LagatarDesk : रेटिंग एजेंसी">https://www.fitchratings.com/">
फिच ने भारत के सॉवरेन रेटिंग को BBB माइनस रखा है. फिच ने आउटलुक को भी निगेटिव रखा है. फिच ने आठ साल में पहली बार भारतीय अर्थव्यव्स्था का आउटलुक स्थिर से घटाकर नेगेटिव रखा है. कोरोना का दूसरा वेव के कारण भारत की आर्थिक सुधार में समय लग सकता है. इसलिए सॉवरेन रेटिंग को BBB माइनस में रखा गया है. हालांकि एजेंसी का कहना है कि भारत की अर्थव्यवस्था पटरी से नहीं उतरेगी. वहीं राजकोषीय दबाव के कारण रेटिंग एजेंसी ने भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए नेगेटिव आउटलुक को बरकरार रखा है.
वित्त वर्ष 2022-23 में 5.8 फीसदी ग्रोथ रेट का अनुमान
फिच रेटिंग ने वित्त वर्ष 2021-22 के लिए भारत के ग्रोथ रेट का अनुमान 12.8 फीसदी रखा है. वहीं वित्त वर्ष 2022-23 के लिए ग्रोथ रेट का अनुमान 5.8 फीसदी रखा गया है. इससे पहले रेटिंग एजेंसीने वित्त वर्ष 2020-21 के लिए जीडीपी ग्रोथ रेट का अनुमान माइनस 7.5 फीसदी रखा था.
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S&P ने भी BBB माइनस की दी है रेटिंग
S&P ने भी भारत को BBB माइनस की रेटिंग दी है. S&P का अनुमान है कि भारत का जीडीपी ग्रोथ रेट 11 फीसदी रहेगी. वहीं वित्त वर्ष 2020-21 में भारतीय अर्थव्यवस्था में आठ फीसदी की गिरावट दर्ज की गयी थी. अगले दो साल के दौरान वृद्धि दर 6.1 और 6.4 फीसदी रहेगी.
नहीं लगेगा देशव्यापी लॉकडाउन
एजेंसी का अनुमान है कि कोरोना की नयी लहर तेजी से फैलने के बावजूद देशव्यापी लॉकडाउन नहीं लगाया जायेगा. एजेंसी ने कहा कि राज्य और जिला स्तर पर पाबंदियां और लॉकडाउन लगसकती है.
मूडीज ने भी जोखिम का लगाया है अनुमान
पिछले सप्ताह मूडीज इंवेस्टर्स सर्विस ने कहा था कि कोविड की दूसरी लहर के कारण भारत के जीडीपी ग्रोथ रेट में जोखिम का अनुमान लगाया है. हालांकि मूडीज ने कहा था कि भारतीय अर्थव्यवस्था 10 फीसदी से अधिक की वृद्धि दर्ज करेगी.
जानें क्या है सॉवरेन रेटिंग
अंतरराष्ट्रीय एजेंसियां विभिन्न देशों की सरकारों की उधार चुकाने की क्षमता के आधार पर सॉवरेन रेटिंग तय करती हैं. इसके लिए वह इकॉनोमी, मार्केट और राजनीतिक जोखिम को आधार मानती हैं. रेटिंग यह बताती है कि एक देश भविष्य में अपनी देनदारियों को चुका सकेगा या नहीं. यह रेटिंग टॉप इन्वेस्टमेंट ग्रेड से लेकर जंक ग्रेड तक होती हैं. जंक ग्रेड को डिफॉल्ट श्रेणी में माना जाता है.
आउटलुक रिवीजन से तय होती है सॉवरेन रेटिंग
एजेंसियां आमतौर पर देशों की रेटिंग आउटलुक रिवीजन के आधार पर तय होती है. आउटलुक रिवीजन निगेटिव, स्टेबल और पॉजीटिव होता है. जिस देश का आउटलुक पॉजिटिव होता है, उसकी रेटिंग के अपग्रेड होने की संभावना ज्यादा रहती है. हालांकि, इसका उल्टा भी हो सकता है. सामान्य तौर पर इकॉनोमिक ग्रोथ, बाहरी कारण और सरकारी खजाने में ज्यादा बदलाव पर रेटिंग बदलती है.