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नीलाबर-पीताबर विश्वविद्यालय मे घटिया निर्माण के आरोप में ठेकेदार पर दंडात्मक कार्रवाई का आदेश

Ranchi : राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार ने नीलांबर-पीतांबर विश्वविद्यालय के लिए बने नये भवनों के रद्दी निर्माण के मामले में ठेकेदार के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई करने का आदेश दिया है. गलत सर्टिफिकेट देने वाले कार्यपालक अभियंता और विश्वविद्यालय के छह अधिकारियों पर कार्रवाई करने का आदेश दिया गया है. राज्यपाल ने जांच में निर्माण के दौरान भवन के चारों तरफ दीमक, निर्माण में घटिया सामग्रियों के इस्तेमाल के अलावा खिड़की दरवाजा तक सही नहीं पाये जाने के बाद कार्रवाई का निर्देश दिया गया है.

 

जानकारी के मुताबिक नीलांबर-पीतांबर विश्वविद्यालय के एडमिनिस्ट्रेटिव और अकेडमिक भवन का निर्माण झारखंड राज्य भवन निर्माण निगम की देखरेख में पूरा किया गया था. इन भवनों के निर्माण के लिए 122 करोड़ रुपये की एस्टीमेट तैयार किया गया था.

 

टेंडर के बाद कोलकाता की कंपनी छाबड़ा एंड जेके इंजीनियरिंग के साथ 116 करोड़ की लागत पर निर्माण कार्य दो वर्ष में पूरा करने के लिए वर्ष 2018 में एकरारनामा किया गया. हालांकि लागत में 40 प्रतिशत की वृद्धि के बाद इसे 162 करोड़ रुपये की लागत पर पूरा किया गया.

 

राज्यपाल सचिवालय द्वारा दिये गये निर्देश

  • ⁠रद्दी निर्माण के मामले में छाबड़ा एंड जेके इंजीनियरिंग पर रद्दी सामग्रियों के इस्तेमाल और रद्दी निर्माण के मामले में दंडात्मक कार्रवाई करे.
  • ⁠विश्वविद्यालय के डीन स्टूडेंट वेलफेयर, सीसीडीसी, प्रॉक्टर, रजिस्ट्रार, असिसटेंट रजिस्ट्रार और फिजिक्स के एचओडी के खिलाफ कठोर प्रशासनिक कार्रवाई करने का निर्देश.
  • ⁠निर्माण लागत में 40 प्रतिशत की वृद्धि का उचित कारण बताने का निर्देश. वृद्धि के लिए सक्षम अधिकारी से अनुमति ली गयी या नहीं.
  • ⁠भवन निर्माण निगम उच्च स्तरीय समिति से रद्दी निर्माण की समीक्षा कर रिपोर्ट भेजे.
  • ⁠बीक्यू के मुकाबले अधूरे काम और रद्दी सामग्रियों के इस्तेमाल पर विशेष रिपोर्ट दे.
  • ⁠गलत रिपोर्ट देने के मामले में भवन निर्माण निगम के कार्यपालक अभियंता पर जिम्मेवारी तय करे.
  • ⁠गलत रिपोर्ट देने के मामले में भवन निर्माण निगम के पलामू स्थित अधिकारियों पर कार्रवाई करे.

 

राज्यपाल ने निर्माण में गड़बड़ी की शिकायत मिलने के बाद जांच करायी. राज्यपाल सचिवालय के अधिकारियों और पलामू उपायुक्त द्वारा नामित कार्यपालक अभियंता की समिति ने जांच के बाद अपनी रिपोर्ट राज्यपाल को सौंपी. इसमें कई चौकाने वाली बातें सामने आयी. समिति के निर्देश पर जांच के समय झारखंड भवन निर्माण निगम के कार्यपालक अभियंता, निर्माण करने वाली कंपनी के प्रतिनिधि भी उपस्थित हुए.

 

जांच में पाया गया कि एडमिनिस्ट्रेटिव बिल्डिंग को 2022 में और अकेडमिक बिल्डिंग को जनवरी 2025 में हैडओवर किया गया. निगम के कार्यपालक अभियंता द्वारा दी गयी गलत रिपोर्ट के आधार पर हैंडओवर की प्रक्रिया शुरू की गयी थी. हैंडओवर लेने के दौरान विश्वविद्यालय के अधिकारियों ने भी निर्माण में हुई गड़बड़ी को नजरअंदाज किया.

 

राज्यपाल द्वारा करायी गयी जांच में मिली गड़बड़ी

  • चौखट साल के लकड़ी की नहीं है. चौखट में दरारें हैं.
  • बालकोनी का बाहरी ग्रिल को ठीक से नहीं लगा है. सुरक्षात्मक दृष्टिकोण से सही नहीं.
  • खिड़की ओर दरवाजे में रद्दी सामान का इस्तेमाल.
  • लैंडस्केपिंग सही नहीं है. पेवर ब्लॉक में दरारे हैं.
  • अकेडमिक बिल्डिंग में पानी की सुविधा नहीं.
  • प्रशासनिक भवन के परिसर में एक भी बोरिंग नहीं पाया गया.
  • पेवर ब्लॉक में दरार, भवन के चारो तरफ चिटियां और दीमक लगे हैं.
  • गंदे पानी और बारिश के पानी के लिए अलग-अलग पाइपलाईन नही बनाया गया है.
  • डोर स्टॉपर, एल-बोल्ट सहित अन्य सामग्रियां अलग-अलग तरह की है.
  • हाइड्रोलिक डोर क्लोजर सही नहीं मिला. दीवारों के जोड़ में दरारे पायी गयीं.

 

कार्यपालक अभियंता की रिपोर्ट में एडमिनिस्ट्रेटिव बिल्डिंग में दो बोरिंग और एक समरसेबल पंप होने का उल्लेख किया गया था. समिति ने जांच के दौरान पूरे परिसर में एक भी बोरिंग नहीं पाया. अकेडमिक बिल्डिंग में एक बोरिंग और पंप होने का उल्लेख था. जांच मे इसे ठेकेदार द्वारा निर्माण कार्य के लिए स्थापित किया पाया गया.

 

जांच समिति ने इसे बोरिंग से अकेडमिक बिल्डिंग के लिए पानी की जरूरत को पूरा करने में असमर्थ पाया. साथ ही इसे बीओक्यू में वर्णित ब्योरे के अनुरूप नहीं पाया. भवन के चारों ओर दीमक लगे पाये गये. इससे भवन की संरचना को खतरा होने की आशंका जतायी गयी.

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