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RBI ने लगातार दूसरी बार रेपो रेट में 0.25 फीसदी की कटौती की, सस्ता होगा होम व कार लोन

LagatarDesk :    भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की तीन दिवसीय मौद्रिक नीति कमेटी (एमपीसी) की बैठक आज 9 अप्रैल को समाप्त हुई. जो 7 फरवरी से शुरू हुई थी. वित्तीय वर्ष 2025-26 की यह पहली और मॉनेटरी पॉलिसी की 54वीं बैठक है. बैठक के बाद आरबीआई के नये गवर्नर संजय मल्‍होत्रा ने  ब्याज दर में 0.25 फीसदी कटौती की है. जिसके बाद रेपो रेट 6.25 फीसदी से घटकर 6 फीसदी हो गयी है. रेपो रेट में कटौती होने से देश के करोड़ों होम और कार लोन लेने वालों को बड़ी राहत मिलेगी. क्योंकि आरबीआई के इस फैसले से होम और कार लोन की ईएमआई में कमी आयेगी. इसके अलावा बैंकिंग सेक्टर के रिटेल लोन की कॉस्ट में कमी आयेगी. इससे पहले फरवरी में भी संजय मल्‍होत्रा ने ब्याज दर में  0.25 फीसदी कटौती की थी. यह कटौती करीब  56 महीनों यानी मई 2020 के बाद की गयी थी. इसके अलावा आरबीआई ने स्टैंडिंग फैसिलिटी डिपॉजिट (एसटीएप) 5.75 फीसदी , मार्जिनल स्टैंडिंग फैसिलिटी (एमसीएफ) और बैंक रेट को 6.25 फीसदी कर दिया है. https://twitter.com/AHindinews/status/1909828410165109192

वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए जीडीपी ग्रोथ रेट अनुमान घटाया

आरबीआई गवर्नर संजय मल्‍होत्रा ने वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए जीडीपी ग्रोथ रेट घटाकर 6.5 फीसदी कर दिया है. पहले आरबीआई ने 6.70 फीसदी की दर जीडीपी ग्रो करने का अनुमान लगाया था. वहीं चारों तिमाहियों के अनुमान में भी बदलाव किये गये हैं. पहली तिमाही में देश की जीडीपी 6.5 फीसदी रहने का अनुमान है. वहीं दूसरी तिमाही में 6.7 फीसदी, तीसरी तिमाही में 6.6 फीसदी और चौथी तिमाही में जीडीपी ग्रोथ रेट 6.3 फीसदी रहने का अनुमान लगाया गया है.

आरबीआई ने महंगाई के अनुमान में भी बदलाव किये हैं. गवर्नर संजय मल्‍होत्रा ने मौजूदा वित्त वर्ष 2026 में महंगाई 4 फीसदी रहने का अनुमान जताया है. जो पहले इससे ज्यादा था. वहीं वित्त वर्ष की पहली तिमाही में 3.6 फीसदी, दूसरी तिमाही में 3.9 फीसदी और तीसरी तिमाही में महंगाई दर 3.8 फीसदी रह सकती है. जबकि चौथी तिमाही में महंगाई दर 4.4 फीसदी रहने का अनुमान लगाया गया है.

बता दें कि रेपो रेट वह दर होती है, जिस पर आरबीआई बैंकों को कर्ज देता है, जबकि रिवर्स रेपो रेट उस दर को कहते हैं जिस दर पर आरबीआई बैंकों को पैसा रखने पर ब्याज देती है. रेपो रेट के कम होने से लोन की ईएमआई घट जाती है, जबकि रेपो रेट में बढ़ोतरी से सभी तरह के लोन महंगे हो जाते हैं. अगर आरबीआई रेपो रेट बढ़ाता है तो कर्ज लेना महंगा हो जाता है. क्योंकि बैंकों की बोरोइंग कॉस्ट बढ़ जाती है. इसका असर बैंक के ग्राहकों पर पड़ता है. होम लोन के अलावा ऑटो लोन और अन्य लोन भी महंगे हो जाते हैं. जिसके कारण लोगों को पहले की तुलना में ज्यादा ईएमआई देनी पड़ती है. दूसरी तरफ रेपो रेट घटाने से आम जनता पर ईएमआई का बोझ कम होता है.

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