Vinit Upadhyay
Ranchi: कोरोना का दूसरा स्ट्रेन पांव पसार रहा है. लगभग एक वर्ष पहले भारत में कोरोना की एंट्री हुई थी और अब तक इसने जितनी तबाही मचाई है उससे पूरा देश उभरने की कोशिश कर रहा है. स्वास्थ्य सुविधाओं की स्थिति को लेकर पूरे झारखंड के लोगों में आक्रोश है और आम जनता से लेकर राज्य की शीर्ष अदालत ने भी पूरे सिस्टम को सवालों के घेरे में लाकर खड़ा कर दिया है.
इनसब के बीच आज लगातार की टीम ने एक ऐसे परिवार से बात कि जिस परिवार के सदस्य कोरोना के पहले स्ट्रेन से जूझ कर उबरे थे और अब इस नए स्ट्रेन से अपने आत्मविश्वास के दम पर लड़ रहे हैं.
लगातार से बातचीत करते हुए जो भी कहा वो हम हूबहू प्रकाशित कर रहे हैं
रांची के कांके रोड के रहने वाले संजय विद्रोही कोरोना के नए स्ट्रेन की चपेट में हैं.पिछले वर्ष उनके परिवार के एक सदस्य कोरोना पॉजिटिव हुए थे और वे इस गंभीर बीमारी से उबरे भी.संजय विद्रोही ने कोरोना के दोनों स्ट्रेन के बीच एक वर्ष के अंदर हुए बदलाव पर लगातार से बातचीत करते हुए जो भी कहा वो हम हूबहू प्रकाशित कर रहे हैं.
प्रधानमंत्री के लिए जनमानस की सुविधा की चिंता महत्वपूर्ण नहीं है
भारत में कोरोना के संक्रमण को रोकने के लिए 2020 में होली के तुरंत बाद प्रधानमंत्री ने देश में पूर्ण लॉकडाउन की घोषणा कर दी,इससे सब अचम्भित थे. प्रधानमंत्री के लिए जनमानस की सुविधा की चिंता महत्वपूर्ण नहीं है. प्रधानमंत्री ने देश के लोगों से थाली बजाने का आह्वाहन किया ये सोचकर सबके सबने थाली बजाई की कोरोना भाग जायेगा .दीये जलाने का आग्रह किया गया सबने दीये जलाये ये सोचकर की कोरोना भाग जायेगा लेकिन हुआ कुछ भी नहीं.
पीएम केयर फंड में 10 हज़ार रूपये भी दिए
पीएम केयर फंड में राशि देने का आग्रह किया गया तो इस परिवार ने उस फंड में 10 हज़ार रूपये भी दिए.लेकिन अब उन्हें लगता है कि उन्हें ये पैसे किसी फंड में डालने के बजाय किसी जरूरतमंद को देने चाहिए थे ताकि कोरोना काल में विभिन्न परेशानियों से जूझ रहे किसी जरूरतमंद की वास्तविक मदद हो पाए.
पहले फेज़ में संजय विद्रोही के परिवार के एक सदस्य कोरोना पॉजिटिव हुए जिसके बाद उनके घर को सील कर दिया गया और परिवार के अन्य सदस्य होम कोरेंटाइन हुए. कुछ दिनों बाद उनके परिजन कोविड से लड़कर जीते अब इस परिवार में सबकुछ सामान्य हो चुका था.लेकिन वर्ष 2021 में कोरोना के दूसरे स्ट्रेन ने फिर एक बार इस परिवार के दो सदस्यों को संक्रमित किया.
संजय विद्रोही खुद भी कोविड के नए स्ट्रेन से संक्रमित हैं
खबर लिखे जाते समय संजय विद्रोही खुद भी कोविड के नए स्ट्रेन से संक्रमित हैं.ये कहते हैं कि इस बार पूरा सिस्टम ध्वस्त हो चुका है. अगर मैं किसी अस्पताल में जाकर अपना इलाज करने की कोशिश भी करता हूँ तो इसका मतलब ये होगा की मैं अपनी ज़िंदगी से खेल रहा हूं. हम एक के बाद एक अपने करीबी लोगों को खोते जा रहे हैं. न तो सरकारी अधिकारी संवेदनशील हैं और न ही राजनेता. संविधान को लोग पूजते हैं और वही संविधान कहता है की देश के सभी नागरिकों को स्वास्थ्य का समान अधिकार है लेकिन इस परिस्थिति में संवैधानिक अधिकारों की धज्जियां उड़ रही हैं और पूरा सिस्टम तमशबीन बना हुआ है. ये दर्द सिर्फ संजय विद्रोही और उनके परिवार का नहीं है. रांची में सैकड़ों ऐसे परिवार हैं जो इस दर्द से गुजर रहे हैं इस दर्द से तड़प रहे हैं और बेबस होकर सिस्टम को कोस रहे हैं.