Search

रामदेव ने सत्यमेव जयते के शो का वीडियो शेयर कर ड्रग माफिया को चुनौती दी, हिम्मत है तो आमिर खान के खिलाफ मोर्चा खोलें

NewDelhi :  योगगुरु स्वामी रामदेव ने मेडिकल और ड्रग माफिया को चुनौती देते हुए फिल्म अभिनेता आमिर खान के शो सत्यमेव जयते का एक वीडियो शेयर करते हुए कहा है कि मेडिकल व ड्रग माफिया में हिम्मत है तो आमिर खान के खिलाफ भी मोर्चा खोलें.

बता दें कि  स्वामी रामदेव ने अपने फेसबुक पेज पर फिल्म अभिनेता आमिर खान के शो सत्यमेव जयते का 8 मिनट 9 सेकंड का वीडियो शेयर किया है. 

 एपिसोड में चित्तौड़ के पूर्व कलेक्टर डॉक्टर समित शर्मा शामिल हुए थे

जान लें कि सत्यमेव जयते के इस एपिसोड में चित्तौड़ के पूर्व कलेक्टर डॉक्टर समित शर्मा शामिल हुए थे.  इस एपिसोड में श्री शर्मा ने दवाईयों के अलग-अलग दामों के बारे में जानकारी दी थी. सवाल उठा था कि कैसे एक ही तरीके से बनने वाली दवाइयों के दाम अलग-अलग होते हैं?   समित शर्मा एमबीबीएस हैं. वे IAS बनने से पहले कई अस्पतालों में बतौर डॉक्टर प्रैक्टिस कर चुके हैं.

दवाईयों की वास्तविक कीमत बहुत कम होती है.

रामदेव ने इस शो के वीडियो क्लिप को शेयर करते हुए लिखा, इन मेडिकल माफियाओं में हिम्मत है तो आमिर खान के खिलाफ मोर्चा खोलें. सत्यमेव जयते के उस एपिसोड में समित कहते हैं कि दवाईयों की वास्तविक कीमत बहुत कम होती है. लेकिन वही दवाइयां हम पांच गुना या दस गुना और कई बार तो पचास गुना से भी ज्यादा दामों पर खरीदते हैं. कहा कि  भारत में 40 करोड़ से ज्यादा लोग ऐसे हैं जो अपने लिए दो वक्त की रोटी नहीं जुटा पाते.  क्या वो उस दवा को खरीद सकते हैं?’

जान लें कि समित शर्मा अपने इंटरव्यू में WHO के बयान की चर्चा करते हुए कहते हैं, विश्व स्वास्थ्य संगठन ने बताया कि आजादी के 65 साल बाद भी 65 प्रतिशत भारतीयों को जरूरी दवाईयां पैसों के अभाव में नहीं मिल पाती हैं.  कहा कि हमारे देश में दवाईयों की ब्रांडिंग की जाती है.

भारत में डायबिटीज की दवाई औसतन 117 रुपए की मिलती है

 उदाहरण दिया कि भारत में डायबिटीज की दवाई औसतन 117 रुपए की मिलती है. जेनरिक दवाई जब हम लेते हैं तो वह मात्र 1 रुपए 95 पैसे में 10 गोलियां मिलती हैं. अपने इंटरव्यू में  आमिर खान जब अमित शर्मा से पूछते हैं कि क्या दोनों गोलियों में कोई फर्क नहीं है? तो समित कहते हैं,  दोनों गोलियां बिल्कुल समान हैं क्योंकि इसकी उत्पादन लागत ही सिर्फ इतनी है.  सारा खर्चा मिलाने के बाद ये दवाई उतने की ही पड़ती है.

कैंसर का उदाहरण देते हुए कहा कि कैंसर के इलाज में काम आने वाली दवाई का सवा लाख रुपए का एक पैकेट मिलता है.  वह सिर्फ एक माह चलता है. जेनरिक में वही दवा एक कंपनी 10 हजार 200 की बेचती है, 8,800 में बेचती है और 6,500 में बेचती है.

[wpse_comments_template]

Follow us on WhatsApp