LagatarDesk : RBI की मौद्रिक नीति समिति की बैठक बुधवार को समाप्त हो गयी. रिजर्व बैंक ने बैठक में दूसरी मॉनिटरी पॉलिसी की नीतिगत फैसले की घोषणा की. यह चालू वित्त वर्ष की पहली और कैलेंडर ईयर 2021 की दूसरी मॉनिटरी पॉलिसी बैठक थी. RBI ने इस बार भी नीतिगत ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया. रेपो रेट और रिवर्स रेपो रेट RBI ने स्थायी रखा.
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— ReserveBankOfIndia (@RBI) April 7, 2021
लगातार पांचवीं बार स्थायी रहा रेपो रेट
चालू वित्त वर्ष 2021-22 के लिए रेपो रेट को 4 फीसदी रखा गया है. यह लगातार पांचवां मौका है, जब रेपो रेट को स्थायी रखा गया. रिवर्स रेपो रेट को भी 3.35 फीसदी पर बरकरार रखा गया है.
The projection for CPI inflation has been revised to 5% in Q4 of 2021, 5.2%, in Q1 of 2021-22, 5.2% also in Q2 of 2021-22, 4.4% in Q3, and 5.1% in Q4 with risks broadly balanced: RBI Governor Shaktikanta Das pic.twitter.com/rr1D29e77B
— ANI (@ANI) April 7, 2021
चालू वित्त वर्ष में जीडीपी ग्रोथ 10.5 फीसदी रहने का अनुमान
RBI ने चालू वित्त वर्ष के लिए जीडीपी ग्रोथ रेट का अनुमान 10.5 फीसदी रखा है. खुदरा महंगाई दर चालू वित्त वर्ष 2021-22 की पहली तिमाही यानी अप्रैल-जून के लिए 5.2 फीसदी रहने का अनुमान है. वहीं जुलाई-सितंबर तिमाही के लिए 5.2 फीसदी, अक्टूबर-दिसंबर तिमाही के लिए 4.4 फीसदी और जनवरी-मार्च यानी चौथी तिमाही के लिए 5.1 फीसदी का अनुमान किया गया है. 31 मार्च 2021 को सरकार ने अगले पांच सालों के लिए खुदरा महंगाई दर को 4 फीसदी पर बरकरार रखा है.
रेपो रेट 4 फीसदी, सस्ती EMI के लिए करना होगा लंबा इंतजार
रेपो रेट पर RBI बैंकों को कम समय के लिए लोन देता है. रेपो रेट वह ब्याज दर है जिस पर RBI बैंकों को लोन देता है. रेपो रेट कम होने का मतलब है कि ग्राहकों को बैंक से मिलने वाले कर्ज सस्ते हो जायेंगे. RBI ने दर में कोई बदलाव नहीं किया है. इसमें भी जनता को कोई राहत नहीं दी गयी. अब आम जनता को सस्ती EMI के लिए लंबा इंतजार करना होगा.
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रेपो रेट क्या होता है
रेपो रेट वह दर है जिसपर बैंकों को RBI कर्ज देता है. बैंक इस कर्ज से ग्राहकों को लोन मुहैया कराते हैं. रेपो रेट कम होने का अर्थ है कि बैंक से मिलने वाले तमाम तरह के कर्ज सस्ते हो जायेंगे.
रिवर्स रेपो रेट
यह वह दर होती है जिसपर RBI में बैंकों को लोन देता है. रिवर्स रेपो रेट बाजारों में नकद पैसे की तरलता को नियंत्रित करने में काम आती है.
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5 अप्रैल से शुरू हुई थी समिति की बैठक
RBI की मौद्रिक नीति समिति (MPC)की बैठक 5 अप्रैल से शुरू हुई थी. RBI के गवर्नर की अध्यक्षता में वित्त वर्ष 2021-22 में यह पहली बैठक है. समिति की यह छह सदस्यीय की बैठक तीन दिनों तक चली.
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