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इस आधार पर 9 साल बाद खत्म हुई गैर-मजरूआ खास जमीन के रजिस्ट्रेशन पर लगी रोक

Ranchi : झारखंड हाइकोर्ट ने राज्य सरकार द्वारा गैर-मजरूआ खास जमीन की रजिस्ट्री पर पाबंदी लगाने के लिए जारी अधिसूचना को रद्द कर दिया है. हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एमएस रामचंद्र राव और न्यायाधीश राजेश शंकर की पीठ ने Chotanagpur Diocesan Trust Association (CNDTA) बनाम राज्य सरकार के मामले में सुनवाई के बाद अधिसूचना संख्या 1132 को रद्द करने का आदेश दिया है. हाइकोर्ट में सीएनडीटीए, अरूण बारवा, मेसर्स वीएसआरएस कंस्ट्रक्शन, बीरेंद्र नारायण देव, सुभाष अग्रवाल और भगवती देवी ने अलग अलग याचिका दायर कर सरकार द्वारा 26 अगस्त 2015 को जारी अधिसूचना की वैधता को चुनौती दी थी. याचिकादाताओं की ओर से रजिस्ट्रेशन एक्ट 1908 की धारा 22-ए की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी गयी थी. साथ ही इस एक्ट के तहत जारी अधिसूचना की वैधता को चुनौती दी गयी थी.
क्या है धारा 22-ए
रजिस्ट्रेशन एक्ट 1908 की धारा 22-ए में राज्य सरकार को नियम बना कर सार्वजनिक नीति के खिलाफ संपत्ति के रजिस्ट्रेशन को रोकने के अधिकार दिया गया है.
सरकारी अधिसूचना रद्द करने का कारण
न्यायालय ने सरकार द्वारा जारी अधिसूचना की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं की संयुक्त रूप से सुनवाई की. न्यायालय ने सभी पक्षों की दलील को सुनने के बाद सरकार द्वारा जारी अधिसूचना को रद्द करने के लिए राजस्थान सरकार बनाम बसंत नाथा व अन्य के मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिये गये फैसले को आधार बनाया है. 
हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि राजस्थान सरकार ने भी इसी तरह का नियम बनाया था. सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान सरकार बनाम बसंत नाथा के मामले में कहा है कि सार्वजनिक नीति( Public Policy) एक अस्पष्ट शब्द है. इसे परिभाषित करने के लिए कोई गाईलाइन नहीं है. इसलिए सरकार को किसी भी क्षेत्र में इसके इस्तेमाल का अधिकार नहीं दिया जा सकता है. राजस्थान सरकार और झारखंड सरकार के मामले में एकरूपता है. 
हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिये गये फैसले को ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार द्वारा अपनाये गये रजिस्ट्रेशन एक्ट 1908 की धारा 22-ए और इससे संबंधित 26 अगस्त 2015 को जारी अधिसूचना संख्या 1132 को रद्द कर दिया. न्यायालय ने अपने फैसले में यह भी कहा है कि इस अधिसूचना के आलोक में सब-रजिस्ट्रार या निबंधन विभाग के अधिकारियों द्वारा पारित किये गये सभी आदेश रद्द समझे जायेंगे. इसे भी पढ़ें - जमानत">https://lagatar.in/police-will-get-training-to-collect-information-about-criminals-released-on-bail/">जमानत

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