वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए जीडीपी ग्रोथ रेट अनुमान घटाया
आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए जीडीपी ग्रोथ रेट घटाकर 6.5 फीसदी कर दिया है. पहले आरबीआई ने 6.70 फीसदी की दर जीडीपी ग्रो करने का अनुमान लगाया था. वहीं चारों तिमाहियों के अनुमान में भी बदलाव किये गये हैं. पहली तिमाही में देश की जीडीपी 6.5 फीसदी रहने का अनुमान है. वहीं दूसरी तिमाही में 6.7 फीसदी, तीसरी तिमाही में 6.6 फीसदी और चौथी तिमाही में जीडीपी ग्रोथ रेट 6.3 फीसदी रहने का अनुमान लगाया गया है.
आरबीआई ने महंगाई के अनुमान में भी बदलाव किये हैं. गवर्नर संजय मल्होत्रा ने मौजूदा वित्त वर्ष 2026 में महंगाई 4 फीसदी रहने का अनुमान जताया है. जो पहले इससे ज्यादा था. वहीं वित्त वर्ष की पहली तिमाही में 3.6 फीसदी, दूसरी तिमाही में 3.9 फीसदी और तीसरी तिमाही में महंगाई दर 3.8 फीसदी रह सकती है. जबकि चौथी तिमाही में महंगाई दर 4.4 फीसदी रहने का अनुमान लगाया गया है.
बता दें कि रेपो रेट वह दर होती है, जिस पर आरबीआई बैंकों को कर्ज देता है, जबकि रिवर्स रेपो रेट उस दर को कहते हैं जिस दर पर आरबीआई बैंकों को पैसा रखने पर ब्याज देती है. रेपो रेट के कम होने से लोन की ईएमआई घट जाती है, जबकि रेपो रेट में बढ़ोतरी से सभी तरह के लोन महंगे हो जाते हैं. अगर आरबीआई रेपो रेट बढ़ाता है तो कर्ज लेना महंगा हो जाता है. क्योंकि बैंकों की बोरोइंग कॉस्ट बढ़ जाती है. इसका असर बैंक के ग्राहकों पर पड़ता है. होम लोन के अलावा ऑटो लोन और अन्य लोन भी महंगे हो जाते हैं. जिसके कारण लोगों को पहले की तुलना में ज्यादा ईएमआई देनी पड़ती है. दूसरी तरफ रेपो रेट घटाने से आम जनता पर ईएमआई का बोझ कम होता है.