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आलमगीर आलम धन उगाही में शामिल नहीं इस पर विश्वास करने का कोई कारण नहीं है : हाईकोर्ट

  • पिछले साल इडी ने पूर्व मंत्री आलमगीर आलम, उनके आप्त सचिव संजीव लाल समेत अन्य के ठिकानों पर छापेमारी की थी.
  • आलमगीर आलम के आप्त सचिव संजीव लाल के करीबी के घर से इडी ने 37.5 करोड़ रुपया बरामद किया था.
  • कोर्ट ने यह माना है कि घूसखोरी के इस मामले में गिरफ्तार किये गए बाकी लोग आलमगीर आलम के मोहरे हैं.
  • ताराचंद, हरिश यादव, गेंदा राम, राजकुमारी, मुकेश मित्तल, नीरज मित्तल, राम प्रकाश भाटिया आदि को जमानत मिल चुकी है.

Ranchi : न्यायालय के पास पहली नजर में यह विश्वास करने का कोई कारण नहीं है कि याचिकादाता आपराधिक आय के प्रबंधन में शामिल नहीं है. न्यायाधीश सुजीत नारायण प्रसाद ने तत्कालीन मंत्री आलमगीर आलम की जमानत याचिका को खारिज करते हुए यह बात कही है.

 

हाईकोर्ट के न्यायाधीश सुजीत नारायण प्रसाद ने अपने फैसले में कहा है कि भ्रष्टाचार समाज के लिए एक गंभीर खतरा है. इसलिए इससे सख्ती से निपटा जाना चाहिए. जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान सभी पक्षों की ओर से दी गयी दलील, पेश किये गये दस्तावेज की समीक्षा और कानूनी पहलूओं पर विचार के बाद न्यायालय ने आलमगीर आलम की ओर पेश किये तथ्यों को अस्वीकार करते हुए जमानत याचिका खारिज कर दी है. 

 

न्यायालय ने कहा कि पहली नजर में यह विश्वास करने का कोई कारण नहीं है कि याचिकादाता उस आय के प्रबंधन में शामिल नहीं है जिसे आपराधिक आय कहा जाता है. न्यायालय ने अपने फैसले में कहा है कि जांच एजेंसी ने सिर्फ सह अभियुक्तों या अन्य गवाहों के बयान पर ही विश्वास नहीं किया, एजेंसी ने उन सबूतों पर भी विश्वास किया जिससे यह पता चलता है कि अभियुक्त का सीधा संबंध अपराध से है.

 

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आलमगीर की ओर से दिये गये तर्क

प्रवर्तन निदेशालय की ओर से दिया गया तर्क

पूरी तरह निर्दोश हैं, जानबूझ कर फंसाया गया है. अपराध शुरू होने के बाद से लगातार चलता रहा. मंत्री बनने के बाद वह इस अपराध में शामिल हो गये.
जांच में मदद कर रहे थे, फिर भी गिरफ्तार किया गया. जहांगीर के घर से जब्त 32.20 करोड़ रुपये का संबंध मंत्री और उनके आप्त सचिव के साथ है. 
आलमगीर आलम अपराध के समय मंत्री नहीं थे. याचिकादाता आलमगीर आलम का नाम प्राथमिकी में नहीं था. संजीव लाल और इंजीनियरों ने अपने बयान मे यह स्वीकार किया है कि इंजीनियरों द्वारा ठेकेदारों से 1.5 प्रतिशत की दर से मंत्री के लिए कमीशन की मांग की जाती है.
निगरानी द्वारा दर्ज की गयी प्राथमिकी के समय याचितादाता मंत्री नहीं थे. ऐसा कोई सबूत नहीं है जिससे यह कहा जा सके याचिकादाता ने पैसा लिया है. एसीबी द्वारा प्राथमिकी दर्ज करने के समय आलमगीर आलम मंत्री नहीं थे. लेकिन बाद में मंत्री बने.
37.55 करोड़ की बरामदगी संजीव लाल, जहांगीर व अन्य के ठिकानों से हुई है. इंजीनियरों सहित व ठेकेदारों द्वारा दिये गये बयान से पैसों के साथ तत्कालीन मंत्री का संबंध स्थापित होता है.
इस मामले में ताराचंद, हरिश यादव, गेंदा राम, राजकुमारी, मुकेश मित्तल, नीरज मित्तल, राम प्रकाश भाटिया आदि को जमानत मिल चुकी है. न्यायालय ने सह अभियुक्तों को सुप्रीम कोर्ट द्वारा दी जा चुकी जमानत के आधार पर याचिकादाता आलमगीर आलम को भी जमानत देने के अनुरोध को अस्वीकार कर दिया. 
याचिका दाता 15-5-2024 से जेल में है. 13 महीने हो गये. ऐसा नहीं लगता है कि ट्रायल जल्द पूरा होगा. अब तर सिर्फ एक ही गवाह की जांच हुई है. इस मुद्दे पर न्यायालय ने अपने फैसले में कहा है कि इस मामले के सारे सह अभियुक्त इस अपराध के मोहरे हैं. 

 

सुप्रीम कोर्ट द्वारा की गई समानता के सिद्धांत व्याख्या के आलोक में याचिकादाता आलमगीर आलम का मामला दूसरे अभियुक्तों से अलग है. इसलिए याचिकादाता आलमगीर आलम के मामले में समानता के सिद्धांत को स्वीकार नहीं किया जा सकता है. न्यायालय ने अपने आदेश में यह भी कहा है कि जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान कही गयी बातों से ट्रायल कोर्ट प्रभावित नहीं होगा.

 

क्या है मामला

 

ग्रामीण विकास विभाग में टेंडर मैनेज व कमीशनखोरी को लेकर प्रवर्तन निदेशालय इडी ने वर्ष 2024 में पूर्व मंत्री आलमगीर आलम, उनके आप्त सचिव संजीव लाल, आप्त सचिव के करीबी जहांगीर समेत अन्य ठिकानों पर छापामारी की थी. छापेमारी के दौरान इडी ने जहांगीर के घर से 37.55 करोड़ रुपया बरामद किया था. जिसके बाद इडी ने जहांगीर आलम और संजीव लाल को गिरफ्तार कर लिया था. आलमगीर आलम को पूछताछ के बाद गिरफ्तार किया था. इस मामले में पिछले 13 माह से आलमगीर आलम जेल में बंद हैं. 

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