NewDelhi : मोदी सरकार की महत्वाकांक्षी सेंट्रल विस्टा परियोजना पर जारी विवाद थम नहीं रहा है. कोरोना काल में इसे रोकने की मांग जोर पकड़ रही है. दिल्ली में इस प्रोजेक्ट पर काम जारी है. सेंट्रल विस्टा परियोजना को लेकर राहुल गांधी समेत पूरा विपक्ष मोदी सरकार पर हमलावर है. पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी समेत कई विपक्षी नेताओं ने इसे लेकर सवाल उठाये हैं. बता दें कि आज राहुल गांधी ने ट्वीट किया कि देश को PM आवास नहीं, सांस चाहिए!
क्या है सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट?
राजपथ पर करीब 2.5 किमी लंबे रास्ते को सेंट्रल विस्टा कहा जाता है. इंडिया गेट से लेकर राष्ट्रपति भवन तक सेंट्रल विस्टा मार्ग में करीब 44 भवन आते हैं. इनमें संसद भवन, नॉर्थ ब्लॉक, साउथ ब्लॉक आदि शामिल हैं. खबर है कि इस पूरे जोन को रि- प्लान किया जा रहा है, जिसका नाम सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट रखा गया है,
13 एकड़ जमीन पर नया तिकोना संसद भवन बन रहा है
विस्टा प्रोजेक्ट में पुराने गोलाकार संसद भवन के सामने लगभग 13 एकड़ जमीन पर नया तिकोना संसद भवन बनेगा जानकारी के अनुसार इस जमीन पर अभी पार्क, अस्थायी निर्माण और पार्किंग हैं. ये सब हटाये जायेंगे..
मोदी सरकार इस प्रोजेक्ट को लेकर गंभीर
मोदी सरकार इस प्रोजेक्ट को लेकर काफी गंभीर है. इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि कोरोना के मामलों में बढ़ोतरी के बावजूद इस प्रोजेक्ट का काम नहीं रोका गया. पूरा सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के पूरा करने की समयसीमा 2024 रखी गयी है. निर्माण कार्य की निगरानी का जिम्मा लोकसभा सचिवालय, आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय के सदस्यों और सीपीडब्ल्यूडी,एनडीएमसी और आर्किटेक्ट और डिजाइनरों पर है.
राहुल गांधी ने पहले भी इसे लेकर मोदी सरकार पर निशाना साधा था. कहा कि सरकार को लोगों की जान की कीमत नहीं है. उन्होंने कहा कि सरकार लोगों की जिंदगी बचाये, नये घर के लिए अंध घमंड में न रहे. राहुल गांधी ने सेंट्रल विस्टा पर खर्च की जा रही भारी कीमत पर भी सवाल भी उठाये कहा कि पीएम का अहंकार लोगों की जिंदगी से ज्यादा बड़ा हो गया है.
भारत सरकार का स्टैंड
सेंट्रल विस्टा परियोजना को लेकर जब सरकार पर हमला शुरू हुआ तो केंद्रीय आवास और शहरी मामलों के मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कमान संभाली. हरदीप सिंह ने सरकार की प्राथमिकता बताते हुए कांग्रेस पर भी सवाल खड़े कर दिये. उन्होंने ट्वीट कर कहा कि कांग्रेस अपना दोहरा चरित्र दिखा रही है. जब कांग्रेस सत्ता में थी, तब उन्होंने नये संसद की मांग की थी. 2012 में इस सिलिसले में एक पत्र भी लिखा गया था,. लेकिन अब वे इस प्रोजेक्ट का विरोध कर रहे हैं.
कीमत को लेकर केंद्रीय मंत्री ने स्पष्टीकरण देते हुए दावा किया कि इस परियोजना पर लंबे समय से 20 हजार करोड़ खर्च करने की ही तैयारी थी. वहीं कोरोना काल में टीकाकरण पर इस कीमत से भी दोगुना ज्यादा पहले ही खर्च किया जा चुका है
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई
शुक्रवार को इस मामले की सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई भी हुई है. याचिकाकर्ता द्वारा कहा गया कि समय की गंभीरता को समझते हुए इस परियोजना को अभी के लिए रोक देना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस केस पर हाई कोर्ट में पहले से सुनवाई जारी है. ऐसे में वे कोई फैसला नहीं सुनाना चाहते हैं. उन्होंने सिद्धार्थ लूथरा से कहा है कि वे इस मामले को दिल्ली हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस के सामने रखें. कोर्ट ने उम्मीद जताई है कि वहां पर भी इस मामले की जल्द सुनवाई की जायेगी.
सॉलिसिटर जनरल ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल इस याचिका पर सवाल खड़े कर दिये. उन्होंने याचिकाकर्ता की नीयत पर सवाल उठाते हुए कहा है कि ऐसे मुश्किल समय में कोर्ट में सिर्फ किसी चीज को स्थगित करने के लिए आना सही मिसाल पेश नहीं करता है.