Koderma: झुमरीतिलैया नगर परिषद क्षेत्र के वार्ड संख्या 23 में राम दयाल सिंह के घर एक वर्ष के इंतजार के बाद आंगन में शनिवार की शाम ब्रह्म कमल फूल खिला. बता दें कि उत्तराखंड का यह राजकीय दुर्लभ फूल सामान्य तौर पर कम तापमान वाले राज्य हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश और कश्मीर में पाया जाता है. एमएमटीसी के रिटायर्ड ऑफिस मैनेजर रामदयाल सिंह की पत्नी आशा देवी ने बताया कि उनके पति का वर्ष 2011 में बेंगलुरु ट्रांसफर हो गया था.
कहा कि वहां उन्हें पड़ोस में यह दुर्लभ ब्रह्म कमल फूल देखने को मिला था. वहीं से वे इस फूल को साल 2013 में लाकर घर के आंगन में लगाये थे. इसके 4 वर्षों बाद 2017 में आंगन में ब्रह्म कमल का पहला फूल खिला था. पिछले 4 वर्षों से वर्ष में एक बार ब्रह्म कमल के पौधे में एक या दो फूल खिलते थे. इस बार पौधे में एक साथ 11 दुर्लभ ब्रह्म कमल फूल खिले हैं.
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शुद्धता का प्रतीक है ब्रह्म कमल फूल
उन्होंने कहा कि ब्रह्म कमल अत्यंत सुंदर, सुगंधित और दिव्य फूल है. इसे पवित्रता और शुद्धता का प्रतीक माना जाता है. देवताओं का यह काफी प्रिय पुष्प है. इसके पीछे पौराणिक मान्यताएं जुड़ी हैं. कहा जाता है कि भगवान शिव ने गुस्से में गणेश जी का सिर काट दिया था. इसके बाद ब्रह्मा जी ने ब्रह्म कमल का सृजन कर गणेश जी का सिर हाथी के सिर के रूप में जोड़ा था.
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खांसी का इलाज होता है
इस फूल का औषधीय महत्व है. इससे निकलने वाले पानी को पीने से थकान मिट जाती है. इससे पुरानी खांसी का इलाज किया जाता है. कैंसर सहित कई खतरनाक बीमारियों का भी इलाज होता है. खास बात यह है कि यह फूल पानी में नहीं बल्कि जमीन में होता है. इस फूल के बारे में जानने के बाद लोग उनके घर देखने पहुंचने लगे.
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