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alt="" width="600" height="400" /> जारी आदेश के मुताबिक, कंपनी ने इनपुट क्रेडिट का गलत लाभ लिया और टैक्स की चोरी की. विभाग ने जांच और गणना में पाया है कि कंपनी ने तीन सालों में 1.65 करोड़ रुपये की टैक्स चोरी की. कंपनी ने अनरजिस्टर्ड डीलरों से भी लाखों रुपये के सामान खरीदे या सेवाएं लीं. जिसका जीएसटी सरकार को नहीं जमा किया. तीन महीने (01.07.2017 से 12.10.2017) के बीच जो खरीदददारी या सेवाएं ली, उसमें 11.43 लाख रुपये की टैक्स की चोरी की. अजमानी इंफ्रास्ट्रक्चर एंड प्रोजेक्ट प्राइवेट लिमिटेड ने तीन माह के भीतर अजय मालाकार को 4.94 लाख रुपये, कुमार इलेक्ट्रीकल एंड डेकोरेटर्स को 10.59 लाख रुपये, टेलर को 2.83 लाख रुपये, जेनरेटर के लिए 25 लाख रुपये, मजदूरों को 8.09 लाख रुपये, रंजीत साउंड को 2.46 लाख रुपये पेमेंट किया. इसके अलावा भी कई डीलरों पेमेंट किए. ये सभी अन रजिस्टर्ड डीलर हैं. इन अनरजिस्टर्ड डीलरों को पेमेंट का 18 प्रतिशत जीएसटी सरकार को देने का प्रावधान है, लेकिन कंपनी ने जीएसटी का 11.43 लाख रुपये जमा ही नहीं किया. अजय मालाकार व अन्य अनरजिस्टर्ड व्यापारियों से सामान खरीदे. इस ख़रीद पर 11.43 लाख रुपये टैक्स की देनदारी बनती है. इस तरह की खरीद पर खरीददार को टैक्स की रकम चुकानी पड़ती है. लेकिन अजमानी की कंपनी ने टैक्स नहीं चुकाया. विभाग द्वारा टैक्स के मामले में उठाये गये बिंदुओं पर कंपनी की ओर से अपना जवाब दिया गया. इसमें बकाया टैक्स का कुछ रकम चुकाने और कुछ वस्तुओं पर टैक्स नहीं होने का दावा किया गया. विभाग ने अजमानी इंफ्रास्ट्रक्चर द्वारा दिये गये जवाब, दावे और अपने पक्ष में दिये गये दस्तावेजों की जांच की. इस क्रम में कुछ दावों को स्वीकार किया और कुछ को अस्वीकार कर दिया. इसके बाद टैक्स और दंड की गणना कर वसूली से संबंधित आदेश जारी किया. इसे भी पढ़ें - बजट">https://lagatar.in/budget-session-maiya-samman-amount-for-january-february-will-be-received-before-holi/">बजट
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