लोगों ने कब्जा कर भवन बना लिया.
चरही में कस्तूरबा गांधी स्कूल की 4.28 एकड़ पर है कब्जा
चरही में कस्तूरबा गांधी स्कूल की 4.28 एकड़ पर भू-माफियाओं का कब्जा है. विद्यालय को 2008-09 में जमीन का पर्चा मिला था. खाता संख्या-48, प्लॉट-603, रकबा-छह एकड़ 28 डिसमिल दर्ज है. लेकिन स्कूल के पास दो ही एकड़ ही जमीन है. अन्य पर भू-माफियाओं का कब्जा है. इस पर सीओ शशिभूषण सिंह ने कहा कि स्कूल के जमीन की मापी शुरू हो चुकी है.
कार्रवाई की जा रही है : अपर समाहर्ता
अपर समाहर्ता राकेश रौशन के अनुसार 60 एकड़ जमीन अतिक्रमण मुक्त कराया है. कार्रवाई डाक्यूमेंट्स के आधार पर की गई है. कार्रवाई करने के दौरान किसी भी व्यक्ति को राहत नहीं दी गई है. कार्रवाई के क्रम में मौजा दामोडीह में 6 एकड़, मौजा सिरसी में 26 एकड़ तथा खपरियावां के पंचशील में 22 अलग-अलग जगहों में 25 एकड़ 34 डिसमिल सरकारी जमीन पर निर्मित चहारदीवारी को ध्वस्त कर अतिक्रमण मुक्त कराया गया.
ब्रॉम्बे हाउस के पीछे 1.30 एकड़ सरकारी जमीन पर कब्जा
ब्रॉम्बे हाउस के ठीक पीछे 1.30 एकड़ सरकारी जमीन पर कब्जा है. यह जमीन करोड़ों रुपए की बताई जा रही है. इसे मुक्त कराने के लिए भी विशेष ड्राइव चलाने की बात कही जा रही है.
कई इलाकों में सरकारी भूमि को कराया गया अतिक्रमण मुक्त
मौजा दामोडीह में 6 एकड़, मौजा सिरसी में 26 एकड़ तथा खपरियावां के पंचशील में 22 अलग-अलग जगहों में 25 एकड़ 34 डिसमिल सरकारी जमीन पर निर्मित चहारदीवारी को ध्वस्त कर अतिक्रमण मुक्त कराया गया.
क्या कहते हैं डेवलपर
इस मामले में डेवलपर संदीप कुमार का कहना है कि हमलोग अपने काम में पारदर्शित बरतते हैं. सरकारी जमीन के साथ कोई छेड़छाड़ नहीं की गई है. किसी को ठगा नहीं गया है. प्रशासन की कार्रवाई के खिलाफ कोर्ट जाएंगे. उनके संपर्क में रैयत और खरीदार दोनों हैं.
लातेहार
माफिया बांट चुके हैं इलाका, जमकर होती है गुटबाजी, रंगदारी
लातेहार में जमीन दलालों की संख्या काफी बढ़ गई है. अलग-अलग इलाके में अलग-अलग दलाल और भूमि माफिया सक्रिय हैं. जो किसी अन्य दलाल को अपने इलाके में प्रवेश नहीं करने देते हैं. यदि बाहरी दलाल को कोई प्लॉट मिल जाता है तो फिर गुटबाजी और रंगदारी जमकर होती है. शहर का काफी व्यस्त इलाका जो मुख्य मार्ग से सटे अमवा टीकर – जुबली रोड के पास एक बड़ा भू-भाग जो ग्रीनलैंड है, जिसे बैगाई भूमि भी कहते हैं, उस पर तेजी से कई गृह निर्माण का कार्य चल रहा है. कई दलाल तो ऐसे हैं, जो काफी शातिर हैं. कभी लालच देकर तो कभी फुट डालो और शासन करो की नीति अपनाकर आपस में ही भाइयों को लड़ा कर ओने – पौने में उनकी जमीन एग्रीमेंट कराते हैं. शहर के कई परिवार इन दलालों की करतूत से भूमिहीन हो चुके हैं. इस समय अमवा टीकर रोड स्थित ग्रीनलैंड में कम से कम आधा दर्जन गृह निर्माण का कार्य जोरों पर है. बताया जाता है कि इस प्रकृति की जमीन का निबंधन नहीं होता है.लेकिन एकरारनामा के सहारे दलालों द्वारा जमीन बेची जा रही है.
अधिवक्ता नवीन कुमा
क्या कहते हैं कानून विशेषज्ञ
अधिवक्ता नवीन कुमार गुप्ता का कहना है कि बैगा की जमीन ग्रीनलैंड है. जिसे बैगा को जमींदारों ने दान में इसलिए दिया था कि उसमें कोई निर्माण का कार्य न हो. उसका उपयोग सार्वजनिक हित में हो अथवा उस पर फसल उगा कर जीवन यापन करें. नवीन कुमार गुप्ता ने आगे कहा कि बैगाई की जमीन का हस्तांतरण भी नहीं होता है.