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पदाधिकारियों के साथ-साथ व्यापारियों से भी सुझाव लिए गए
दोनों जिलों में माइका खनन के साथ माइका स्क्रैप यानी ढिबरा के कार्य शुरू करने में आने वाली अड़चनों को दूर करने की दिशा में प्रयास किया जा रहा है. पिछले दिनों खनन सचिव ने ढिबरा चुनने को वैध करने के उपायों को लेकर गहन बैठक की. पदाधिकारियों के साथ-साथ व्यापारियों से भी सुझाव लिए गए.ढिबरा का फायदा मजदूर को देने की तैयारी
बैठक का परिणाम भी सकारात्मक रहा. वन विभाग के अधिकारियों से भी अड़चनें दूर करने को लेकर मंतव्य मांगे गए हैं. अप्रैल तक इस दिशा में बेहतर परिणाम आने की संभावना है. इससे आर्थिक संकट से जूझ रहे दोनों जिलों के हजारों मजदूर खुद की माटी से आत्मनिर्भर बन सकेंगे. सरकार ढिबरा का सीधा फायदा मजदूरों को देने की तैयारी कर रही है. इसे भी पढ़ें -विचार">https://lagatar.in/think-be-ashamed-repent-and-accept-last-year-we-were-wrong/39844/">विचारकरें, शर्म करें, पश्चाताप करें और स्वीकार करें- पिछले साल हम गलत थे
कोडरमा व गिरिडीह के माइका की मांग पूरे विश्व में थी
बता दें कि 20 वीं सदी के आठवें दशक में कोडरमा व गिरिडीह के माइका की मांग पूरे विश्व में थी. देश-विदेश में यहां से उत्तम क्वालिटी के माइका की आपूर्ति होती थी. इस उद्योग ने यहां के लोगों को रोजगार दिया था और देश को कई उद्योगपति भी दिए. बाद में वन विभाग के जटिल नियमों के कारण यह उद्योग काफी प्रभावित हुआ और आर्थिक रूप से सशक्त कोडरमा में बेरोजगारी बढ़ती चली गई. लंबे समय से माइका का खनन बंद है, लेकिन अवैध तरीके से माइका खदानों के आसपास ढिबरा यानी माइका स्क्रैप चुनने का काम आज भी जारी है. इसे भी पढ़ें -IDBI">https://lagatar.in/idbi-alerts-people-cheating-in-the-name-of-getting-a-job-in-bank/39838/">IDBIने लोगों को किया सचेत, बैंक में नौकरी दिलाने के नाम पर हो रही ठगी
सोसाइटी व महिला समूह के माध्यम से हो सकेगी खरीद
कोडरमा-गिरिडीह के जंगली इलाके के हजारों लोग इस रोजगार से जुड़े हुए हैं. ढिबरा चुनने से लेकर परिवहन तक को अवैध मानते हुए कार्रवाई की जाती है. इन जिलों में रोजगार का अन्य विकल्प नहीं होने के कारण वर्षों से लोग इससे जुड़े हुए हैं. अब सरकार चिह्नित डंप से ढिबरा चुनने वाले मजदूरों से कापरेटिव सोसाइटी, महिला समूह या पंचायत स्तरीय कमेटी बनाकर ढिबरा क्रय करेगी.इन क्षेत्रों में चिह्नित किए गए हैं डंप
झारखंड राज्य खनिज निगम ने जिले में 51 ढिबरा डंप यानी भंडारण क्षेत्र चिह्नित किए हैं. इसमें गझंडी के बेलाटांड, झरखी, चंदवारा के बेंदी, कुंभियातरी, तिलैया वार्ड संख्या-2, ढोढाकोला, ढाब, सपही, मधुवन, ढाब, मसनोडीह, दशारोखूर्द, कुशहना, सिमरिया, जमडीहा, बंदरचुआं आदि इलाके हैं. इसे भी पढ़ें -कोडरमा">https://lagatar.in/koderma-mother-accuses-son-and-daughter-in-law-of-assault-application-given-to-police/39835/">कोडरमा: मां ने बेटे और बहू पर लगाया मारपीट करने का आरोप, पुलिस को दिया आवेदन
पांच माइका ब्लॉक की भी होगी नीलामी
मिहिर सलकर, जिला खनन पदाधिकारी, कोडरमा ने बताया कि कोडरमा व गिरिडीह में पांच माइका ब्लॉक की भी नीलामी की प्रक्रिया चल रही है. कोडरमा जिला के डोमचांच के पारहो में पांच हेक्टेयर, मरकच्चो के पसीयाडीह में 10 हेक्टेयर, कोडरमा प्रखंड के खरकोट्टा और गिरिडीह में दो माइका ब्लॉक को नीलामी के लिए चिह्नित किया गया है. वहीं माइका उद्योग को पुर्नजीवित करने के लिए खनन विभाग के उपनिदेशक उत्तरी छोटानागपुर के नेतृत्व में कमेटी बनाई गई है. ढिबरा को भी वैध करने के लिए विभाग स्तर पर तैयारी चल रही है. जिले में ढिबरा के 51 डंप चिह्नित किए गए हैं. माइका खनन शुरू करने में आ रही समस्याओं को दूर करने का प्रयास किया जा रहा है. इसे भी पढ़ें -सुप्रीम">https://lagatar.in/supreme-court-question-how-many-generations-reservation-will-continue-what-does-equality-mean-when-there-is-no-50-percent-limit/39832/">सुप्रीमकोर्ट का सवाल, कितनी पीढ़ियों तक आरक्षण जारी रहेगा, 50 प्रतिशत की सीमा नहीं रहने पर समानता का क्या मतलब
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