NewDelhi : फ्रांस की एक न्यूज वेबसाइट मीडियापार्ट द्वारा राफेल डील में दलाली का दावा किये जाने को लेकर राफेल फाइटर जेट बनाने वाली फ्रेंच कंपनी दसॉ एविएशन (Dassault Aviation) ने कहा है कि दलाली की खबर का कोई आधार नहीं है. बता दें कि भारत ने फ्रांस से 36 राफेल जेट खरीदने की डील की है, जिसमें से अब तक 14 विमान भारत आ चुके हैं.
दसॉ ने कहा, राफेल डील में दलाली का सवाल नहीं
बता दें कि Dassault Aviation ने गुरुवार को जारी किये गये अपने बयान में कहा कि भारत के साथ हुई राफेल डील पर कई स्तर की निगरानी रखी गयी थी. कहा कि फ्रांस की भ्रष्टाचार निरोधी एजेंसी ने भी इसकी पड़ताल की थी. किसी तरह की गड़बड़ी नहीं मिली. कंपनी ने कहा कि वह दो दशकों से अपनी तरफ से कड़ी आंतरिक प्रक्रियाओं का पालन करती आयी है, ताकि भ्रष्टाचार पर लगाम रहे, दसॉ के प्रवक्ता के अनुसार फ्रेंच ऐंटि-करप्शन एजेंसी समेत कई आधिकारिक संगठनों ने कई नियंत्रणकारी कदम उठाये हैं. कहा कि भारत के साथ 36 राफेल के ठेके में कोई गड़बड़ी पकड़ में नहीं आयी थी. कंपनी के प्रवक्ता ने कहा, राफेल डील भारत और फ्रांस के बीच सरकारों के स्तर पर हुई थी. विमानों की आपूर्ति और ऑफसेट के ठेके नियमानुसार तय किये गये और डील को पूरी पारदर्शिता से अंजाम दिया गया.
गुप्ता ने रक्षा मंत्रालय से महत्वपूर्ण दस्तावेज हासिल किये
जान लें कि फ्रांस के मीडिया पोर्टल मीडियापार्ट ने दावा किया है कि भारत के प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने सुशेन गुप्ता नाम के एक दलाल को दसॉ और उसकी सहायक कंपनियों द्वारा दी गयी राशि की जांच की ही नहीं. पोर्टल के अनुसार गुप्ता ने रक्षा मंत्रालय से महत्वपूर्ण दस्तावेज हासिल किये थे जिन्हें उसने दसॉ एविएशन को सौंप दिये. इन दस्तावेजों ने भारत की गुप्त नीति को कंपनी के सामने उजागर कर दिया. जिससे दसॉ को अपने राफेल जेट बेचने में मदद मिली.
सुशेन गुप्ता पर ऑगुस्टावेस्टलैंड डील में चल रहा है मुकदमा
सुशेन गुप्ता अभी ऑगुस्टावेस्टलैंड वीवीआईपी चॉपर डील में दलाली को लेकर मुकदमा झेल रहा है. बता दें कि यह डील कांग्रेस नीत यूपीए सरकार के समय में हुई थी. ईडी ने 2019 में गुप्ता की जमानत याचिका का विरोध किया था, कहा था कि दुबई में रहने वाले उसके चार्टर्ड अकाउंटेंट (CA) राजीव सक्सेना के पास से मिली एक डायरी से पता चला है कि उसने किसी RG को 50 करोड़ रुपये दिये हैं.
मीडियापार्ट ने दावा किया है कि दसॉ और उसकी सहयोगी कंपनी थेल्स ने गुप्ता की जान-पहचान के लोगों को भारी-भरकम रकम दी. कंपनी ने उसे 2000 की शुरुआत में ही हायर कर लिया था, जब भारत ने 126 विमान खरीदने की इच्छा जाहिर की थी. इस फ्रेंच मीडिया पोर्टल ने दावा किया है कि ईडी की केस फाइल में दर्ज सबूत बताते हैं कि गुप्ता को 15 सालों तक यूरो के रूप में कई करोड़ रुपये दिये गये.
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