Palamu : जिले के नौडीहा बाजार थाना क्षेत्र के झरहा में गुरुवार को माइंस संचालकों और ग्रामीणों के बीच जमकर झड़प हो गई. इससे ग्रामीण आक्रोशित हो गये और डीसी कार्यालय पहुंचकर प्रदर्शन किया. प्रदर्शनकारी माइंस संचालकों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग कर रहे थे. झड़प की घटना के बाद कई बातें सामने निकल कर आ रही है. जिस पर कई सवाल खड़े हो रहे हैं.
इस सवालों के ढूंढ़े जा रहे जवाब
-माइंस संचालकों द्वारा दिन-रात हाइवे से पत्थर अवैध तरीके से ओवरलोडिंग कर ले जाया जाता है. इस पर जिला प्रशासन क्यों नहीं कारवाई की?
– ओवरलोडिंग मामले में ग्रामीणों द्वारा कई बार थाना और जिला प्रशासन से इसकी शिकायत की. शिकायत के बावजूद जिला प्रशासन या थाना ने कार्रवाई क्यों नहीं की?
-जब जिला प्रशासन को मालूम था कि ग्रामीण जमा होकर रोड जाम करेंगे तो प्रशासन क्या कर रहा था?
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-जब ग्रामीण और मांइंस संचालकों के बीच झड़प हुई तो उस दौरान माइंस संचालकों के द्वारा हथियार निकाल कर लोगों पर गोली चलाने की कोशिश हुई लेकिन गोली नहीं चला. यदि गोली चल जाती तो ग्रामीण की मौत हो सकती थी. हथियार लहराने या चलाने मामले में आखिर अभी तक पुलिस ने कार्रवाई क्यों नहीं की है?
-झड़प मामले के बाद माइंस संचालकों द्वारा छतरपुर के एक होटल में ग्रामीणों के खिलाफ योजना बनाने के लिए बैठक की गई थी. इसकी भनक पुलिस को क्यों नहीं लगी?
अधिवक्ता रूचिर तिवारी ने व्यक्त की चिंता
पलामू जिला अन्तर्गत नौडीहा बाजार क्षेत्र के झरहा में माइंस संचालकों के द्वारा ग्रामीणों को पीटने और फायरिंग करने की घटना पर अधिवक्ता रुचिर तिवारी ने चिंता व्यक्त की है. उन्होंने कहा कि पलामू जिला में अवैध खनन के बारे में हाईकोर्ट ने पहले भी इस ओर जिला प्रशासन का ध्यान आकृष्ट कराया था. मामले में अधिकारियों के द्वारा लीपापोती कर दिया गया. आज पलामू जिला में माइंस चालक और उसके गुंडे बिहार और छत्तीसगढ़ से आकर राइफल और पिस्तौल के बल पर काम करते हैं. उसके खिलाफ आम जनता अगर आवाज उठाती है तो प्रशासन की मिलीभगत से ग्रामीण जनता पर झूठा मुकदमा दायर कर दिया जाता है. बंदूक का भय दिखाकर उनका दोहन भी किया जाता है. ठीक ऐसा ही मामला नौडीहा बाजार का है. यहां मांइस संचालक ग्रामीणों के इस्तेमाल करने वाली सड़क से माइनिंग का काम कर रहे थे. जबकि किसी भी सूरत में ग्रामीण के इस्तेमाल करने वाला सड़क माइंस के काम के लिए उपयोग नहीं किया जा सकता. आरोप है कि माइंस संचालक अपराधिक प्रवृत्ति के व्यक्ति हैं जो अपने लाइसेंसी हथियार का भय दिखाकर ग्रामीण पर फायरिंग किया और जानलेवा हमला किया. इससे ग्रामीण आक्रोशित हैं. नाराज ग्रामीणों ने पलामू डीसी कार्यालय पहुंचकर प्रदर्शन किया और माइंस संचालकों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की.
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टॉफी की तरह हथियार के लाइसेंस बांटने का आरोप
आरोप है कि पलामू जिले में पहले माइंस संचालकों और सफेदपोश अपराधियों को टॉफी की तरह हथियार के लाइसेंस बांटे गये. उसी का नतीजा है कि गलत व्यक्तियों के हाथों में हथियार का लाइसेंस चला गया है. पलामू उपायुक्त से तत्काल लाइसेंस रद्द करने की मांग की गई. अधिवक्ता रूचिर तिवारी ने माइंस संचालकों पर अविलंब मुकदमा दर्ज कर गिरफ्तार करने की मांग की गयी.
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