Mumbai : ग्राहक अब अगर कर्ज भुगतान में चूके तो बैंक और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां (एनबीएफसी) मनमाना ब्याज नहीं वसूल पायेंगे. इस मामले में केंद्रीय बैंक ने संशोधित नियम जारी किये हैं. नये नियम के अनुसार, कर्ज भुगतान में चूक मामले में अब बैंक संबंधित ग्राहक पर सिर्फ ‘उचित’ दंडात्मक शुल्क (Penal Fees) ही लगा सकेंगे. एक जनवरी 2024 से बैंक अपना राजस्व बढ़ाने के लिए ग्राहकों से ‘दंडात्मक ब्याज’ नहीं वसूल पायेंगे. हालांकि केंद्रीय बैंक का यह निर्देश क्रेडिट कार्ड, बाह्य वाणिज्यिक कर्ज, व्यापार क्रेडिट आदि पर लागू नहीं होगी. (पढ़ें, स्टंटबाज और नाबालिग बाइक राइडर्स की अब खैर नहीं, प्रशासन कसेगा नकेल)
‘दंडात्मक ब्याज’ को राजस्व बढ़ाने में कर रहे इस्तेमाल
बता दें कि बैंकों और एनबीएफसी अपना राजस्व बढ़ाने के लिए ‘दंडात्मक ब्याज’ को माध्यम के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं. बैंकों की इस प्रवृत्ति पर आरबीआई ने चिंता जताई और नियम में संशोधन कर दिया. रिजर्व बैंक ने ‘उचित ऋण व्यवहार-कर्ज खातों पर दंडात्मक शुल्क’ के बारे में कहा कि बैंक और अन्य ऋण संस्थानों को एक जनवरी 2024 से दंडात्मक ब्याज लगाने की अनुमति नहीं होगी.
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ग्राहकों से उचित दंडात्मक शुल्क वसूला जाना चाहिए
केंद्रीय बैंक ने अधिसूचना में कहा कि कर्ज लेने वाले व्यक्ति द्वारा ऋण अनुबंध की शर्तों का अनुपालन नहीं करने पर उससे ‘दंडात्मक शुल्क’ लिया जा सकता है. इसे दंडात्मक ब्याज के रूप में नहीं लगाया जायेगा. दंडात्मक ब्याज को बैंक अग्रिम पर वसूली जाने वाली ब्याज दरों में जोड़ देते हैं. इसके साथ ही रिजर्व बैंक ने स्पष्ट किया है कि दंडात्मक शुल्क उचित होना चाहिए. यह किसी कर्ज या उत्पाद श्रेणी में पक्षपातपूर्ण नहीं होना चाहिए. अधिसूचना में कहा गया है कि दंडात्मक शुल्क का कोई पूंजीकरण नहीं होगा. ऐसे शुल्कों पर अतिरिक्त ब्याज की गणना नहीं की जायेगी. हालांकि केंद्रीय बैंक का यह निर्देश क्रेडिट कार्ड, बाह्य वाणिज्यिक कर्ज, व्यापार क्रेडिट आदि पर लागू नहीं होगी.
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क्या है दंडात्मक ब्याज
एमआई का भुगतान न करने पर लगाया जाने वाले ब्याज को दंडात्मक ब्याज कहते हैं. अगर किसी ऋणदाता का दंडात्मक ब्याज 24% प्रति वर्ष है. तो इसका मतलब है कि डिफॉल्ट के हर महीने के लिए अतिदेय राशि पर 2% का जुर्माना लागू होगा. उदाहरण के लिए आप पर लोन है और आपकी ईएमआई 50,000 रुपये है. ऐसे में यदि दंडात्मक ब्याज 24% प्रति वर्ष है, तो देर से भुगतान पर जुर्माना लगभग 1,000 (50,000 रुपये का 2%) होगा. ईएमआई का भुगतान करने में चूक जाने बैंक और एनबीएफसी ग्राहकों से मनमाना दंडात्मक ब्याज वसूलते थे. आरबीआई के फैसले के बाद इस पर लगाम लगेगी.
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