Search

पड़हा समन्वय समिति ने आरक्षण नीति, आदिवासी अधिकारों पर उठाये सवाल

 Ranchi :  पड़हा समन्वय समिति, भारत ने आदिवासियों की आरक्षण नीति को लेकर शनिवार को प्रेस क्लब में संवाददाता सम्मेलन आयोजित किया.  प्रेस कॉंफ्रेंस में समिति के अध्यक्ष राणा प्रताप उरांव, संगठन सचिव एलिम उरांव, डॉ परमेश्वर भगत,  संगठन सचिव मेघु उरांव समेत अन्य उपस्थित थे. हुए राणा प्रताप उरांव ने आरोप लगाया कि  राज्य सरकार और प्रशासन आरक्षण नीति का उल्लंघन और आदिवासी समुदाय के अधिकारों का हनन  कर रहे हैं. समिति ने कहा कि राज्य गठन के बाद से विभिन्न सरकारी विभागों, निगमों और निकायों में आरक्षण रोस्टर का अनुपालन सही ढंग से नहीं किया गया है. अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति, पिछड़ा वर्ग और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के अभ्यर्थी उचित प्रतिनिधित्व से वंचित हैं, चाहे वह सीधी भर्ती हो या पदोन्नति. साथ ही, बैकलॉग पदों का भी समुचित रखरखाव नहीं हो रहा है. समिति ने अनुबंध और आउटसोर्सिंग के माध्यम से की जा रही नियुक्तियों पर कड़ा ऐतराज जताया.  कहा कि आरक्षण नीति की खुली अवहेलना हो रही है. आरक्षित वर्गों का मानसिक, शारीरिक तथा आर्थिक शोषण हो रहा है.  उन्होंने आउटसोर्सिंग प्रणाली शीघ्र बंद करने की मांग की. समिति ने आदिवासी विधायकों पर भी सवाल उठाये.  कहा कि वे विधानसभा में बुनियादी संवैधानिक सवालों को प्रभावी ढंग से नहीं उठा रहे हैं. जनजातीय सलाहकार परिषद (TAC) की बैठक 17 महीनों से नहीं हुई है, जो चिंताजनक है. समिति ने TAC के संवैधानिक पुनर्गठन और लंबित मामलों के शीघ्र निपटारे की मांग की. राष्ट्रीयकृत बैंकों द्वारा CNT और SPT एक्ट की जमीनों के विरुद्ध ऋण प्रदान करने पर लगी रोक पर चिंता जताते हुए समिति ने इसे आदिवासी विकास में बाधा बताया. उन्होंने सरकार से मांग की कि बैंकों को फिर से ऋण प्रदान करने का निर्देश दिया जाये ताकि आदिवासी समुदाय आर्थिक रूप से सशक्त और मजबूत बन सके. पेसा कानून 1996 के नियमावली अब तक नहीं बनने पर गहरी नाराजगी जताते हुए समिति ने कहा कि जल, जंगल, जमीन, शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार पर बुरा प्रभाव पड़ा है. उन्होंने पेसा नियमावली को शीघ्र लागू करने की मांग की. समिति ने CNT और SPT एक्ट के तहत आदिवासी समुदाय को शहरी क्षेत्रों में सीमित भूमि खरीदने और बसने की अनुमति देने की भी मांग की, ताकि समुदाय के लोग शिक्षा और रोजगार के बेहतर अवसर प्राप्त कर आत्मनिर्भर बन सकें.  SAR कोर्ट में लंबित जमीन वापसी मामलों के शीघ्र निष्पादन की भी आवश्यकता बताई गयी. इसे भी पढ़ें :  राज्य">https://lagatar.in/jmm-is-trying-to-shut-down-the-power-plants-of-the-state-babulal/">राज्य

के पावर प्लांट को बंद करने की कोशिश कर रहा है झामुमोः बाबूलाल 
Follow us on WhatsApp