Nilay Singh
Ranchi : रोज क्वाट्र्ज एंटरटेनमेंट और आकृति एंटरटेनमेंट प्राइवेट के बैनर तले डॉ नेहा शांडिल्य द्वारा निर्मित फिल्म ‘लोहरदगा’ 10 मार्च को देशभर के सिनेमाघरों में रिलीज हुई. यह फिल्म 2012 की एक सच्ची घटना से प्रेरित है, जब झारखंड के आदिवासी इलाकों और जंगलों के बीच रहने वाले 500 से अधिक बेरोजगार आदिवासी युवाओं को कागज पर झूठा माओवादी घोषित किया गया था और उन्हें आत्मसमर्पण करने के लिए मजबूर किया गया था. फिल्म के निर्देशक लाल बिजय शाहदेव झारखंड के लोहरदगा के ही रहने वाले हैं और उनकी यह पहली फीचर फिल्म है. इससे पहले वे दर्जनों सीरियल निर्देशित कर चुके हैं. उन्होंने इस फिल्म को बहुत खूबसूरती से निर्देशित किया है. मूल रूप से झारखंड के होने से उन्होंने विषय को पूरी गंभीरता और ईमानदारी से दिखाया है, जो काबिल- ए- तारीफ है.
दलाल के चंगुल में फंस जाता है
फिल्म एक ऐसे युवा मनु की कहानी है, जो सेना में भर्ती होकर देश की सेवा करना चाहता था. लेकिन वह एक दलाल के चंगुल में फंस जाता है, जो उसे एक नक्सली के रूप में अधिकारियों के सामने आत्मसमर्पण करने के बाद सामने आता है. कहानी इस बात के इर्द-गिर्द घूमती है कि क्या होता है जब मनु 20 युवा लड़कों के साथ नक्सली बनकर आत्मसमर्पण करने जाते हैं.
झारखंड के सौ से भी ज्यादा कलाकार
फिल्म में विजय राज, संजय मिश्रा और अखिलेंद्र मिश्र जैसे दिग्गज और झारखंड के सौ से भी ज्यादा कलाकार मौजूद हैं. मनु का किरदार सर्वदमन ने निभाया है, जिनकी यह पहली फिल्म है. इस चरित्र को सर्वदमन ने बखूबी निभाया है. सर्वदमन के चेहरे पर मासूमियत के साथ जो हताशा दिखती है, वह लाजवाब है. वहीं नौकरी दिलाने वाले दलाल के चरित्र को संजय मिश्रा ने जीवंत किया है. पुलिस अधिकारी की भूमिका में अखिलेंद्र मिश्रा और नक्सली कमांडर के रूप में विजय राज पूरी फिल्म की जान हैं. विजय राज को इस चरित्र में देखना वाकई दिलचस्प है. उन्होंने अपने अभिनय से इस भूमिका में चार चांद लगा दिए हैं. रवि झंकल, दधी पांडे, नीतू पांडे, चारुल मलिक, हंसराज जगताप, सुमित भोक्से, ऋषि ठाकुर, रकीब अरशद, अशोक गोप के अलावा झारखंड के मधु रॉय, पंकज सिन्हा, वर्षा लकड़ा, शिशिर पंडित, ओम प्रकाश, काका जी, चंदा कुमारी, प्रिया अंबष्ट प्रमुख भूमिकाओं में हैं.
झारखंड के कलाकारों ने बहुत बढ़िया काम किया है
परदे के पीछे भी झारखंड के कलाकारों ने बहुत बढ़िया काम किया है, क्योंकि लाल बिजय खुद लोहरदगा के हैं और उन्होंने यहीं से थिएटर की शुरूआत की थी. तो इसमें उन्हीं के द्वारा स्थापित आकृति उदय संस्था के कलाकारों ने भी अच्छा काम किया है. परदे पर विनोद सोनी , रिपुसूदन साहू, देशराज गोयल, चंदन गोयल, उदय दत्ता और अमर ठाकुर, तो परदे के पीछे प्रोडक्शन एक्जीक्यूटीव के रूप में प्रवीण सोनी और आर्ट डायरेक्टर के तौर पर हरिओम ने महत्वपूर्ण जिम्मेदारी निभाई है.
फिल्म एक इमोशनल थ्रिलर है
फिल्म की पूरी शूटिंग लोहरदगा और रांची के अलावा झारखंड के कई हिस्सों में हुई है. कैमरामैन अजित सिंह ने यहां के लोकेशन का पूरा इस्तेमाल किया है, जिससे फिल्म बिल्कुल भी बनावटी नहीं लगती. खासकर नक्सली इलाकों के दृश्यों को उन्हीं जंगलों में फिल्माया गया है, जिसे देखना वाकई एक अलग अनुभव है. फिल्म में संगीत दिया है झारखंड के जाने माने कलाकार नंदलाल नायक और सिद्धांत माधव ने. कुल मिलाकर फिल्म एक इमोशनल थ्रिलर है और झारखंड ही नहीं बल्कि देश के कई राज्यों में नक्सलवाद जैसी समस्या के पीछे की कहानी भी दिखाती है और साथ में मनोरंजन भी करती है.
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