: कलश यात्रा के साथ श्री श्री 1008 मारुतिनन्दन प्राण प्रतिष्ठा महायज्ञ शुरू
सदियों से चली आ रही है यह परंपरा
[caption id="attachment_622048" align="aligncenter" width="600"]alt="" width="600" height="400" /> पूजा में इस्तेमाल किया जाने वाला धूना.[/caption] यह सभी ऐसे उत्पाद हैं जो जंगल से निःशुल्क प्राप्त होते हैं. इसके अलावा साल पत्ते और सियाल सहित अन्य ऐसे उत्पाद हैं जो यहां प्रचुर मात्रा में मिलते हैं और ग्रामीण इन्हें जंगल से लाकर शहरों में बेचते हैं. बड़ी बात यह भी है कि बहुत सारे ऐसे हैं उत्पाद हैं जो सिर्फ हाट-बाजार के दिन ही लोगों को मिलते हैं इसलिए आमजन भी इन सामानों की खरीदारी के लिए हाट-बाजार के दिन का इंतजार करते हैं. जहां दोनों अपने सामान की खरीदारी और बिक्री करते हैं. यह ऐसा अनूठा संगम है जो सिर्फ बाजारों में ही देखने को मिलता है. यह परंपरा है जो सदियों से चली आ रही है, लेकिन इसमें और भी कुछ कार्य की जरूरत है ताकि ग्रामीणों को उनके उत्पाद का उचित मूल्य मिले और वह भी आर्थिक रूप से अपने समाज की मुख्यधारा में शामिल हो सके. [wpse_comments_template]