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रिम्स: इंटर्न छात्राओं से हॉस्टल के लिए मांगे जा रहे पांच हजार रुपये, डॉक्टरों ने कहा- रहने लायक नहीं है छात्रावास

Ranchi : रिम्स में एमबीबीएस पासआउट छात्राएं इंटर्न कर रही हैं. इनकी मांग है कि पिछले बैच की तरह इन्हें भी हॉस्टल नंबर 7 या 8 एलॉट किया जाए, पर इन छात्राओं को हॉस्टल एलॉट करने के बदले पांच हजार रुपये का भुगतान करने को कहा जा रहा है. जबकि इंटर्न कर रहीं डॉक्टरों का कहना है कि उन्होंने पांच साल का फीस जमा कर दिया है. हमने हॉस्टल फीस के तौर पर पहले 3500 रुपये का भुगतान किया था. नए हॉस्टल के लिए पांच हजार की बात कही गयी, तो हमने 1500 रुपये अलग से भुगतान किया. https://www.youtube.com/watch?v=s6mXfYyvilM

[caption id="attachment_168658" align="aligncenter" width="780"]https://lagatar.in/wp-content/uploads/2021/10/Rims-intern11.jpg"

alt="" width="780" height="1040" /> हॉस्टल के कमरे की हालत.[/caption]

वार्डन हॉस्टल अलॉट करने में कर रही है आनाकानी

इंटर्न डॉक्टरों ने बताया कि इसके बाद भी हमें कहा जा रहा है कि अलग से पांच हजार का फ्रेश स्लिप दिखाने पर ही हॉस्टल दिया जाएगा. इंटर्न डॉक्टरों ने आरोप लगाया कि वार्डन हमें हॉस्टल एलॉट करना ही नहीं चाहतीं. डॉ स्निग्धा झा ने बताया कि हमने पांच साल में पांच बार पैसे का भुगतान किया है, अब किस चीज का भुगतान करें. अगर सत्र में देरी होती है तो यह हमारी गलती नहीं है. बता दें कि रिम्स में एमबीबीएस अंतिम सत्र पास करने के बाद एक साल इंटर्न के तौर पर ड्यूटी देनी होती है. इसे भी पढ़ें- फंदे">https://lagatar.in/sbis-chief-managers-body-found-hanging-from-the-noose/">फंदे

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alt="" width="780" height="1040" /> [caption id="attachment_168660" align="aligncenter" width="1040"]https://lagatar.in/wp-content/uploads/2021/10/Rims-intern12.jpg"

alt="" width="1040" height="780" /> कमरे में पानी टपकने के कारण सामान बाहर रखने को मजबूर हैं इंटर्न डॉक्टर[/caption]

अभी जिस कमरे में हैं, वहां छत से टपकता है पानी, फफूंद लग चुका है

इंटर्न डॉक्टरों ने बताया कि एमबीबीएस अंतिम सत्र के दौरान जिस हॉस्टल में थे वहीं रह रहे हैं. कई कमरे से पानी टपकता है. कई इंटर्न डॉक्टरों के सामान गलियारे में पड़े हैं. डॉ निशा ने बताया कि कई महीने से मेरा सामान कमरे के बाहर पड़ा है. फफूंद तक लग चुके हैं. दूसरे के कमरे में सोने को मजबूर हैं. डॉ निशा ने बताया कि हम कई बार आवेदन कर चुके हैं पर नया हॉस्टल नहीं दिया जा रहा है. उन्होंने बताया, तीन शिफ्ट में ड्यूटी लगती है. थकान हो जाता है, पर अपना कमरा तक आराम करने के लिए सही हाल में नहीं है. वहीं, डॉ मेघा ने कहा कि हम ऐसे जर्जर हॉस्टल में रहकर मरीजों का इलाज कैसे कर पाएंगे. हमसे पहले वाले बैच को इंटर्नशिप के दौरान जिस हॉस्टल में रहने के लिए दिया गया था, वही हॉस्टल हमें भी मुहैया कराया जाए. इसे भी पढ़ें- BREAKING">https://lagatar.in/breaking-three-chakradharpur-youths-killed-in-rajkharsawan-accident/">BREAKING

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