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ईस्टर संडे के दिन प्रभु यीशु पुनः जीवित हो उठे थे
लेकिन कहा जाता है कि प्रभु यीशु इस घटना के तीन दिन बाद यानी ईस्टर संडे के दिन पुनः जीवित हो उठे थे. ईस्टर संडे को बदलाव का भी दिन माना जाता है. कहा जाता है कि इस दिन यीशु मसीह के जीवित होने के बाद उनको यातनाएं देने वाले और सूली पर चढ़ाने वाले लोगों को भी बहुत पश्चाताप हुआ था.ईस्टर संडे के दिन ईसाई समुदाय के लोग ने अहले सुबह कब्रिस्तान में अपने पूर्वजों के कब्र पर मोमबत्तियां जलाई और प्रभु यीशु व पूर्वजों को याद किया. प्रभु यीशु के जीवित होने की खुशी में एक-दूसरे को बधाईयां दी. इस मौके पर पादरी सुशील कुमार बागे,पंचम जार्ज सोय,मनोज बकला,जुनून बारला, दाऊद पूर्ति,जार्ज तिर्की,जेम्स सहित अन्य मौजूद थे. इसे भी पढ़ें :चाकुलिया">https://lagatar.in/chakulia-rail-wheel-in-khemashuli-on-the-fifth-day-and-highway-jam-on-the-sixth-day/">चाकुलिया: खेमाशुली में पांचवे दिन रेल चक्का और छठे दिन हाईवे जाम [wpse_comments_template]