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सरकार का जवाब नहीं मिलने से NGT ने लगाई फटकार, कहा-जवाब नहीं दिया तो लगेगा जुर्माना

  • कोयला ट्रांसपोर्टेशन मामले में सुनवाई
  • भारी वाहनों की आवाजाही से वन्य जीवों का संतुलन बिगड़ा
  • कई लोगों की सड़क हादसे में गई जान
  • वन विभाग और अन्य एजेंसियों ने साधी चुप्पी

Ranchi :  हजारीबाग जिले में एनटीपीसी द्वारा कथित तौर पर वन शर्तों का उल्लंघन कर सड़क मार्ग से कोयला ट्रांसपोर्टेशन किए जाने के मामले में गुरुवार को राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) की कोलकाता बेंच में सुनवाई हुई. इस दौरान ट्रिब्यूनल ने झारखंड सरकार और संबंधित विभागों की ओर से जवाब नहीं दिए जाने पर कड़ी नाराजगी जताई.

 

पीसीसीएफ झारखंड, पीसीसीएफ वाइल्डलाइफ, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और हजारीबाग उपायुक्त के अधिवक्ताओं द्वारा समय मांगे जाने पर कोर्ट ने फटकार लगाते हुए मौखिक रूप से यह कहा कि यदि शीघ्र जवाब दाखिल नहीं किया गया तो जुर्माना लगाया जाएगा.

 

सोशल एक्टिविस्ट ने एनजीटी में दायर की थी याचिका

दरअसल सोशल एक्टिविस्ट शनिकांत उर्फ मंटू सोनी ने वन विभाग के अधिकारियों पर गंभीर आरोप लगाते हुए एनजीटी के नई दिल्ली स्थित प्रिंसिपल बेंच में याचिका दाखिल की थी. 8 मई 2025 को सुनवाई के बाद यह मामला कोलकाता बेंच को स्थानांतरित कर दिया गया, जहां सभी प्रतिवादियों को नोटिस जारी करने का आदेश दिया था. लेकिन अब तक राज्य सरकार द्वारा कोई जवाब नहीं दिए जाने से ट्रिब्यूनल ने नाराजगी जताई है.

 

एनटीपीसी ने पर्यावरणीय शर्तों में संशोधन कर सड़क मार्ग से करवाया कोयला ट्रांसपोर्टेशन

भारत सरकार के फॉरेस्ट क्लीयरेंस में यह स्पष्ट शर्त है कि एनटीपीसी को कन्वेयर सिस्टम से रेलवे साइडिंग तक कोयला ट्रांसपोर्टेशन करना है. लेकिन एनटीपीसी द्वारा पर्यावरणीय शर्तों में संशोधन करवा कर सड़क मार्ग से कोयला ट्रांसपोर्टेशन करवाया जा रहा था. सड़क मार्ग से भारी वाहन आवाजाही के चलते वन्य जीवों का संतुलन बिगड़ गया था और अब तक दर्जनों लोगों की सड़क हादसे में मौत भी हो चुकी है. इसके बावजूद वन विभाग और अन्य जिम्मेदार एजेंसियों ने चुप्पी साधे रखा. जिसको लेकर एक्टिविस्ट शनि कांत उर्फ मंटू सोनी ने एनजीटी में याचिका दायर की थी.

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