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हाल क्या है दिलों का न पूछो सनम : दल से दिल टूटेंगे, नेता इधर-उधर भागते भी दिखेंगे

एनडीए और इंडी गठबंधन की पार्टियों को लग सकता है झटके पर झटका Ravi Bharti  Ranchi :  झारखंड में चुनाव की रणभेरी बज चुकी है. टिकट की आस लगाये नेता गुनगुना रहे हैं, हाल क्या है दिलों का न पूछो सनम. सीट शोयरिंग और उम्मीवारों की घोषणा के साथ नेताओं का दल से दिल टूटेगा और इधर-उधर भागते भी नजर आयेंगे. ऐसा एनडीए व इंडी दोनों गठबंधन मेंं होगा. कोई विधानसभा क्षेत्र सीट शेयरिंग में फंसा, तो वहां पहले से तैयारी कर रहे नेता पुरानी पार्टी को अलविदा कह किसी नये दल में ठिकाना तलाशेंगे, जहां टिकट मिलने की गारंटी हो. टिकट की गारंटी के साथ दल-बदल का खेल तेजी से होगा. प्रमुख राजनीतिक पार्टियों का टिकट नहीं मिलने पर कई नेता पार्टी को अलविदा कह विपक्षी पार्टी का दामन थाम सकते हैं, या फिर किसी क्षेत्रीय पार्टी के साथ भी निकल सकते हैं. एनडीए में सीट शेयरिंग का फार्मूला लगभग तय हो चुका है. एनडीए ने साफ कर दिया है कि 98 फीसदी उम्मीदवारों की सूची तैयार है. केंद्रीय नेतृत्व की मुहर लगते ही सूची जारी कर दी जायेगी.

भाजपा में टिकट के दावेदारों की धड़कनें बढ़ीं

भाजपा में भी टिकट के दावेदारों की धड़कनें बढ़ी हुई हैं. हाल फिलहाल में भाजपा में कई कद्दावर नेता टिकट की उम्मीद में दूसरे दलों का साथ छोड़ कर भाजपा में शामिल हुए हैं. ऐसे में दलबदल कर शामिल हुए नेताओं को यदि टिकट मिलता है, तो वहां पहले से तैयारी कर रहे नेताओं का टिकट कटने पर पार्टी को झटका लग सकता है. क्योंकि जिन्होंने पहले से तैयारी कर रखी है, वे दूसरी पार्टियों का रुख कर सकते हैं. ऐसे में तालमेल बैठाने का प्रयास जारी है.

आजसू के कई नेताओं के टूट सकते हैं दिल

एनडीए के घटक दल आजसू में भी कई नेताओं के दिल टूटेंगे. वह पार्टी को अलविदा भी कह सकते हैं. खासकर चंदनक्यारी विधानसभा सीट से दावा ठोंक रहे पूर्व मंत्री उमाकांत रजक टिकट की आस में बैठे हैं. इधर भाजपा के चुनाव सह प्रभारी हिमंता बिस्वा सरमा से साफ कर दिया है कि चंदनक्यारी सीट भाजपा की सीटिंग सीट है. वहीं उमाकांत ने हर हाल में चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी है. वे भी नई पार्टी की तलाश कर रहे हैं. वहीं आजसू के शिवपूजन मेहता हुसैनाबाद सीट से चुनाव लड़ना चाहते हैं, लेकिन इस सीट से वर्तमान विधायक कमलेश सिंह भाजपा में शामिल हो गये हैं. भाजपा कमलेश सिंह को टिकट भी दे सकती है. इस कारण शिवपूजन भी नई राह तलाशेंगे.

इंडी गठबंधन में भी सीट शेयरिंग का सफर आसान नहीं

सीट शेयरिंग और उम्मीदवारी को लेकर इंडी गठबंधन का भी सफर आसान नहीं है. गठबंधन में झामुमो, कांग्रेस, राजद के साथ भाकपा-माले की भी हिस्सेदारी हो गयी है. जानकारी के अनुसार कांग्रेस कोटे की सीटें बढ़ने की कोई सुगबुगाहट नहीं दिख रही. लेकिन दावेदारों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है. कई दावेदार आला नेताओं के संपर्क में हैं. सीटें बढ़ेंगी या नहीं, इस पर अब तक कांग्रेस ने चुप्पी साध रखी है. पिछले चुनाव में कांग्रेस ने 31 सीटों पर चुनाव लड़ा था. वहीं कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी गुलाम अहमद मीर कह चुके हैं कि 20 से 25 विधायक जितायें, तो हमारा सीएम होगा. इस पर झामुमो ने भी प्रतिक्रिया देते हुए कहा था कि कांग्रेस गलतफहमी न पाले.

बगावत कर भी मैदान में उतर सकते हैं प्रत्याशी

सीट शेयरिंग और प्रत्याशियों की घोषणा होने के साथ ही प्रमुख दलों में बगावत के सुर भी उभरेंगे. कुछ पार्टी से बगावत कर भी चुनावी समर में कूद सकते हैं, तो कुछ फ्रेंडली संघर्ष के नाम पर. वैसे भी प्रमुख राजनीतिक पार्टियों के वैसे नेता, जिन्होंने पहले से तैयारी कर रखी है और उन्हें मालूम है कि सीट शेयरिंग के कारण उनका टिकट फंस सकता है, वे दूसरी पार्टियों के भी संपर्क में लगातार बने हुए हैं. सीट शेयरिंग व टिकट की घोषणा होते ही पार्टियों में हलचल होगी, भगदड़ भी मचेगी.    

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