Ranchi: रांची विश्वविद्यालय के अंतर्गत आने वाले सभी अंगीभूत महाविद्यालयों में अनुबंध पर कार्यरत इंटरमीडिएट आधारित शिक्षकेतर कर्मचारियों को लेकर एक बार फिर विवाद गहरा गया है. डोरंडा कॉलेज समेत 17 कॉलेजों में कार्यरत इन कर्मचारियों को एक अप्रैल से अचानक मौखिक रूप से हटा दिया गया, जिससे विश्वविद्यालय में हड़कंप मच गया है. इस फैसले से प्रभावित कर्मचारी बेहद आक्रोशित हैं.
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धरने पर डटे 170 कर्मचारी, आंदोलन 17वें दिन भी जारी
करीब 170 कर्मचारी अपने हक की लड़ाई के लिए राजभवन के समक्ष लगातार 17 दिनों से धरने पर बैठे हुए हैं. इन सभी को इंटरमीडिएट पाठ्यक्रम के संचालन के लिए नियुक्त किया गया था और उनका भुगतान झारखंड एकेडमिक काउंसिल (JAC) के माध्यम से किया जाता था.
एस.एस. मेमोरियल कॉलेज के प्राचार्य पर आरोप
एस.एस. मेमोरियल कॉलेज के प्राचार्य राजकुमार शर्मा पर आरोप है कि उन्होंने कर्मचारियों को बिना किसी लिखित सूचना के हटा दिया. बर्खास्त कर्मचारियों का कहना है कि वे प्रवेश, पुस्तकालय, नामांकन, परीक्षा, टी.सी. निर्माण, छात्र कल्याण और चुनाव प्रक्रिया जैसे महत्वपूर्ण विभागों में वर्षों से सेवा दे रहे थे.
डोरंडा कॉलेज में यूजी और पीजी में समायोजन की मांग
प्रभावित कर्मचारियों की मांग है कि उन्हें डोरंडा कॉलेज के यूजी (स्नातक) और पीजी (स्नातकोत्तर) विभागों में समायोजित किया जाए, ताकि उनकी सेवाओं का लाभ कॉलेज को मिलता रहे और वे बेरोजगारी के संकट से बच सकें.
धरना पर बैठे कर्मचारियों का कहना है कि उन्होंने 5-6 हजार रुपये मासिक वेतन पर कार्य करना शुरू किया था और वर्षों से छात्र-छात्राओं के नामांकन, छात्र कल्याण जैसे कार्यों को जिम्मेदारी से निभा रहे थे. ऐसे में अचानक नौकरी से हटाया जाना अत्यंत अन्यायपूर्ण है.
13 मई को कुलपति से वार्ता का आश्वासन
रांची विश्वविद्यालय के कुलपति ने आंदोलनरत कर्मचारियों को 13 मई को वार्ता का आश्वासन दिया है. अब देखना यह होगा कि यह बातचीत प्रभावित कर्मचारियों के लिए कोई राहत लेकर आती है या आंदोलन और तेज होगा.
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