Pravin kumar
Ranchi: झारखंड लोक सेवा आयोग (जेपीएससी) को लगभग एक महीने के बाद नया अध्यक्ष मिल गया. पूर्व आइपीएस अमिताभ चौधरी को सरकार ने आयोग की कमान सौंप दी. इसका विरोध सोशल मीडिया पर होना शुरू हो गया है. झामुमो के नेतृत्व में महागठबंधन की सरकार बनाने के बाद राज्य के बड़े तबके में आबुआ:दिशोम आबुआः राज के सपनों को पूरा होने की उम्मीद आदिवासी मूलवासी युवाओं में जागी है.
लेकिन अमिताभ चौधरी को जेपीएससी का चेयरमैन बनाने के बाद सरकार के विरोध में कई अदिवासी संगठन और युवा खड़े हो रहे हैं. विरोध करने वाले संगठनों में सोनोत संथाल समाज धनबाद, सांवता सुसर बैसी गिरिडीह, जुग जाहेर सोसाइटी बोकारो, आदिवासी अधिकार परिषद बोकारो, लुगुबुरु समिति बोकारो जैसे संगठन विरोध कर रहे हैं.
जेपीएससी अध्यक्ष को लेकर क्या है युवाओं की प्रतिक्रिया
गोमिया के आदिवासी विजय संथाल कहते हैं कि इस सरकार में आबुआःराज के सपनों को साकार होने की उम्मीद हम युवा करते हैं. साथ ही कहना है कि जेपीएससी अध्यक्ष के पद पर सरकार को एक शिक्षाविद् को बैठाना चाहिए था. लेकिन एक ऐसे व्यक्ति को चेयरमैन बनाया गया है, जो झारखंडी विचारधारा के विपरीत है. चेयरमैन की विचारधारा यहां से मेल नहीं खाती. विजय संथाल ने सवाल उठाया कि क्या झारखंड में झारखंडी शिक्षाविदों की कमी है.
वहीं खूंटी के देवजीत देवघरिया का कहना है कि जेपीएससी अध्यक्ष पद पर शिक्षाविद होना चाहिए, जो झारखंड को समझे. इनको जेपीएससी अध्यक्ष बनाने से युवाओं में आक्रोश भी देखा जा रहा है.
खूंटी के ही सयामल हेरेंज कहते हैं कि सरकार का यह निर्णय गलत है. इस पद पर किसी शिक्षाविद को होना चाहिए.
रांची के युवा खुर्शीद आलम का कहना है कि आइपीएस की नौकरी से वीआरएस लेकर जेएससीए अध्यक्ष बनने वाले और बाद में जेवीएम की टिकट पर लोकसभा का चुनाव लड़ने वाले अमिताभ चौधरी अवसरवादी व्यक्ति हैं. उनका जेपीएससी का अध्यक्ष बनाया जाना राज्य के लिए दुर्भाग्यपूर्ण है.
विवादों से गहरा नाता रहा है जेपीएससी का
जेपीएससी का विवादों से पुराना नाता रहा है. प्रथम सिविल सेवा परीक्षा के आयोजन से ही विवाद शुरू हुआ. यह अब तक जारी है. झारखंड गठन को 20 साल होने को हैं. लेकिन अब तक मात्र छह सिविल सेवा की परीक्षा आयोजित कर सका है.
आयोग ने 2017, 2018 और 2019 (सातवीं, आठवीं और नौंवी) की संयुक्त सिविल सेवा परीक्षा आयोजित करने का निर्णय लिया था. इसके तहत 267 पदों पर भर्ती होनी थी. इसका विज्ञापन भी निकाला गया था. बाद में इसे स्थगित कर दिया गया.
इसके अलावा लगभग हर परीक्षा को लेकर आयोग पर पक्षपात और मनमानी करने का आरोप लगा. कई परीक्षाओं के परिणाम की सीबीआइ जांच तक हुई. कुछ में गड़बड़ी बरते जाने के प्रमाण भी मिले हैं. वहीं छठी जेपीएससी का मामले भी कोर्ट में है.
कौन-कौन रहे अध्यक्ष
डॉ दिलीप प्रसाद (शिक्षाविद्)
आलोक सेन गुप्ता (न्यायिक सेवा)
आरसी कैथल (आइपीएस)
परवेज हसन (शिक्षाविद्)
शिव बसंत (आइएएस)
देवाशीष गुप्ता (आइएएस)
के. विद्यासाग (आइएएस)
डीके श्रीवास्तव (आइएफएस)
ए.के. चट्टोराज (शिक्षाविद्)
सुधीर त्रिपाठी (आइएएस)
अमिताभ चौधरी (आइपीएस)