sanjeet yadav
Palamu : पंचायती राज विभाग ने ग्राम पंचायत स्तर पर 15 वें वित्त आयोग से मिली राशि खर्च करने के सम्बंध में निर्देश जारी किया है. अब 15 वें वित्त में आयोग से मिली राशि में से ढाई लाख रुपए की योजना में से ही मुखिया लाभुक समिति से काम करा सकेंगे.
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पहले 5 लाख खर्च करने का अधिकार था
इससे अधिक की राशि के काम के लिए टेंडर करने की जरूरत होगी. विभाग ने इस निर्देश से सभी उप विकास आयुक्त व सभी जिला पंचायत राज पदाधिकारी को अवगत करा दिया है. बता दें कि पहले मुखिया को 14वें वित्त आयोग के तहत 5 लाख रुपये खर्च करने का अधिकार था. इससे अधिक की लागतवाली योजनाओं के लिए टेंडर का प्रावधान था. यानी कुल मिलाकर पिछले साल मुखिया द्वारा ग्राम पंचायत स्तर पर 5 लाख तक का काम लाभुक समिति से कराया जा रहा था.
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योजनाओं के क्रियान्वयन के लिए 2.50लाख रुपये ही अनुमान्य होगी
पंचायती राज विभाग ने आदेश जारी करते हुये स्पष्ट किया है कि पहले का आदेश 14 वें वित्त आयोग मद से ग्राम पंचायत स्तर पर लाभुक समिति से योजनाओं के क्रियान्वयन के लिए प्रभावी था. अब 15वें वित्त आयोग मद की राशि से ग्राम पंचायत स्तर पर लाभुक समिति के माध्यम से योजनाओं के क्रियान्वयन के लिए अधिकतम सीमा 2.50लाख रुपये ही अनुमान्य होगी.
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गांव के विकास में बाधा पैदा होगी
कौड़िया मुखिया सरिता देवी ने कहा कि 14 वें वित्त आयोग से 5 लाख रुपये की योजनाओं का काम लाभुक समिति द्वारा कराया जाता था .लेकिन अब 15वें वित्त आयोग से 2.50 लाख रुपये की योजना का काम लाभुक समिति द्वारा कराया जा रहा है .जिसे लेकर गांव के विकास में बाधा पैदा हो गई है. ऐसे में अगर गांव का विकास करना है, तो कम से कम मुखिया के द्वारा 15 वें वित्त में भी 5 लाख रुपये की योजना का काम लाभुक समिति द्वारा कराया जाना चाहिए, तब जाकर गांव में कुछ विकास हो सकेगा.
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2 पार्ट में करना होगा काम
15वें वित्त आयोग में मुखिया द्वारा अब मात्र ढाई लाख की योजना का काम लाभुक समिति द्वारा कराया जायेगा. जबकि पहले 14वें वित्त आयोग में 5 लाख रुपय का काम मुखिया लाभुक समिति के द्वारा कराया जाता था. सरकार द्वारा ढाई लाख रुपए किये जाने पर नवा पंचायत के मुखिया अजय कुमार ने कहा कि राशि कम करने के करने से विकास के कार्य में असर पड़ेगा. विकास कार्य की गति धीरे हो जायेगी. 5 लाख रुपए की काम कराने के लिए 2 पार्ट में काम करना होगा . जिससे काफी समय लगेगा. टेंडर प्रक्रिया में भी निकालने में परमिशन लेने में समय बर्बाद होगा. सरकार को जहां लाभुक समिति द्वारा कराये जाने वाले कार्य की राशि बढ़ानी चाहिए थी. वही घटाकर ग्रामों के विकास में बाधा पैदा की की जा रही है.
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