रिपोर्ट: देश में हैं 22.28% उच्च जाति के हिंदू, इनके पास कुल 41% संपत्ति
सबसे अमीर राज्य: महाराष्ट्र, यूपी, हरियाणा, केरल और तमिलनाडु
सबसे गरीब राज्य: झारखंड, बिहार, छत्तीसगढ़, बंगाल और एमपी
Shubham Sandesh Network
New Delhi: भारत में जब आर्थिक विषमता की बात होती है, तो सबसे पहले शहरी और ग्रामीण, स्त्री और पुरुष का जिक्र आता है, लेकिन 2019 की एक रिपोर्ट की मानें तो धार्मिक और जाति के आधार पर भी आर्थिक विषमता बड़े पैमाने पर नजर आती है. वेल्थ ऑनरशिप एंड इनएक्वैलिटी इन इंडिया: ए सोशियो-रिलिजियस एनालिसिस रिपोर्ट के अनुसार देश की कुल संपत्ति में 41 फीसदी हिस्सा उच्च जाति के हिंदुओं के पास है. रिपोर्ट का कहना है कि हिंदू धर्म के उच्च जाति के लोगों के पास सबसे ज्यादा संपत्ति है. उसके बाद पिछड़ा वर्ग, फिर अनुसूचित जाति-अनुसूचित जनजाति और मुस्लिम हैं. इतना ही नहीं क्षेत्रीय तौर पर भी असामनता देखी गई है.
सावित्रीबाई फुले यूनिवर्सिटी और जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी और इंडियन इंसटीट्यूट ऑफ दलित स्टडीज ने साल 2015 से 2017 के बीच स्टडी कर यह रिपोर्ट तैयार की थी. यह रिपोर्ट विभिन्न राज्यों के 1.10 लाख परिवारों के एनएसएसओ डेटा पर आधारित है. रिपोर्ट का कहना है कि देश की संपत्ति का सबसे बड़ा हिस्सा जमीन और इमारतों के तौर पर है. भारत की कुल संपत्ति का 90 फीसदी हिस्सा जमीन और इमारतें हैं.
किस राज्य में सबसे ज्यादा संपत्ति
धर्म और जातीय असमानता के साथ संपत्ति में क्षेत्रीय असमानता भी देखी गई है. देश के सिर्फ 5 राज्यों में 50 फीसदी संपत्ति और सात राज्यों के सिर्फ 20 फीसदी परिवारों का देश की 70 पर्सेंट संपत्ति में हिस्सा है. राज्यवार देखें तो सबसे अमीर राज्य महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, केरल, तमिलनाडु और हरियाणा हैं. महाराष्ट्र में 17.5 फीसदी, यूपी में 11.6 फीसदी, केरल में 7.4 फीसदी, तमिलनाडु में 7.2 फीसदी और हरियाणा में देश की कुल संपत्ति का 6 फीसदी हिस्सा है. इन पांच राज्यों में देश की 50 फीसदी संपत्ति है. पंजाब, हरियाणा, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश के 20 फीसदी परिवारों का देश की 70 फीसदी संपत्ति हिस्सा है. सबसे गरीब और कम संपत्ति वाले राज्यों में झारखंड, बिहार, ओडिशा और उत्तराखंड हैं, जहां 0.9 से 1 फीसदी संपत्ति है.
1% अमीरों का देश की संपत्ति में सबसे ज्यादा हिस्सा
पेरिस स्कूल ऑफ इकनॉमिक्स एंड वर्ल्ड इनइक्वलिटी लैब के थॉमस पिकेटी, हार्वर्ड कैनेडी स्कूल एवं वर्ल्ड इनक्वलिटी लैब के लुकास और वर्ल्ड इनइक्वलिटी लैब के नितिन कुमार भारती ने एक रिपोर्ट में बताया कि साल 2022-23 में सबसे ज्यादा अमीर एक फीसदी आबादी के पास देश की सबसे ज्यादा संपत्ति है. उनकी आय में हिस्सेदारी बढ़ कर 22.26 फीसदी और संपत्ति में 40.1 फीसदी हो गई है. यह आंकड़ा साल 1922 के बाद सबसे ज्यादा है. फोर्ब्स के अरबपतियों की लिस्ट से पता चलता है कि 1991 में एक अरब डॉलर से ज्यादा संपत्ति रखने वाला सिर्फ एक भारतीय था और 2022 में इनकी संख्या 162 से अधिक हो गई है.
भारत में किसके पास सबसे ज्यादा संपत्ति
रिपोर्ट के अनुसार आबादी का आंकड़ा देखें तो अपर क्लास हिंदू, बैकवर्ड, एससी-एसटी और मुस्लिमों में सबसे ज्यादा जनसंख्या पिछड़े वर्ग की है. उनकी आबादी 35.6 फीसदी है. देश की संपत्ति का 31 फीसदी हिस्सा उनके पास है. वहीं, देश की कुल आबादी में से 22.28 फीसदी अपर क्लास हिंदू हैं और 41 फीसदी संपत्ति उनके पास है. उच्च जाति के लोगों की संपत्ति का आंकड़ा उनकी कुल आबादी से भी दोगुना है. संपत्ति और आबादी दोनों ही मामलों में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लोग तीसरे नंबर हैं. देश में एससी-एसटी की 27 फीसदी आबादी रहती है, लेकिन संपत्ति का आंकड़ा आबादी का आधा भी नहीं हां, देश की कुल आबादी में इनका हिस्सा सिर्फ 11.3 फीसदी है. इसी तरह मुस्लिमों के पास 8 फीसदी हिस्सा है, जबकि आबादी 12 फीसदी है.
मौजूदा कीमत के हिसाब से किसके पास कितनी दौलत (अरब रुपए में)
सोशल ग्रुप ग्रामीण शहर कुल प्रतिशत
अनुसूचित जाति 9,544 3,724 13, 268 7.3
अनुसूचित जनजाति 16,163 9,971 26,134 3.7
हिंदू ओबीसी 62, 952 47, 568 1,10,520 31
उच्च हिंदू जाति 42,338 1, 04, 057 1, 46,394 41
मुस्लिम समुदाय 14, 379 14, 329 28,707 08
बाकी समुदाय 15, 224 18,105 33,329 09
कुल योग 1,60,600 1,97,753 3,58,354 100