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जमगई में रांची आर्चडायसिस ने मनाया फादर कॉन्सटेंट लीवेंस का 136वां आगमन वर्षगांठ

Ranchi: रांची महाधर्मप्रांत ने छोटानागपुर के प्ररित फादर कॉन्सटेंट लीवेंस का छोटानागपुर की धरती पर आगमन का 136 वां वर्षगांठ मनाया. इस विशेष दिन के अवसर पर रविवार को कैथलिक कलीसिया ने हुलहुण्डु पैरिश के जमगई में बड़े पैमाने पर कार्यक्रम का आयोजन किया. कार्यक्रम में रांची आर्चडायसिस के आर्चबिशप फेलिक्स टोप्पो और सहायक बिशप थियोदोर मस्करेंहास ने फादर कॉन्सटेंट लीवेंस के जीवन और छोटानागपुर में उनके कार्यों और किस प्रकार उन्होंने यहां के लोंगों को अपना कर उनके लिए काम किया इसपर विस्तार से चर्चा किया. [caption id="attachment_40443" align="aligncenter" width="1280"]https://lagatar.in/wp-content/uploads/2021/03/2e48e78e-b2bd-41fd-9f21-de3149fb91dd.jpg"

alt="कार्यक्रम की शुरूआत करते आर्चबिशप" width="1280" height="622" /> कार्यक्रम की शुरूआत करते आर्चबिशप[/caption] इसे भी पढ़ें- बढ़">https://lagatar.in/many-people-took-membership-of-rjd/40422/">बढ़

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अवसर पर उन्होंने बताया कि फादर लीवेंस ने 19 मार्च 1885 में जमगाई गांव में अपना पहला कदम रखा और छोटानागपुर के लोगो की सेवा कार्य प्रारंभ किया. फादर लिवंस ने अपना जीवन गरीब और कमजोर लोगों की जमीन की रक्षा में व्यतीत की. उनके इसी सेवा कार्य के स्मरण में हर वर्ष 21 मार्च को लिवंस डे मनाया जाता है. [caption id="attachment_40444" align="aligncenter" width="1280"]https://lagatar.in/wp-content/uploads/2021/03/b06ae09d-ccc8-4a11-ad5a-e64f02971f04-1.jpg"

alt="लगातार" width="1280" height="720" /> कार्यक्रम में सांस्कृतिक प्रस्तुति देते महिला-पुरुष[/caption]

फादर लीवेंस द्वारा बोये गए बीज को हमें आगे बढ़ाना है– आर्चबिशप

लीवेंस डे पर मिस्सा-अराधना की शुरूआत रोजरी माला विनती के जुलुस से हुई. मिस्सा के पुर्व मुख्य अनुष्ठाता और सह अनुष्ठाता द्वारा माल्यार्पण और मशाल प्रजोवालित किया गया. अवसर पर संदेश देते हुए आर्चबिशप फेलिक्स टोप्पो ने कहा कि फादर लीवेंस ने जो विश्वास का बीज 136 साल पहले बोया था, उसे हमें आगे बढ़ाना है. उसे जीने का प्रयत्न करना है. उन्होंने हमारे पूर्वजों को जमीनदारों के चंगुल से छुड़ाने और सीएनटी और  एसपीटी एक्ट को लागू करवाने में भी फादर ने अहम भूमिका निभाई थी. इसे भी पढ़ें-   बंगाल">https://lagatar.in/bjps-resolution-letter-in-bengal-caa-women-33-reservation-in-jobs-promise-of-3-aiims/40407/">बंगाल

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फादर लीवेंस को संत घोषणा करने के लिए समाज कर रहा प्रयत्न– सहायक बिशप

आर्चडायसिस के सहायक बिशप थिओडोर मसकरेनस ने कहा कि फादर लीवेंस और सिस्टर बेर्नादेत के संत घोषणा के प्रक्रिया शुरु होने की जानकारी दी. उन्होंने सभी से आग्रह किया कि उनके संत घोषणा के लिए हर घर, समाज, पैरिश में प्रार्थना करें. इसके साथ ही कार्यक्रम में अतिथि खिजरी विधानसभा के विधायक राजेश कच्छप ने भी लीवेंस डे पर लोगों को संबोधित किया. उन्होंने कहा कि वे आज फादर कोन्सटण्ट लीवन्स की वजह से ही सामने खड़े हैं. उन्होंने हमें जो शिक्षा दी है उसे हमें जीना सीखाया है उसके तहत हमें सबके विकास और कल्याण के लिए काम करना है. अवसर पर मुख्य रुप से संत अन्ना धर्मसंघ की माता मैरी ग्रेस टोपनो, उर्सुलाइन धर्मसमाज की प्रोविंशियल सिस्टर सुचिता शालिनी खलखो, हुल्हुंडू पल्ली के पल्ली पुरोहित फादर हुबेर्तुस बेक,  कैथॉलिक सभा के प्रेसिडेंट राजन तिरु, प्रचारक साइमन तिरु, अनिमा, सिस्टर एम्रेंसिया सहित हजारों की संख्या में विश्वासी शामिल थे. इसे भी पढ़ें- असंवैधानिक">https://lagatar.in/it-is-unconstitutional-to-discuss-the-agricultural-laws-passed-by-the-parliament-in-the-house-babulal/40374/">असंवैधानिक

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कौन थे फादर कॉन्सटेंट लीवेंस

फादर कॉन्सटेंट लीवेंस का जन्म 10 अप्रैल 1856 को बेल्जियम के किसान परिवार में हुआ था. 1878 में वह सोसाइटी ऑफ जीसस में शामिल हुए. शामिल होने के तुरंत बाद उन्हें सेवा देने के लिए भारत के पश्चिम बंगाल भेज दिया गया था. छोटानागपुर के जमगई में उन्होंने रहकर कार्य करना शुरु किया. यहां उन्होंने आस-पास के इलाकों में पाया कि वहां के जमींदार लोगों को काफी प्रताड़ित कर रहे थे. फादर लीवेंस ने लोगों की जमीन उन्हें वापस दिलाने के लिए बहुत संघर्ष किया और लड़ाई लड़ी. इससे लोगों के बीच के काफी प्रिय हो गए. इसके साथ ही फादर लीवेंस ने यहां के लोगों के लिए शिक्षा और न्याय के क्षेत्र में बहुत काम किया. लंबे समय तक अपनी सेवा देने के बाद वे काफी बीमार पड़ गए. 37 वर्ष की आयु में ही उनकी मृत्यु हो गई. इसे भी देखें-

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