Amit Singh
Ranchi : झारखंड देश का पहला ऐसा राज्य है. जिसने शौचालय निर्माण के निर्धारित लक्ष्य को एक साल पहले ही हासिल कर लिया. अक्तूबर 2019 तक प्रदेश में 40 लाख शौचालय बनाने का लक्ष्य केंद्र सरकार से मिला था. झारखंड के जिम्मेदारों ने शत-प्रतिशत लक्ष्य 5 अक्तूबर 2018 को हासिल कर लिया. कागजी आंकड़ों के अनुसार, शहरी क्षेत्र के निकाय दो अक्तूबर 2017 को ही खुले में शौच से मुक्त हो गये थे. जबकि जमीनी सच्चाई कुछ और ही है.
अफसरों ने अपने फायदे के लिए कागज पर शौचालय निर्माण दिखा कर राशि की निकासी कर ली. पकड़े जाने के डर से लाभुकों को बिचौलिये की मदद से कुछ पैसे थमा दिये. ऐसा ही एक मामला रांची जिले के सिल्ली ब्लॉक के बंता हजाम गांव का सामने आया है. यहां कागज पर 200 शौचालय का निर्माण दिखाकर लाखों रुपये की निकासी कर ली गयी है.
लगातार न्यूज नेटवर्क को मिले दस्तावेज के अनुसार, जिम्मेदारों ने एक ही लाभुक को दो-दो बार शौचालय की राशि का भुगतान किया है. बंता हजाम गांव में कुल 1066 शौचालय का निर्माण होना था. इसमें बेस लाइन सर्वे (बीएलएस) के तहत 735, लेफ्ट आउट बेस लाइन सर्वे के तहत 239 और एनएलबी के तहत 92 शौचालय बनाने का लक्ष्य था. जिम्मेवारों ने जमीन के बजाय कागज पर ही 200 शौचालय बनाकर लक्ष्य को पूर्ण बता दिया. शौचालय निर्माण की विस्तृत जांच हुई, तो बड़े घोटाले का पर्दाफाश होगा.
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एक लाभुक को दो-दो बार किया गया राशि का भुगतान
सिल्ली के बंता हजाम (साउथ) गांव में एक ही व्यक्ति (लाभुक) को दो-दो बार शौचालय निर्माण राशि का भुगतान किया गया है. कई ऐसे भी मामले सामने आये हैं. जिसमें एक ही घर के सभी लोगों के नाम पर राशि की निकासी की गयी है. मगर घर में एक भी शौचालय का निर्माण हुआ ही नहीं है. गांव के 30 प्रतिशत शौचालयों का निर्माण आधा-अधूरा ही हुआ है. वैसे शौचालय को भी पूर्ण बता कर राशि की निकासी कर ली गयी है.
गांव के लाभुक लालेश्वर कोइरी (पिता घासी राम कोइरी), ललिता देवी (लक्ष्मी नारायण कोइरी), लक्ष्मी नारायण कोइरी(महादेव कोइरी) जैसे कई लाभुकों को दो-दो बार शौचालय निर्माण कार्य की राशि दी गयी है.
एक बार पिता को जिंदा बताकर, दूसरी बार मृत बता कर हड़पी राशि
बंता हजाम गांव के ही एक लाभुक ने अपने पिता को एक बार जीवित दिखा कर पैसा लिया. जबकि दूसरी बार पिता को मृत बताकर राशि की निकासी कर ली. जो शौचालय बनाया, वह भी आधा अधूरा. गांव के कई लाभुक जलावन की लकड़ी रखने के लिए शौचालय का उपयोग कर रहे हैं. गांव के लाभुक शिवचरण पातर मुंडा (पिता लक्ष्मण पातर मुंडा) ने दो बार शौचालय निर्माण की राशि निकाली है. एक बार पिता को जीवित बताते हुए, दूसरी बार पिता को मृत बताते हुए.
गांव में ऐसे कई मामले हैं, जिसमें बिचौलियों और विभागीय अफसरों की मिलीभगत से बिना शौचालय निर्माण कराये ही राशि दे दी गयी है.
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शौचालय निर्माण के नाम पर जमकर हुई लूट
प्रदेश की राजधानी रांची के ज्यादातर ब्लॉक और गांव में शौचालय निर्माण और राशि भुगतान में गडबड़ी की शिकायत आ रही है. रांची सहित प्रदेशभर में स्वच्छ भारत मिशन को मजाक बनाकर रख दिया गया. स्वच्छता अभियान के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजल एवं स्वच्छता विभाग ने बगैर शौचालय निर्माण के गांव को ओडीएफ घोषित कर दिया गया है.
इतना ही नहीं, ओडीएफ घोषित करने के बाद इसे उपलब्धि के तौर पर सरकार को विस्तृत रिपोर्ट भेजी गयी है. गांव के बाहर ओडीएफ का बोर्ड लगाकर और बोर्ड के साथ फोटो खिंचवायी गयी है. इसके बाद उस स्थान से बोर्ड को हटा लिया गया है, ताकि गांव के लोगों को इसकी भनक न लगे.
किस जिले में कितने शौचालय का हुआ निर्माण
जिला | लक्ष्य |
रांची | 2,52,605 |
हजारीबाग | 2,32,993 |
चतरा | 1,58,217 |
कोडरमा | 83,919 |
रामगढ़ | 92,597 |
बोकारो | 1,66,843 |
पलामू | 2,74,071 |
लातेहार | 1,22,111 |
गढ़वा | 1,95,334 |
गुमला | 1,66,193 |
लोहरदगा | 67,776 |
सिमडेगा | 97,913 |
देवघर | 1,82,730 |
धनबाद | 1,87,065 |
दुमका | 2,05,342 |
गिरिडीह | 2,73,457 |
गोड्डा | 1,49,752 |
जामताड़ा | 1,18,198 |
खूंटी | 81,052 |
पाकुड़ | 1,88,930 |
प.सिंहभूम | 1,62,313 |
पूर्वी सिंहभूम | 1,82,397 |
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