Ranchi: प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) के तहत 2022 तक सभी शहरी गरीबों को पक्का मकान देने की योजना है. लेकिन झारखंड में आवास निर्माण की जो रफ्तार है, उससे 2023 तक भी सभी आवासों के निर्माण की उम्मीद नहीं दिख रही है. झारखंड में 2.47 लाख ऐसे शहरी गरीब हैं, जो इस योजना का लाभ पाने की अहर्ता रखते हैं. केंद्र ने 2,17,662 आवास अबतक सेंक्शन किये हैं. जबकी राज्य सरकार ने 1,87,215 आवास निर्माण की स्वीकृति दी है. 5 साल में सिर्फ 77,401 मकान ही योजना के तहत राज्य में बने हैं. केंद्र सरकार हर साल सभी राज्यों की डिमांड के मुताबिक, आवास की स्वीकृति और केंद्रांश देती है. कभी आवास स्वीकृति में देरी तो कभी फंड मिलने में देर के कारण 5 साल से योजना का काम प्रभावित होता रहा है. वहीं हजारों लाभुकों ने पहली किस्त लेने के बाद भी समय पर मकान का निर्माण नहीं किया. इस वजह से उनकी दूसरी किस्त नहीं जारी की गई. इस सब कारणों से यह योजना लटकती जा रही है. इस साल जून महीने में बीएलसी के झारखंड के 40 निकायों के लिए 36,304 आवास स्वीकृत किये गये हैं. जबकि पुराने सेंक्शन मकानों में से आधे भी कंप्लीट नहीं हो पाये हैं.
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BLC कंपोनेंट के 34,000 आवास का निर्माण शुरू ही नहीं हुआ
झारखंड में PMAY(U) के तीन कंपोनेंट के तहत आवास निर्माण हो रहा है. इसमें बेनिफिशरी-लेड कंस्ट्रक्शन (बीएलसी), अफोर्डेबल हाउसिंग इन पार्टनरशिप (एएचपी) और स्लम डेवपलमेंट (आईएसएसआर) शामिल हैं. झारखंड में सबसे ज्यादा बीएलसी कंपोनेंट के मकान निर्माण की स्वीकृति दी गई है. अबतक 1,57,098 लाख आवास स्वीकृत किये गये हैं. जबकि कंप्लीट सिर्फ 76,933 आवास ही हुए हैं. वहीं 45,937 आवास निर्माण की प्रक्रिया में हैं. जबकि 34,000 आवास के निर्माण का काम शुरू ही नहीं हुआ है.
AHP के सिर्फ 468 आवास कंप्लीट, ISSR कंपोनेंट के आवास बना ही नहीं
वहीं दूसरे घटक एएचपी के तहत केंद्र से 44,747 आवास सेंक्शन हुए हैं. राज्य ने इनमें से 30,117 के निर्माण की स्वीकृति दी है. अबतक सिर्फ 468 आवास ही कंप्लीट हुए हैं. जबकि 14,128 आवासों का निर्माण चल रहा है. 15,521 आवास का काम अभी तक शुरू नहीं हुआ है. वहीं तीसरे घटक आईएसएसआर के तहत 15,817 आवास सेंक्शन हुए हैं. लेकिन राज्य ने अबतक एक भी आवास की स्वीकृति नहीं दी है.
14 महीने में 1.40 लाख आवास कैसे होंगे कंप्लीट
राज्य ने केंद्र स्वीकृत कुल आवासों से 30,447 आवास ही अबतक स्वीकृत किया है. वहीं जितने आवास राज्य से स्वीकृत हुए हैं, उनमें से भी अभी 1,09,814 आवास अधूरे हैं. जबकि 29,338 आवास केंद्र से और झारखंड को मिलने वाले हैं. आवास कंप्लीट करने के लिए अब समय सिर्फ 14 महीने बच रहे हैं. अगर बचे हुए आवास की डिमांड केंद्र से स्वीकृत हो जाती है तो राज्य में पेंडिंग आवासों की संख्या 1,40,261 हो जाती है. ऐसे में 2022 तक राज्य के हर शहरी गरीब को पक्का मकान देने का सपना पूरा होना मुश्किल लग रहा है.
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