Ranchi: मस्जिद जाफरिया में हजरत अली की शहादत की याद में तीन दिवसीय मजलीस-ए-ग़म का अंजुमन -ए-जाफरिया के बैनर तले आयोजन हुआ. इस दौरान हजरत मौलाना हाजी सैयद तहजीबुल हसन रिज़वी ने कहा कि हजरत अली एक ऐसा गुलिस्तान हैं, जिसमें इमामत के रंग-बिरंगे फूल नज़र आते हैं. मौलाना तहजीबुल हसन ने एक वाकया सुनाते हुए बताया कि एक शख्स हजरत अली की खिदमत में आया और कहा कि वह बीमार, गरीब और जाहिल है. मौला अली ने उसे तीन हजार चांदी का सिक्का दिए और कहा कि एक हजार से अपना इलाज कराओ, एक हजार से अपनी गरीबी दूर करो और एक हजार से शिक्षा हासिल करो. इससे यह सीख मिलती है कि एक इंसान चाहे तो दूसरे इंसान की सारी परेशानियां दूर कर सकता है.
मजहब, जात-पात देखकर मदद न करें
मौलाना तहजीबुल हसन रिज़वी ने कहा कि हजरत अली ने फरमाया है कि किसी की मदद मजहब, जात, बिरादरी पूछकर न करें, क्योंकि इससे अल्लाह नाराज होता है. उन्होंने इंसानियत को प्राथमिकता देने पर जोर दिया. कार्यक्रम की शुरुआत तिलावत-ए-कलाम पाक से हुई. सोजखानी सैयद अता इमाम रिजवी ने की, जबकि पेशखानी अमोद अब्बास, यावर हुसैन गाजीपुरी, यूनुस रजा और निहाल हुसैन सरियावी ने की. मस्जिद परिसर “या अली” की सदाओं से गूंज उठा. बताया गया कि शुक्रवार की रात 10 बजे मस्जिद जाफरिया परिसर से हजरत अली की शहादत की याद में मातमी जुलूस निकलेगा. यह जुलूस मस्जिद से निकलकर विक्रांत चौक, कर्बला चौक होते हुए कर्बला पर संपन्न होगा. तीन दिवसीय कार्यक्रम के मुख्य आयोजक मेंहदी इमाम और जफरुल हसन ने किया.
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