Ranchi : जमशेदपुर पश्चिमी के विधायक सरयू राय बुधवार को एमपी-एमएलए कोर्ट में पेश हुए. उनकी पेशी तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता के निर्देश पर स्वास्थ्य विभाग द्वारा दायर ऑफिशियल सीक्रेट एक्ट के तहत डोरंडा थाने में दर्ज प्राथमिकी के आलोक में हुई.
सरयू राय के अनुसार मुकदमे से संबंधित अनुसंधान, पुलिस डायरी आदि को विस्तार से देखने पर पता चलता है कि पुलिस विभाग के संबंधित अनुसंधानकर्ताओं ने कानून के प्रावधान की अनदेखी कर राजनीतिक दबाव में उनके विरूद्ध आरोपपत्र दाखिल किया है. श्री राय ने कहा कि वे
न्यायालय के समक्ष षडयंत्र का पर्दाफाश करेंगे.
सरयू राय ने कहा कि वह न्यायालय के समक्ष इस षडयंत्र का पर्दाफाश करेंगे और जिन पुलिस अधिकारियों और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने एक साजिश के तहत मुकदमा किया है, उनके विरूद्ध सरकार कार्रवाई करे, यह सुनिश्चित कराउंगा.
उन्होंने कहा कि यह घोर आश्चर्य का विषय है कि उन्होंने जिन दस्तावेजों को स्वास्थ्य विभाग में एक बड़े घोटाला का उजागर करते हुए मुख्यमंत्री को सौंपा था, वे दस्तावेज संचिका में रक्षित एक सामान्य दस्तावेज हैं. ये कहीं से भी गोपनीय दस्तावेज की श्रेणी में नहीं आते. फिर भी स्वास्थ्य विभाग ने उन पर मुकदमा दर्ज किया. बिना किसी सुबूत के न्यायालय में आरोपपत्र दाखिल किया.
सरयू राय ने कहा कि रांची के डोरंडा थाना के अनुसंधानकर्ता और हटिया के पुलिस उपाधीक्षक ने कानून को ताक पर रख कर बिना किसी सुबूत के न्यायालय में आरोपपत्र दाखिल किया. ऑफिसियल सीक्रेट एक्ट के अलावा उन्होंने आरोपपत्र में धारा 120(बी) का जिक्र किया है, जबकि पुलिस डायरी में किसी भी अनुसंधानकर्ता ने कहीं से भी यह साबित नहीं किया है कि स्वास्थ्य विभाग के किसी अधिकारी या कर्मचारी से प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से उनकी कोई बातचीत हुई है.
श्री राय ने कहा कि धारा 120(बी) के लिए यह आवश्यक है कि इसमें एक से अधिक अभियुक्त हों, परंतु उनके अलावा शेष अभियुक्त कौन हैं, इसका कोई उल्लेख पुलिस डायरी और अनुसंधान प्रतिवेदन में नहीं है. उनके विरूद्ध कोई प्रमाण नहीं मिलने के बाद भी हटिया के पुलिस उपाधीक्षक ने इस केस को सत्यापित कर दिया. यह प्राथमिकी और आरोप पत्र दोनों ही तथ्यों की कसौटी पर खरे नहीं उतरते.