Noamundi (Sandip Kumar Prasad) : गुवा में गुड फ्राईडे के बाद मनाया जाने वाला पहला संडे को ईसाई समुदाय के लोगों ने ईस्टर संडे के रूप में हर्षोउल्लास के साथ मनाया. गुड फ्राइडे के दिन यीशु मसीह के बलिदान को याद किया जाता है, लोग दुखी होते हैं.वहीं ईस्टर संडे पर उनकी खुशी दोगुनी होती है. क्योंकि ईसाई धर्म के लोगों का मानना है कि गुड फ्राइडे के तीसरे दिन रविवार को यीशु मसीह दोबारा जीवित हुए थे. यीशु मसीह के जीवित होने की खुशी में ईसाई समुदाय के लोग ईस्टर संडे मनाया. प्रभु यीशु मसीह प्रेम और शांति के मसीहा थे. दुनिया को प्रेम और करुणा का संदेश देने वाले प्रभु यीशु को उस समय के धार्मिक कट्टरपंथी ने रोम के शासक से शिकायत करके उन्हें सूली पर लटका दिया था. इसी वजह से ईसाई धर्म के लोग गुड फ्राइडे के दिन प्रभु यीशु के बलिदान को याद करते हैं.
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ईस्टर संडे के दिन प्रभु यीशु पुनः जीवित हो उठे थे
लेकिन कहा जाता है कि प्रभु यीशु इस घटना के तीन दिन बाद यानी ईस्टर संडे के दिन पुनः जीवित हो उठे थे. ईस्टर संडे को बदलाव का भी दिन माना जाता है. कहा जाता है कि इस दिन यीशु मसीह के जीवित होने के बाद उनको यातनाएं देने वाले और सूली पर चढ़ाने वाले लोगों को भी बहुत पश्चाताप हुआ था.ईस्टर संडे के दिन ईसाई समुदाय के लोग ने अहले सुबह कब्रिस्तान में अपने पूर्वजों के कब्र पर मोमबत्तियां जलाई और प्रभु यीशु व पूर्वजों को याद किया. प्रभु यीशु के जीवित होने की खुशी में एक-दूसरे को बधाईयां दी. इस मौके पर पादरी सुशील कुमार बागे,पंचम जार्ज सोय,मनोज बकला,जुनून बारला, दाऊद पूर्ति,जार्ज तिर्की,जेम्स सहित अन्य मौजूद थे.
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