Patna: चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर का महागठबंधन और एनडीए पर हमला जारी है. अगले साल विधानसभा लड़ने की बात कहकर बिहार की राजनीति में खबलबी मचाने वाले पीके ने कहा कि उनका मुकाबला सिर्फ एनडीए से है. 2020 के विधानसभा चुनाव को लेकर पीके ने कहा कि अगर पिछली बार चिराग पासवान फैक्टर नहीं होता तो राजद को इतनी सीटें नहीं मिलती. उन्होंने दावा किया कि बिहार में अब राजद का कोई फैक्टर नहीं रह गया है. पीके ने कहा कि लालू एवं तेजस्वी यादव की पार्टी को बिना मतलब के बड़ा समझा जा रहा है. पिछली बार राजद ने अपने दम पर कब चुनाव जीता था. 1995 के बाद से वह पार्टी कांग्रेस की स्टेपनी पर चल रही है और बीच में जेडीयू के सहारे सत्ता में आई थी. लोग राजद को बड़ी पार्टी कहते हैं. मगर 2010 के विधानसभा चुनाव में महज 22 सीटें लेकर आई थी. 2015 के चुनाव में तो जेडीयू के साथ रहते हुए हमलोगों ने राजद की मदद की थी. 2020 के विधानसभा चुनाव में अगर चिराग पासवान खड़े नहीं होते तो राजद को 30 से 32 सीटें ही आती.
2020 के विधानसभा चुनाव में राजद को 75 सीटें मिली थीं
बता दें कि 2020 के विधानसभा चुनाव में राजद को 75 सीटें मिली थीं. हालांकि भाजपा और जेडीयू के गठबंधन को बहुमत मिलने के बाद राज्य में एनडीए की सरकार बनी. पिछले चुनाव में लोजपा में टूट से नाराज होने का बाद चिराग पासवान ने कई सीटों पर अकेले चुनाव लड़ा था. इससे राजद नीत महागठबंधन को कुछ सीटों पर फायदा हुआ था. पीके ने कहा कि एनडीए का एक टायर नीतीश कुमार हैं. उनकी पार्टी जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) पहले से ही पंचर है. उसमें 2-4 स्टेपनी जैसे छोटे दल साथ लगे हैं. ऐसे में भाजपा कितना खींच पाएगी, यह सोचने का विषय है. इसलिए अगले साल होने वाला विधानसभा चुनाव नीतीश कुमार के एनडीए और जन सुराज के बीच ही लड़ा जाएगा. बता दें कि प्रशांत किशोर बीते दो सालों से बिहार में पदयात्रा पर हैं. वह अपने जन सुराज संगठन को दो अक्टूबर को राजनीतिक पार्टी में बदलेंगे. जिसका लोगों को बेसब्री से इंतजार है. इसके बाद चुनाव में उतरेंगे. ऐसे में बिहार विधानसभा का अगला चुनाव दिलचस्प होनेवाला है.