Advertisement

ओरमांझी: गांव की सैकड़ों महिलाएं बांस की टोकरी बनाकर कर रही हैं गुजारा

Mohsin Alam   Ormanjhi: सरकार लोगों को रोजगार देने की कितनी भी बातें क्य़ों ना कर ले. लेकिन सच्चाई ये है कि आज भी सरकारी योजनाएं और वायदे ग्रामीण इलाकों में पहुंचने के पहले ही खत्म हो जाती है. कोरोना काल में राज्य के ग्रामीण इलाकों की हालत और भी ज्यादा खराब हो गयी है. कुछ ऐसा ही हाल है ओरमांझी प्रखंड के पांचा पंचायत के अंतर्गत स्थित विस्थापित गांव मतातु का. यहां की महिलाओं ने कोरोना काल में पुरुषों के काम छूट जाने के बाद घर चलाने के लिए बांस की टोकरी बनाना शुरु कर दिया है . एक के बाद एक गांव की कई महिलाएं इस काम से जुड़ गयी. इसके बाद से अब गांव के सैकड़ों परिवारों की जिंदगी बांस की टोकरी पर आश्रित है.

इसे भी देखें....

इसे भी पढ़े-सर्दियों">https://lagatar.in/troubled-by-joint-pain-in-winter-your-diet-can-be-the-solution/10818/">सर्दियों

में जोड़ों के दर्द से हैं परेशान? आपका आहार बन सकता है निदान

नहीं है बाजार की व्यवस्था

गांव की महिलाएं बांस खरीदकर उनसे टोकरी, हाथ पंखा, खचिया, सूप-डाली और शादी के सामान बनाकर अपना जीविकोपार्जन कर रही हैं. इस काम में अब महिलाओं के साथ ही बच्चे भी अपना हाथ बटा रहे हैं. हालांकि इन समानों को बेचने के लिए बाजार की व्यवस्था नहीं होने के कारण उन्हें काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. इसी कारण लोगों को बनाए गये समानों को बेचने के लिए एक गांव से दूसरे गांव घूमना पड़ रहा है. गांव के लोग अब बांस से बनाए हुए सामानों को बेचकर ही अपना गुजर-बसर करते हैं. [caption id="attachment_10842" align="aligncenter" width="600"]https://lagatar.in/wp-content/uploads/2020/12/kaamiya.jpg"

alt="बीपीएल कार्ड , सरकारी मदद, जनप्रतिनिधि आत्मनिर्भर, हेमंत सोरेन, ग्रामीण महिलाएं, सरकारी योजनाएं और वायदे, कोरोना काल, ओरमांझी प्रखंड के पांचा पंचायत, बांस की टोकरी, जीविकोपार्जन, बाजार की व्यवस्था, , झारखंड न्यूज, न्यूज झारखंड lagatar.in , लगातार " width="600" height="400" /> बांस की टोकरी बनाती महिला...[/caption] इसे भी पढें- कृषि">https://lagatar.in/pm-modis-address-on-agriculture-law-attacked-the-opposition-fiercely-said-discussion-on-agriculture-law-for-two-and-a-half-decades/10799/">कृषि

कानून को लेकर पीएम मोदी का संबोधन, विपक्ष पर जमकर किया हमला, कहा- कृषि कानून पर ढाई दशक से हो रही चर्चा

अबतक नहीं बना है बीपीएल कार्ड

सरकार और प्रशासन की पहुंच से दूर इन ग्रामीणों का अब तक बीपीएल कार्ड भी नहीं बन पाया है. इस कारण कोरोना काल में लोगों को मिलने वाली राहतों से भी ये ग्रामीण लाभान्वित नहीं हो सके. गांव की कुछ महिलाओं ने बताया कि इस काम में पहले अच्छी आमदनी हो रही थी लेकिन लगातार बढ़ती बांस की कीमतें परेशान कर रही हैं. इसे भी पढें- राजनैतिक">https://lagatar.in/politically-government-has-turned-against-the-farmers/10813/">राजनैतिक

तौर पर सरकार किसानों से मुकाबले को उतर चुकी है!

जनप्रतिनिधियों और सरकार ने नहीं की कोई पहल

ग्रामीण महिलाओं का कहना है कि ज्यादा कीमत पर बांस खरीदने के बावजूद बाजार नहीं होने के कारण उन्हें काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. महिलाओं ने कहा कि उन्हें  जन प्रतिनिधियों और सरकार के द्वारा किसी भी प्रकार का कोई भी सहायता नहीं मिलती है.महिलाओ कहा कहना है कि अगर सरकार के द्वारा किसी प्रकार की सहायता राशि मिलती है तो बांस के व्यवसाय में काफी बेहतरी हौ सकती है. इसके साथ ही और भी महिलाएं इससे लाभान्वित हो सकती हैं. इसे भी पढ़ें-   पलामू:">https://lagatar.in/palamu-two-criminals-involved-in-the-famous-jewelers-robbery-case-arrested/10780/">पलामू:

चर्चित ज्वेलर्स लूटकांड में शामिल दो अपराधी गिरफ्तार

सरकारी मदद से बन सकते हैं आत्मनिर्भर-सरिता देवी  

ओरमांझी की जिला परिषद सदस्य सरिता देवी ने कहा कि अगर सरकार मदद के लिए आगे आए तो गांव की महिलाएं आत्मनिर्भर बन सकती हैं. उन्होने कहा कि ये ओरमांझी प्रखंड का अति पिछड़ा और विस्थापित गांव है,यहां के लोग काफी गरीबी से जूझ रहे हैं औऱ बांस का सामान बना कर अपना जीवन यापन करने को मजबूर है. उन्होंने कहा कि वे मुख्यमंत्री से बात कर इन लोगों को मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने की कोशिश करेंगी. इसे भी पढ़ें- 5">https://lagatar.in/5-tpc-militants-arrested-had-posters-in-the-capital/10757/">5

TPC उग्रवादी गिरफ्तार, राजधानी में की थी पोस्टरबाजी