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सदन में सरेंडर नीति पर उठाए सवाल- संगठन से निकाले गये नक्सलियों को दिया पॉलिसी का लाभ

  • विधायक विकास मुंडा ने की मामले की जांच कराने की मांग
  • दूसरों का परिवार उजाड़ने वाले नक्सली ओपन जेल में परिवार के साथ रहने के हकदार नहीं
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सरेंडर नीति पर सवाल खड़ा किया है. विधानसभा में उन्होंने कहा कि साल 2016-17 के बाद से सरेंडर किये कई नक्सलियों को पहले से ही संगठन से निकाल दिया जा चुका था. नकुल यादव समेत कई ऐसे नक्सलियों ने सरेंडर पॉलिसी के तहत सरेंडर किया है जिन्हें संगठन से काफी पहले निकाला जा चुका था. जबकि पॉलिसी के तहत संगठन में सक्रीय नक्सलियों को ही सरेंडर के बाद पॉलिसी का लाभ मिलना चाहिए. उन्होंने कहा कि इसकी जांच होनी चाहिए कि अबतक कितने ऐसे नक्सलियों को सरेंडर पॉलिसी का लाभ मिला है. इसे भी पढ़ें : सदन">https://lagatar.in/cp-in-the-house-and-irfan-in-the-fray-said-chamchai-will-not-live-if-you-get-the-answer-then-the-bjp-kisses/39751/">सदन

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कई सवाल उठाए विधायक ने

विकास मुंडा ने कहा कि सरेंडर पॉलिसी के तहत नक्सलियों को परिवार के साथ रहने के लिए ओपन जेल मिलता है. जो नक्सली कई परिवारों को घर उजाड़ते हैं, वो कतई अपने परिवार के साथ रहने के हकदार नहीं हैं. विधायक ने कहा कि नक्सली हिंसा में मारे गये आम लोगों के परिजनों को एक लाख रुपये मिलता है. इसे बढ़ाकर 50 लाख रुपये किया जाना चाहिए. वहीं नक्सली हमले में मारे गये पुलिसकर्मियों के परिजनों को 10 लाख के बजाय एक करोड़ रुपये मिलना चाहिए. उनके परिजनों को थर्ड फोर्ड ग्रेड की नौकरियां देने के बजाय योग्यता के आधार पर नौकरी दी जानी चाहिए. इसे भी पढ़ें : विधानसभा">https://lagatar.in/legislators-deceive-pain-in-legislative-assembly-officers-do-not-give-respect/39767/">विधानसभा

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